वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

साक्षात्कार

UN Photo/Eskinder Debebe

विकलांगजन को दया की नहीं, समर्थन की है ज़रूरत – अरुणिमा सिन्हा

भारत की पूर्व वॉलीबॉल खिलाड़ी अरुणिमा सिन्हा ने, एक ट्रेन हादसे में अपना पैर गँवाने के बाद, अपने जीवन को एक नई दिशा में मोड़ दिया. अरुणिमा, वर्ष 2013 में, विश्व के सबसे ऊँचे पर्वत शिखर, माउण्ट एवरेस्ट तक पहुँचने वाली पहली विकलांग महिला बन गईं. 

अरुणिमा सिन्हा ने, 3 दिसम्बर को अन्तरराष्ट्रीय विकलांगजन दिवस के अवसर पर, यूएन न्यूज़ हिन्दी के साथ एक ख़ास बातचीत में कहा कि विकलांगजन को दया की नहीं, बल्कि समर्थन की ज़रूरत है. 

अरुणिमा सिन्हा को वर्ष 2017 में नीति आयोग और भारत में यूएन कार्यालय की साझीदारी में ‘'Women Transforming India Awards' से भी सम्मानित किया गया था.

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यूएन न्यूज़/अंशु शर्मा

कॉप26 सम्मेलन से जुड़ी युवाओं की उम्मीदें

स्कॉटलैण्ड के ग्लासगो शहर में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (कॉप26) में हिस्सा ले रहीं, भारत की एक युवा जलवायु कार्यकर्ता हीता लखानी का कहना है कि हाल के वर्षों में जलवायु वार्ताओं में युवाओं की भूमिका बढ़ी है. 

हीता लखानी मुम्बई में एक जलवायु शिक्षिका हैं, और युवा नेतृत्व वाले संगठनों के समूह, YOUNGO के लिये ‘ग्लोबल साउथ’ की समन्वयक हैं. हीता, भारत में विभिन्न गतिविधियों के तहत युवाओं में मौजूदा जलवायु चुनौती के प्रति समझ और अन्तरराष्ट्रीय प्रक्रियाओं के सम्बन्ध में जानकारी बढ़ाने के लिये प्रयासरत है. 

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UNIC India

बेहतर उत्पादन, बेहतर पोषण, बेहतर वातावरण और बेहतर जीवन

दुनिया आज के दौर में, जलवायु संकट और जैव विविधता की हानि के कारण, बढ़ती भुखमरी का सामना कर रही है. ऐसे में, खाद्य व पोषण सुरक्षा एवं आजीविका की रक्षा के लिये तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है, विशेष रूप से हाशिये पर धकेले गए समुदायों के लोगों के लिये.

यूएन न्यूज़ की अंशु शर्मा ने विश्व खाद्य दिवस, 2021 पर भारत में संयुक्त राष्ट्र के कृषि संगठन (एफ़एओ) में राष्ट्रीय सलाहकार, शालिनी भूटानी से खाद्य सुरक्षा के विभिन्न आयामों पर चर्चा की.
 

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© Kailash Satyarthi

एसडीजी प्राप्ति के लिये संयुक्त राष्ट्र को सशक्त बनाने की ज़रूरत

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने, दुनिया की अनमोल वैश्विक परिसम्पत्तियों की रक्षा और साझा आकांक्षाओं को पूरा करने की ख़ातिर, तत्काल कार्रवाई का आहवान करते हुए, टिकाऊ विकास लक्ष्यों के नए पैरोकारों के नामों की घोषणा की है.

इनमें से एक हैं, भारत से नोबेल शान्ति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी. ये सभी पैरोकार, जलवायु कार्रवाई, डिजिटल विभाजन, लैंगिक समानता और बाल अधिकारों के मुद्दों पर सक्रिय होंगे. 

यूएन न्यूज़ की अंशु शर्मा ने दिल्ली में कैलाश सत्यार्थी के साथ बातचीत की और यह जानना चाहा कि इस नई भूमिका में उनकी क्या प्रमुख रणनीति रहेगी...
 

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UN Photo/Violaine Martin

अफ़ग़ानिस्तान के लिये विशाल मानवीय मदद की ज़रूरत - UNHCR

अफ़ग़ानिस्तान में मौजूदा राजनैतिक, सुरक्षा और मानवीय संकट के कारण गम्भीर हालात हैं और देश की लगभग आधी आबादी को मानवीय सहायता की आवश्यकता बताई गई है. 

संयुक्त राष्ट्र की कई एजेन्सियाँ ज़रूरतमन्दों तक मदद पहुँचाने के काम में मुस्तैदी में जुटी हैं. मगर, उन्हें संसाधनों की कमी के कारण कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके मद्देनज़र, संयुक्त राष्ट्र ने चिन्ता जताते हुए अन्तराराष्ट्रीय समुदाय से सहायता की अपील की है. 

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Ridhima Pandey

युवा जलवायु कार्यकर्ता - रिद्धिमा पाण्डे

रिद्धिमा पाण्डे, भारत की एक युवा जलवायु कार्यकर्ता हैं और स्थानीय समुदायों से लेकर अन्तरराष्ट्रीय मंचों पर जलवायु कार्रवाई के लिये आवाज़ मुखर करती रही हैं.

रिद्धिमा उत्तराखण्ड राज्य के हरिद्वार शहर की निवासी हैं और बीबीसी ने वर्ष 2020 में उन्हें शीर्ष 100 महिलाओं की सूची में भी शामिल किया था.

19 अगस्त को विश्व मानवीय दिवस के अवसर पर रिद्धिमा #TheHumanRace नामक मुहिम को अपना समर्थन दे रही हैं.

उन्होंने यूएन न्यूज़ हिन्दी के साथ बातचीत में बताया कि इस मुहिम में उनकी क्या भूमिका है.

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Avani Awasthee

युवा जलवायु कार्यकर्ता - अवनी अवस्थी

भारत की अवनी अवस्थी एक युवा जलवायु कार्यकर्ता हैं और पिछले अनेक वर्षों से प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने, रीसायकलिंग व जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिये प्रयासरत हैं.

वर्ष 2016 में उन्होंने अन्टार्कटिका एक्सीपीडिशन दल में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया, जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूकता का प्रसार करना था.

अवनी अवस्थी, इस साल 19 अगस्त को विश्व मानवीय दिवस के अवसर पर जलवायु कार्रवाई और निर्बल समूहों के लिये समर्थन जुटाने पर केन्द्रित #TheHumanRace नामक एक मुहिम को अपना समर्थन दे रही हैं.

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Unsplash/Sigmund

कोरोनावायरस संकट काल: विकलांगजन की बढ़ी मुश्किलें

विकलांगजन के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिये प्रयासरत और फ़िनलैण्ड की एबीलिस फ़ाउण्डेशन में नेपाल के लिये कन्ट्री कोऑर्डिनेटर बीरेन्द्र राज पोखरेल का कहना है कि कोविड-19 महामारी के दौरान विकलांग व्यक्तियों के लिये गम्भीर चुनौतियाँ पैदा हुई हैं, जिनसे निपटने के लिये भावी योजनाओं में उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं का ख़याल रखा जाना होगा.   

विश्व में एक अरब लोग, यानि लगभग हर सात में से एक व्यक्ति किसी ना किसी रूप में विकलांग है. इनमें से अधिकाँश लोग विकासशील देशों में रहते हैं 

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Dr. Krishna Raman.

तन मन का योग - 'स्वस्थ जीवन शैली की बुनियाद'

योगासन और शारीरिक व मानसिक अनुशासन के ज़रिये ना सिर्फ़ प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूती प्रदान करने और कोविड-19 के दुष्प्रभावों से उबरने से मिल सकती है, बल्कि योग को दैनिक जीवन में शामिल करने से, एक स्वस्थ जीवन की नींव भी तैयार की जा सकती है. 

यह कहना है कि डॉक्टर कृष्णा रामन का, जिन्होंने सोमवार, 21 जून, को ‘अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस’ पर संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन द्वारा ‘Yoga for well being’ नामक विषय पर आयोजित एक ऑनलाइन चर्चा में हिस्सा लिया.

उनका मानना है कि योग, बीमारियों के उपचार में सहायक होने के साथ-साथ, उनकी रोकथाम में भी प्रभावी है. 

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Ranjit Prakash

बाल श्रमिकों की संख्या में बढ़ोत्तरी चिन्ताजनक

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि दो दशकों में पहली बार, बाल श्रमिकों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. 

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि कोविड-19  महामारी के परिणामस्वरूप 2022 के अन्त तक, वैश्विक स्तर पर, 90 लाख अतिरिक्त बच्चों को बाल श्रम में धकेले जाने का ख़तरा है.

‘बाल श्रम: वैश्विक अनुमान 2020, रुझान और आगे की राह’ नामक यह रिपोर्ट, अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष द्वारा जारी की गई है.  

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