यमन
यमन दुनिया भर में सबसे भीषण मानवीय संकट बन चुका है. यमन में संघर्ष चौथे वर्ष में दाख़िल होते समय वहाँ क़रीब दो करोड़ 20 लाख लोगों को मानवीय सहायता और सुरक्षा की ज़रूरत है. ये संख्या कुल आबादी का क़रीब तीन चौथाई है.
महासचिव एंतॉनिटो गुटेरेश
जिनीवा में 3 अप्रैल 2018 को दानदाताओं के सम्मेलन में टिप्पणी
संक्षिप्त विवरण (Overview)
यमन में वर्ष 2011 के शुरुआती महीनों में अस्थिरता शुरू होने के बाद से ही संयुक्त राष्ट्र वहाँ शांतिपूर्ण समाधान तलाश करने में यमन के लोगों की मदद करने के लिए सक्रिय रहा है. संयुक्त राष्ट्र ये काम अपने अनेक दफ़्तरों और प्रतिनिधियों के माध्यम से करता रहा है.
यमन संकट एक नज़र में (March 2018)
ग़रीबी
- देश की 79% आबादी ग़रीब है. 2017 में ये संख्या 49% थी.
- पिछले तीन वर्षों के दौरान घरेलू सकल उत्पादन (GDP) में 61% की कमी आई है.
लोगों की ज़रूरतें
- देश की क़रीब तीन चौथाई यानी 75 फ़ीसदी आबादी को किसी ना किसी तरह की मानवीय सहायता और सुरक्षा की आवश्यकता है. ये संख्या क़रीब दो करोड़ 20 लाख है.
खाद्य सुरक्षा
- देश की क़रीब 60 फ़ीसदी आबादी यानी लगभग एक करोड़ 80 लाख लोगों के पास समुचित मात्रा में खाने-पीने का सामान उपलब्ध नहीं है.
- क़रीब 84 लाख लोगों को ये मालूम नहीं होता कि अगले वक़्त की भोजन ख़ुराक़ उन्हें किस तरह मिलने वाली है, या मिलेगी भी या नहीं.
स्वास्थ्य (Health)
- देश में आधे से भी कम स्वास्थ्य सेवाएँ काम कर रही हैं
- 18 फ़ीसदी ज़िलों में कोई डॉक्टर ही मौजूद नहीं हैं.
- देश की आबादी का क़रीब 56 फ़ीसदी हिस्सा यानी लगभग एक करोड़ 60 लाख लोग बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएँ हासिल करने से वंचित है.
पानी और स्वच्छता (Water & Sanitation)
- क़रीब 55 प्रतिशत आबादी यानी एक करोड़ 60 लाख लोगों को नियमित रूप से पीने का साफ़ पानी नहीं मिल पाता और उनके इलाक़ों में स्वच्छता भी नहीं रहती जो स्वस्थ रहने के लिए बहुत ज़रूरी है.
- 73 फ़ीसदी जनसंख्या को नलकों के ज़रिए आने वाला साफ़ पानी नहीं मिलता.
पोषण (Nutrition)
- क़रीब 25 फ़ीसदी आबादी यानी क़रीब 75 लाख लोगों को स्वस्थ रहने के लिए पौष्टिक तत्वों की ज़रूरत है. 50 प्रतिशत बच्चे कुपोशण के शिकार होने की वजह से बेहद कमज़ोर हैं.
- क़रीब 29 लाख बच्चे और महिलाएँ गंभीर रूप से कुपोषित हैं; पिछले तीन वर्षों के दौरान गंभीर कुपोषण के शिकार बच्चों की संख्या में 90 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है.
शिक्षा (Education)
- 48 प्रतिशत महिलाएँ अनपढ़ हैं
- 25 प्रतिशत बच्चे स्कूली शिक्षा से वंचित हैं.
- 11 फ़ीसदी स्कूल या तो ध्वस्त हो चुके हैं या फिर उनका इस्तेमाल शिक्षा के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए होता है.
महिलाएँ (Gender Status)
- 72 फ़ीसदी लड़कियों की शादी 18 वर्ष की उम्र से पहले ही हो जाती है
- लड़ाई से सबसे ज़्यादा प्रभावित ज़िलों में 44 फ़ीसदी शादियों में लड़कियों की उम्र 15 वर्ष से कम होती है.
- 50 फ़ीसदी से भी कम मामलों में बच्चों के जन्म के समय जच्चा-बच्चा का ख़याल रखने के लिए कोई प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी मौजूद होता है.
विस्थापन (Displacement)
- क़रीब 20 लाख लोग विस्थापित हैं, इनमें 76 फ़ीसदी महिलाएँ और बच्चे हैं.
- सिर्फ़ दस लाख लोग अपने मूल निवास स्थान वाले इलाक़ों को लौट सके हैं.
अर्थव्यवस्था (Economy)
- क़रीब साढ़े बारह लाख सरकारी कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है.
- पिछले तीन वर्षों के दौरान दैनिक भोजन की चीज़ों की क़ीमतें 98 फ़ीसदी महंगी हो गई हैं, ईंधन के भी दामों में 110 प्रतिशत वृद्धि हो गई है.
- लड़ाई से सबसे ज़्यादा प्रभावित इलाक़ों में क़रीब आधी आबादी बेरोज़गार है.
संयुक्त राष्ट्र ने सरकार और विपक्ष के बीच राजनैतिक बातचीत को संभव बनाने के लिए समर्थन और सहायता मुहैया कराई है. इस बातचीत के परिणामस्वरूप खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के प्रस्ताव दस्तावेज़ पर रियाद में 23 नवंबर 2011 को हस्ताक्षर किए गए. इसी दस्तावेज़ में इस शांति पहल को लागू करने की प्रक्रिया का भी ब्यौरा दिया गया है. संयुक्त राष्ट्र तभी से यमन में इस राजनैतिक पहल को लागू करने में सहायता मुहैया कराने के प्रयासों के तहत देश के सभी राजनैतिक गुटों के साथ सक्रिय रूप से संपर्क में रहा है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतॉनियो गुटेरेश ने फ़रवरी 2018 में ब्रितानी राजनयिक मार्टिन ग्रिफ़िथ्स को यमन में अपना विशेष दूत नियुक्त किया. उनसे पहले इस्माइल औल्द शेख़ अहमद यमन के लिए महासचिव के विशेष दूत थे.
तीन वर्षों से भी ज़्यादा समय से जारी भीषण संघर्ष और युद्ध की वजह से यमन के लोगों को भारी तबाही और तकलीफ़ों का सामना करना पड़ रहा है. युद्ध के कारण देश में भारी आर्थिक नुक़सान भी हुआ है.
यमन में क़रीब दो करोड़ 22 लाख लोगों को किसी ना किसी रूप में मानवीय सहायता और सुरक्षा की ज़रूरत है.
क़रीब एक करोड़ 78 लाख लोगों के पास समुचित मात्रा में खाने-पीने का सामान उपलब्ध नहीं है. क़रीब 84 लाख लोगों के पास जीवित रहने के लिए भोजन सामग्री उपलब्ध नहीं है और ये लोग भुखमरी के कगार पर पहुँच चुके हैं.
क़रीब एक करोड़ 60 लाख लोग पीने के साफ़ पानी और साफ़-सफ़ाई के साधनों से वंचित हैं.
क़रीब एक करोड़ 64 लाख लोगों को बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध नहीं हैं.
पूरे देश में लोगों की रोज़-मर्रा की ज़रूरतें पूरी नहीं हो रही हैं. क़रीब एक करोड़ 13 लाख लोगों को जीवित रहने के लिए किसी ना किसी रूप में सहायता की ज़रूरत है. इस संख्या में पिछले कुछ वर्षों के दौरान क़रीब दस लाख का इज़ाफ़ा हुआ है.
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