वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

साक्षात्कार

Visual News Associates/World Bank. UN Women/Joe Saade. UN Women/Gaganjit Singh

महिला उद्यमियों के लिए मददगार माहौल के सृजन का प्रयास

भारत में कुल उद्यमियों में महज़ 14 फ़ीसदी महिलाएं हैं. इनमें भी अधिकांश सूक्ष्म और लघु उद्योग हैं जिनमें बाहरी वित्तीय मदद के अभाव में उन्होंने ख़ुद निवेश किया है. 

लैंगिक भेदभाव और सामाजिक व सांस्कृतिक अवरोध अक्सर उद्यमों में महिलाओं की प्रगति के रास्ते में आड़े आते हैं. साथ ही ज्ञान, प्रशिक्षण, बाज़ार व्यवस्था और वित्तीय संसाधनों तक पहुंच का ना होना भी उन्हें आगे बढ़ने से रोकता है. 

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UN News/Anshu Sharma

कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में यूएन वॉलन्टियर्स की मुस्तैदी

भारत में  संयुक्त राष्ट्र के वॉलन्टियर्स (स्वयंसेवक) सरकार के साथ मिलकर 58 ज़िलों में समन्वयक के रूप में काम कर रहे हैं और इस नेटवर्क से अनेक अन्य स्वयंसेवक जुड़े हुए हैं.

संयुक्त राष्ट्र वॉलन्टियर्स (यूएनवी) नामक इस नैटवर्क में पिछले कुछ सालों में लगभग आठ हज़ार युवा क्लब और महिला मंडल भी शामिल किए गए हैं और सभी कार्यकर्ता युवाओं से संबंधित कार्यों को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं.

विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 की शुरुआत होने पर यूएनवी ने मुस्तैदी से अपने कार्यकर्ताओं को सजग करके उन्हें तात्कालिक प्रशिक्षण देकर बचाव व रोकथाम के प्रयासों में शामिल किया.

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© UNICEF/Noorani

कोविड-19: 'घरेलू हिंसा की रोकथाम के उपाय कार्रवाई का हिस्सा बनें'

दुनिया के अनेक देशों में जबरन तालाबंदी होने और आवागमन पर पाबंदी लगाने से महिलाओं व लड़कियों के ख़िलाफ़ घरेलू हिंसा के मामलों में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है जो गहरी चिंता का कारण है.

संयुक्त राष्ट्र की महिला सशक्तिकरण संस्था – यूएन वीमेन में कार्यक्रम विशेषज्ञ अंजू पांडे का कहना है कि महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा की रोकथाम और उसके निवारण के उपायों को कोविड-19 से निपटने की योजनाओं का अहम हिस्सा बनाना होगा.

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Worldbank/Abbas Farzami

कोविड-19: स्वास्थ्य व आजीविका की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कोविड-19 के विनाशकारी नतीजों से निपटने के लिए एक नई योजना को पेश किया है जिसमें इस महामारी से लोगों के स्वास्थ्य और उनकी आजीविका की रक्षा करने की रूपरेखा तैयार की गई है. 

साथ ही निम्न व मध्य आय वाले देशों की सहायता के लिए एक वैश्विक फ़ंड की स्थापना की गई है.

 रिपोर्ट दर्शाती है कि कितनी तेज़ी से यह महामारी फैली है और उसका दायरा किस तरह विस्तृत और गंभीर होता गया है.

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UN Photo/Mark Garten

तालाबंदी के दौरान सूचना-तकनीक का सहारा

विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के कारण दुनिया के कई देशों में तालाबंदी लागू कर दी गई है और लोग अपने घरों तक सीमित हो गए हैं. लेकिन इस कठिन समय में भी इंटरनेट और सूचना-तकनीक साधनों की उपलब्धता से लॉकडाउन के दौरान ज़रूरी कामों को पूरा किया जा रहा है. 

संयुक्त राष्ट्र के भारत कार्यालय में सूचना व संचार टैक्नॉलजी विभाग के प्रमुख चॉंद कौशल का कहना है कि कनेक्टिविटी बेहतर होने से तालाबंदी के समय में भी घर से काम करना आसान हुआ है. 

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UNICEF/Vishwanathan

कोविड-19: शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें महिलाएं

विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 से ऐहतियाती उपायों के मद्देनज़र तालाबंदी होने से महिलाओं की मुश्किलें बढ़ी हैं लेकिन उन्हें पारिवारिक ज़रूरतों के साथ-साथ अपने शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान भी रखना होगा.

यह कहना है यूएन वीमेन संस्था की भारत में उपप्रतिनिधि निष्ठा सत्यम का, जिन्होंने कोविड-19 के कारण उपजी चिंताओं से निपटने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की अहमियत पर बल दिया है. 

दिल्ली में हमारी सहयोगी अंशु शर्मा ने उपप्रतिनिधि निष्ठा सत्यम से बात की और सबसे पहले जानना चाहा कि कोविड-19 के कारण तालाबंदी से महिलाएं किस तरह प्रभावित हुई हैं. 
 

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संदीप दत्ता

कोविड-19: भारत में ऐहतियाती उपायों का जनता पर असर

वैश्विक महामारी कोविड-19 का मुक़ाबला करने के प्रयासों में भारत ने भी अनेक क़दम उठाए हैं. इनमें एक प्रमुख क़दम देश भर में 21 दिनों के लिए पूर्ण तालाबंदी करने की घोषणा भी है. भारत जैसे घनी आबादी वाले देश में इस तरह के ऐहतियाती उपाय कितने कारगर साबित होंगे और दुनिया के दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश भारत में ग्रामीण इलाक़ों और हाशिए पर रहने वाले लोगों पर क्या असर पड़ेगा. 

कुछ इसी तरह के सवालों के साथ यूएन न्यूज़ हिन्दी की अंशु शर्मा ने भारत में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के एक पदाधिकारी डॉक्टर नीलेश देशपाँडे से बातचीत की.

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UN India

कोविड-19 से डरें नहीं, एलर्ट रहें

विश्व भर में कोरोनावायरस (कोविड-19) संक्रमण के बढ़ते मामलों से दुनिया के माथे पर चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं.

लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन के भारत कार्यालय में नेशनल प्रोफ़ेशनल ऑफ़िसर डॉक्टर पंकज भटनागर का कहना है कि लोगों को इस वायरस के संक्रमण से डरने की बजाय एलर्ट रहने और एहतियात बरतने की आवश्यकता है. सावधानी और सतर्कता के ज़रिए वायरस से संक्रमित होने से बचा जा सकता है.  

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UN India

एलजीबीटी समुदाय की स्वीकार्यता में शिक्षा की अहम भूमिका

संयुक्त राष्ट्र एड्स कार्यक्रम में वरिष्ठ सलाहकार नंदिनी कपूर का कहना है कि LGBTQIA+ समुदाय के साथ भेदभाव को रोकने और समाज में उनकी स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए शिक्षा प्रसार व जागरूकता बढ़ाने पर ध्यान देना ख़ासतौर पर ज़रूरी है. साथ ही सरकारी योजनाओं में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सक्रियता से प्रयास किए जाने चाहिए.

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UN India

एसडीजी: ग़रीब शहरी प्रवासियों की समस्याओं को समझना होगा

वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक़ भारत में 31 फ़ीसदी यानी लगभग 40 करोड़ लोग शहरों में रहते हैं. ये आबादी 2030 तक बढ़कर 41 फ़ीसदी होने का अनुमान है. शहरों को ‘इंजन ऑफ़ ग्रोथ’ या आर्थिक विकास का इंजन भी कहा जाता है.

गॉंवों से लोग रोज़गार व बेहतर जीवन की तलाश में शहरों का रुख़ करते हैं और पिछले कुछ सालों में जलवायु परिवर्तन भी पलायन की वजह बनकर उभरा है.

लेकिन ग़रीबी दूर करने की तलाश में आए लोग शहरों के अविकसित बाहरी इलाक़ों या झुग्गी-झोपड़ियों में बिना सुविधाओं के संवेदनशील हालात में रहने के लिए मजबूर हो जाते हैं.

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