वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

साक्षात्कार

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कोस्टा रीका के उदाहरण से सीख सकते हैं अन्य देश

कोस्टा रीका अपेक्षाकृत एक छोटा देश होने के बावजूद जलवायु कार्रवाई के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है. देश में बिजली उत्पादन का 95 फ़ीसदी से ज़्यादा हिस्सा कार्बन उत्सर्जन से मुक्त है और 52 प्रतिशत इलाक़ा वनों से ढंका हुआ है. 

स्पेन के मैड्रिड में हुए कॉप-25 जलवायु सम्मेलन के आकलन और कार्बन न्यूट्रैलिटी (नैट कार्बन उत्सर्जन स्थिति) के भविष्य पर बातचीत के लिए सोमवार, 20 जनवरी को भारत की राजधानी नई दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय मुख्यालय में एक चर्चा आयोजित की गई.

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वैश्विक तापमान बढ़ने के व्यापक दुष्परिणाम

विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने पुष्टि की है कि वर्ष 2019 रिकॉर्ड पर अब तक का दूसरा सबसे ज़्यादा गर्म साल साबित हुआ है. यूएन एजेंसी के अनुमान के मुताबिक़ वर्ष 2019 में वार्षिक वैश्विक वृद्धि 1.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज की गई.  

इससे पहले 2016 ही साल 2019 से ज़्यादा गर्म दर्ज किया गया था.  1980 के बाद से हर दशक उससे पहले के दशक की तुलना में ज़्यादा गर्म दर्ज किया गया है.

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तेज़ आर्थिक विकास से मिलेगा टिकाऊ विकास लक्ष्यों को सहारा

संयुक्त राष्ट्र की ताज़ा विश्व आर्थिक स्थिति व संभावनाओं पर वर्ष 2020 की रिपोर्ट बताती है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में लंबे समय से व्यापार विवादों के प्रभावों के कारण पिछले एक दशक में सबसे कम वृद्धि हुई.  वर्ष 2019 में आर्थिक वृद्धि की दर 2.3 प्रतिशत दर्ज की गई.

रिपोर्ट के अनुसार जलवायु संकट, दुनिया भर में लगातार जारी गंभीर विषमताएँ, खाद्य असुरक्षा के बढ़ते स्तर और कुपोषण जैसी स्थितियाँ बहुत से समाजों में लोगों के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही हैं जिनके कारण असंतोष भी बढ़ रहा है.

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टिकाऊ विकास पर प्रगति मापने में मदद करेगा नया इंडेक्स

भारत में नीति आयोग ने सोमवार को टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की दिशा में हो रही प्रगति को आंकने के लिए एक इंडेक्स का दूसरा संस्करण जारी किया जिसे 'एसडीजी इंडिया इंडेक्स' का नाम दिया गया है.

इस इंडेक्स और एक नए डैशबोर्ड की मदद ऑंकड़ों को आसानी से हासिल करने के साथ-साथ विभिन्न राज्यों के प्रदर्शन का तुलनात्मक अध्ययन भी  किया जा सकता है.

दिल्ली में अंशु शर्मा ने इस विषय में ज़्यादा जानकारी के लिए नीति आयोग में सलाहकार संयुक्ता समादार से बात की और सबसे पहले पूछा कि एसडीजी इंडिया इंडेक्स की ख़ास बात क्या है. 

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कृषि के लिए ज़रूरी है जैवविविधता का संरक्षण

हमारा भोजन और कृषि प्रणाली आसपास मौजूद पौधों, पशुओं और सूक्ष्म जीवों पर निर्भर है. जैवविविधता –आनुवंशिक या प्रजातीय – हर स्तर पर किसानों,पशुपालकों और मछुआरों की भोजन उत्पादन की क्षमता बढ़ाती है.

इससे प्राकृतिक आपदा के झटकों और तनावों के प्रति सहनशीलता तो बढ़ती ही है, साथ ही उत्पादन प्रणालियों को सभी चुनौतियों से निपटने में मदद मिलती है.

इसलिए टिकाऊ ढंग से उत्पादन बढ़ाने के प्रयासों में जैवविविधता को एक महत्वपूर्ण संसाधन माना जा सकता है, जो टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा को पूरा करने के प्रयासों के लिए भी महत्वपूर्ण है.

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प्लास्टिक कचरे का बढ़ता ख़तरा

समुद्र में प्लास्टिक कचरे की बढ़ती मात्रा ने हाल के वर्षों में गंभीर रूप धारण कर लिया है. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण संस्था (UNEP) के मुताबिक़ समुद्र में प्रवेश करने वाला आधे से अधिक प्लास्टिक कचरा महज़ पॉंच देशों से आता है जिसमें से चार दक्षिण-पूर्वी एशिया से हैं.

यूएन संस्था की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस क्षेत्र में पैकेजिंग को लेकर कोई समग्र दृष्टिकोण या नीतियां नहीं हैं जिससे ये समस्या बढ़ती जा रही है.

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इंटरव्यू: पर्वतों की उपयोगिता व सादगी

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण संस्था - UNEP ने भारत में पर्यावरण कार्यकर्ता और मैगसेसे पुरस्कार विजेता सोनम वांगचुक के साथ मिलकर 11 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस पर #Ilivesimply अभियान शुरू किया है.

इस अभियान के तहत एक website के ज़रिए लोग सतत जीवनशैली का संकल्प लेकर जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करेंगे.

इसका नारा महात्मा गांधी के वक्तव्य से लिया गया है - Live simply so that others can simply live. 

इस अभियान के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए यूएन न्यूज़ हिन्दी की अंशु शर्मा ने बात की - भारत में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के प्रतिनिधि अतुल बगाई से.

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बढ़ती असमानता से मानव विकास पर मंडराता ख़तरा

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार दुनिया ने ग़रीबी, भुखमरी और बीमारियों के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त प्रगति की है लेकिन अब शिक्षा, तकनीक और जलवायु परिवर्तन के मोर्चों पर नए प्रकार की असमानताएं पैदा हो रही हैं.

रिपोर्ट बताती है कि इन नई असमानताओं को हल करने के लिए समाजों को रवैया बदलना होगा लेकिन अगर इन्हें समय पर नियंत्रित नहीं किया गया तो समाजों को हिला कर रख देने वाला एक ऐसा विरोध जन्म लेगा जिसे औद्योगिक क्रांति के बाद से नहीं देखा गया है.

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एड्स के ख़िलाफ़ लड़ाई में अहम है मरीज़ों को सशक्त बनाना

हर साल एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है.

इस वर्ष इस अवसर पर यूएनएड्स ने एक रिपोर्ट जारी की है – ‘पॉवर टू द पीपुल’ यानी लोगों को सशक्त बनाना.

एचआईवी - एड्स के ख़िलाफ़ लड़ाई में संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों की अगुवाई कर रहे यूएनएड्स कार्यक्रम ने कहा है कि एचआईवी से संक्रमित लोगों को जब उनकी ख़ुद की देखभाल करने के प्रयासों में सक्रिय भागीदारी करने का मौक़ा मिलता है तो संक्रमण के नए मामले कम होते हैं और ऐसी स्थिति में ज़्यादा संख्या में संक्रमित लोगों को इलाज की सुविधा हासिल होती है.

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टिकाऊ कृषि के लिए अहम है सांख्यिकी

टिकाऊ कृषि विकास और सतत खाद्य सुरक्षा और पोषण के लिए अच्छे निर्णयों का लिया जाना बहुत ज़रूरी हैं लेकिन कृषि संबंधित फ़ैसलों के लिए प्रामाणिक आंकड़े होना भी आवश्यक है.

ज़रूरी डैटा के अभाव का परिणाम अक्सर उत्पादकता में गिरावट, कृषि आय में कमी, भुखमरी और ग़रीबी के रूप में देखने को मिलता है.

इसी समस्या के समाधान पर चर्चा के लिए 18 से 21 नवंबर 2019 तक भारत की राजधानी दिल्ली में कृषि सांख्यिकी पर आठवां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (ICAS-VIII) आयोजित किया गया.

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