वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

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2024 में 60 से अधिक देशों में चुनाव आयोजित होंगे, जिसमें आधी से अधिक वैश्विक आबादी हिस्सा लेगी.
UN Photo/Marco Dormino

2024: ‘महाचुनावी वर्ष’, लोकतंत्र के लिए अहम पड़ाव बनने की सम्भावना

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने उम्मीद जताई है कि इस वर्ष, दुनिया के कई देशों में आयोजित होने जा रहे चुनाव, नफ़रत से दूर रहेंगे और लोगों की आकाँक्षाओं का सम्मान किया जाएगा, मगर ऐसे चेतावनी भरे संकेत भी मिल रहे हैं कि चाड, हंगरी, रूस और सेनेगल समेत कुछ अन्य देशों में शायद ऐसा ना हो.

यूएन महासभा की 10वीं विशेष आपात बैठक का एक दृश्य. (दिसम्बर 2023).
UN Photo/Loey Felipe

ग़ाज़ा मसौदा प्रस्ताव पर अमेरिकी वीटो की जाँच के लिए महासभा की बैठक

संयुक्त राष्ट्र महासभा, युद्धग्रस्त फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा में युद्धविराम के लिए सुरक्षा परिषद में हाल ही में पेश किए गए मसौदा प्रस्ताव पर, अमेरिकी वीटो के प्रयोग की समीक्षा करने के लिए, आज एक एक विशेष बैठक कर रही है. यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब ग़ाज़ा में युद्ध के कारण अकाल के जोखिम के हालात में, हाल ही में भूख से शिशुओं और बच्चों की मौतें हुई हैं. 

इसराइली बमबारी में मध्य ग़ाज़ा के इलाक़ों को भीषण क्षति पहुँची है.
UN News/Ziad Taleb

ग़ाज़ा युद्ध के कारण, वृहद मध्य पूर्व क्षेत्र में टकराव भड़कने की आशंका

ग़ाज़ा युद्ध पर विराम लगाने के प्रयासों के तहत मिस्र में सोमवार को दूसरे दिन भी जारी बातचीत के बीच, मानवाधिकार मामलों के लिए यूएन प्रमुख (OHCHR) ने आगाह किया है कि मौजूदा युद्ध के वृहद क्षेत्र में भड़कने का जोखिम बढ़ रहा है, जिसकी आँच मध्य पूर्व क्षेत्र में स्थित हर देश और उससे परे भी पहुँच सकती है.

इस तरह के मकड़ी बन्दरों की प्रजाति के वजूद को मानव गतिविधियों से बहुत ख़तरा है.
Unsplash/Alexander Schimmeck

'मानव रचनात्मकता कर सकती है, प्रकृति के संरक्षण में मदद

मानवीय गतिविधियों ने पृथ्वी पर वन्य जीवन को नष्ट कर दिया है, मगर मानवीय रचनात्मकता और लगन, वन्य जीवन के संरक्षण में मदद कर सकती है. ये कहना है संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश का, जिन्होंने रविवार को विश्व वन्यजीव दिवस के अवसर पर ये पुकार लगाई है.

ग़ाज़ा में स्वास्थ्य देखभाल के अभाव में, बहुत से बच्चों की मौतें, कुपोषण व पानी की कमी के कारण भी हो रही हैं.
© UNICEF/Eyad El Baba

ग़ाज़ा: 'दुनिया की नज़रों तले धीरे-धीरे ख़त्म हो रहा है शिशुओं का वजूद'

“बच्चों की जिन मौतों के बारे में हमने डर व्यक्त किया था, वो मौतें यहाँ हो रही हैं.” ये कहना है यूनीसेफ़ की एक वरिष्ठ अधिकारी अदेले ख़ोदर का, जिन्होंने ग़ाज़ा में में विशाल स्तर पर और सुरक्षित मानवीय सहायता आपूर्ति की अपील की है.

किसी देश में, एक बच्चा, जिसकी श्रवण क्षमता कमज़ोर है, वो अपने पिता को संकेत भाषा सिखाते हुए.
© UNICEF/Frank Dejongh

श्रवण क्षमता की बेहतरी के लिए चाहिए निवेश और नई सोच

दुनिया भर में 40 करोड़ से अधिक ऐसे लोग हैं जिन्हें सुनने यानि अपनी श्रवण क्षमता बेहतर बनाने के लिए, विशेष यंत्रों की ज़रूरत है, मगर संसाधनों की कमी और समाजों में दकियानूसी सोच के कारण, उन्हें ये सुविधा नहीं मिल पाती है. भारत में भी छह करोड़ से अधिक लोग सुनने की क्षमता में बाधा के साथ जीवन जीते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि शुरुआती समय में ही, इस स्वास्थ्य समस्या की पहचान करने से, अच्छे नतीजे मिल सकते हैं. 

ग़ाज़ा में युद्ध से विस्थापित लोग, एक अस्थाई आश्रय स्थल के पास, खाद्य सामग्री के वितरण की प्रतीक्षा करते हुए.
© UNRWA/Ashraf Amra

सुरक्षा परिषद का, ग़ाज़ा में तुरन्त और सुरक्षित सहायता आपूर्ति पर ज़ोर

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने, ग़ाज़ा में गुरुवार को एक सहायता क़ाफ़िले पर हुई घातक घटना के मद्देनज़र, आम लोगों सुरक्षा पुख़्ता किए जाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है.

ग़ाज़ा में दो महिलाएँ अपने ख़स्ता हाल घरों के पास बैठे हुए. ग़ाज़ा में रहने वाले माता-पिता बहुत निर्धन हालात में रहने के साथ-साथ, अपने बच्चों की बुनियादी खाद्य और पोषण ज़रूरतें पूरी नहीं कर पाते हैं.
WFP/Wissam Nassar

ग़ाज़ा युद्ध में 9 हज़ार महिलाओं की मौत, मलबे और कूड़ा घरों में भोजन की तलाश

ग़ाज़ा युद्ध "महिलाओं पर भी एक युद्ध बन गया है". महिलाएँ इस युद्ध के भीषण व विनाशकारी प्रभावों की लगातार भारी पीड़ा सहन कर रही हैं. यूएन महिला संस्था ने कहा है कि बहुत सी महिलाएँ, अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए, युद्ध में ध्वस्त हुई इमारतों के मलबे और कूड़ा घरों में भोजन की तलाश करने को मजबूर हैं.

यूएन पर्यावरण कार्यक्रम - UNEP की कार्यकारी निदेशक इंगेर ऐंडरसन और यूएन पर्यावरण सभा-6 की अध्यक्ष लीला बेनाली, अन्तिम दिन घोषणा-पत्र जारी होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए.
UNEP/Natalia Mroz

पृथ्वी के साथ इनसानी बर्ताव, ‘दुनिया की पर्यावरण संसद’ में साहसिक निर्णय

मानवता को प्रकृति के साथ किस तरह का बर्ताव करने की ज़रूरत है, रसायनों व कूड़े-कचरे को किस तरह संभाला जाए या फिर भोजन व चीज़ों का अत्यधिक उपभोग करने की समस्या से कैसे निपटा जाए, इस तरह के कुछ मुद्दों पर, यूएन पर्यावरण सभा में साहसिक कार्य योजनाएँ अपनाई गई हैं.

फ़ास्ट फूड रेस्तराँ में भोजन. इस तरह के भोजन से भी मोटापा बढ़ता है.
Unsplash/Christopher William

बढ़ रहा है मोटापा, क़रीब एक अरब लोग चपेट में

दुनिया भर में मोटापा अपना दायरा बढ़ा रहा है. पृथ्वी पर मौजूद हर 8 में से औसतन एक इनसान, मोटापे के साथ जीवन जी रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक नई वैश्विक चिकित्सा रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2022 में लगभग एक अरब लोग मोटापे की चपेट में थे.