'मानव रचनात्मकता कर सकती है, प्रकृति के संरक्षण में मदद
मानवीय गतिविधियों ने पृथ्वी पर वन्य जीवन को नष्ट कर दिया है, मगर मानवीय रचनात्मकता और लगन, वन्य जीवन के संरक्षण में मदद कर सकती है. ये कहना है संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश का, जिन्होंने रविवार को विश्व वन्यजीव दिवस के अवसर पर ये पुकार लगाई है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरश ने इस दिवस पर जारी अपने सन्देश में, प्रकृति की रक्षा के लिए तुरन्त कार्रवाई करने का आहवान किया है.
विश्व वन्यजीव दिवस, की इस वर्ष की थीम, इस बात पर केन्द्रित है कि डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ, ऐसे समय में वन्यजीव संरक्षण को किस तरह बढ़ावा दे सकती हैं, जब प्रदूषण, जलवायु अराजकता, निवास स्थान की हानि और प्रकृति का शोषण जैसी समस्याएँ, लाखों पौधों और जानवरों की प्रजातियों को विलुप्त होने के ख़तरे में डाल रही हैं.
कोई ‘जादू की छड़ी नहीं’
यूएन प्रमुख ने कहा है कि पहले से ही, ख़तरे में पड़े जानवरों का पता लगाने में, उपग्रहों से मदद ली जा रही है, और डेटा वन्यजीव के प्रवासन और भूमि उपयोग का ख़ाका बना रहा है, उनके संरक्षण के प्रयासों में सहयोग कर रहा है. "मगर वे हमारे शस्त्रागार में एक उपकरण हैं, जादू की कोई छड़ी नहीं."
उन्होंने वन्यजीवों के संरक्षण और एक न्यायसंगत, टिकाऊ वैश्विक भविष्य के निर्माण में मदद के लिए, ठोस प्रयासों की आवश्यकता पर ज़ोर दिया.
महासचिव ने देशों से कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी लाने, चरम जलवायु के अनुकूल ढलने, प्रदूषण को रोकने और जैव विविधता के नुक़सान को कम करने के लिए, तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया.
विश्व वन्यजीव दिवस, हर साल 3 मार्च को मनाया जाता है और 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने, पृथ्वी ग्रह की वनस्पतियों और जीवों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और जश्न मनाने के लिए शुरू किया था.
यह तारीख़ उस दिन को भी चिह्नित करती है जब वर्ष 1973 में, वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अन्तरराष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) को अपनाया गया था.