वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

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म्यांमार में कोविड-19 महामारी और असुरक्षा ने सर्वाधिक निर्बलों को निर्धनता की ओर धकेल दिया है.
© UNICEF/Nyan Zay Htet

म्याँमार: स्थानीय जनता के लिये, 2022 में 'अभूतपू्र्व' संकट पैदा होने की आशंका

संयुक्त राष्ट्र का एक विश्लेषण दर्शाता है कि म्याँमार की जनता के लिये, वर्ष 2022 में एक अभूतपूर्व राजनैतिक, सामाजिक-आर्थिक, मानवाधिकार व मानवीय संकट पैदा हो सकता है. यूएन के मुताबिक़, कोविड-19 की गम्भीर तीसरी लहर और सैन्त तख़्तापलट के बाद से ज़रूरतमन्दों की संख्या बढ़ी है. 

 

सीरिया में हिंसा के कारण अपना घर छोड़कर जाने के लिये मजबूर एक परिवार.
© UNICEF/Omar Sanadiki

हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में बचपन: व्यथा को बयाँ कर पाना मुश्किल

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने आगाह किया है कि विश्व के अनेक देशों में हिंसक संघर्ष, अन्तर-सामुदायिक हिंसा और असुरक्षा के कारण बच्चों के लिये विनाशकारी हालात, वर्ष 2021 में भी बने रहे.

कोविड-19 महामारी के दौरान, संयुक्त राष्ट्र में कामकाज जारी रहा.
UN Photo/Manuel Elias

2021: कुछ अहम घटनाओं पर एक वीडियो नज़र

अनेक संकटों से घिरे रहे वर्ष 2021 के दौरान, कोरोनावायरस संकट, हिंसक संघर्ष व टकराव से लेकर शरणार्थियों व विस्थापितों की सुरक्षा, मानवाधिकारों के हनन, और विशाल संख्या में ज़रूरतमन्दों के लिये मानवीय सहायता पहुँचाने तक, दुनिया को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिनसे निपटने में संयुक्त राष्ट्र ने अग्रणी भूमिका निभाई. एक वीडियो नज़र...

कॉप26 सम्मेलन स्थल के बाहर प्रदर्शनकारी.
Conor Lennon/ UN News

2021 पर एक नज़र: जलवायु कार्रवाई, या आँय, बाँय, शाँय?

इस वर्ष, संयुक्त राष्ट्र समर्थित रिपोर्टों और ग्लासगो में यूएन के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप26) में निरन्तर यह कड़ा सन्देश दोहराया गया: मानव गतिविधियों की वजह से जलवायु परिवर्तन, ना केवल तात्कालिक बल्कि पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिये बहुत बड़ा ख़तरा है. क्या जलवायु संकट से निपटने के लिये अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों के सार्थक नतीजे सामने आएँगे?

म्याँमार के यंगून शहर में, एक मन्दिर में लोग प्रार्थना करते हुए
Unsplash/Matteo Massimi

म्याँमार: सुरक्षा परिषद ने हमले में आम लोगों के मारे जाने की निन्दा की

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों ने म्याँमार के कायाह प्रान्त में हमले में कम से कम 35 लोगों के मारे जाने की निन्दा करते हुए कहा है कि इस घटना के दोषियों की जवाबदेही तय की जानी होगी. मृतकों में चार बच्चे, और ‘सेव द चिल्ड्रन’ नामक संगठन के दो कर्मचारी भी हैं.   

इण्डोनेशिया के ऐलोर द्वीप की तट रेखा.
Ocean Image Bank/Erik Lukas

इण्डोनेशिया: समुद्र में फँसे रोहिंज्या शरणार्थियों को बचाये जाने की अपील

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने इण्डोनेशिया के तट के पास समुद्र में फँसे, रोहिंज्या शरणार्थियों के समूह तक तत्काल, जीवनरक्षक सहायता पहुँचाने और उन्हें नाव से सुरक्षित उतारे जाने की पुकार लगाई है. 

क्यूबा के एक अस्पताल में कोविड-19 संक्रमित मरीज़ का उफचार किया जा रहा है.
Proyecto Naturaleza Secreta

कोविड-19: 40 फ़ीसदी आबादी के टीकाकरण में विफलता, 'नैतिक शर्मिन्दगी'

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है कि वर्ष 2021 के अन्त तक 40 फ़ीसदी विश्व आबादी के टीकाकरण का लक्ष्य पूरा कर पाना सम्भव था, मगर उसमें मिली विफलता एक नैतिक शर्मिन्दगी है और इसकी क़ीमत, लोगों को अपने जीवन से चुकानी पड़ी है. 

अफ़ग़ानिस्तान में एक युवा शरणार्थी अपने छोटे बच्चे को गोद में लिये हुए, तुर्की से सुरक्षित लेस्बोस द्वीप पर पहुँचने के बाद.
UNHCR/Achilleas Zavallis

2021 पर एक नज़र: यात्रा पाबन्दियों के बावजूद शरणार्थियों व प्रवासियों की संख्या में वृद्धि 

वैश्विक महामारी-सम्बन्धी यात्रा पाबन्दियों के कारण वर्ष 2021 में अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन के आँकड़ों में भले ही कमी दर्ज की गई हो, हिंसक संघर्ष, टकराव व उत्पीड़न के कारण अपना घर छोड़कर जाने के लिये मजबूर होने वाले लोगों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई है. 

न्यूयॉर्क के ब्रान्क्स हाई स्कूल में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, जहाँ उन्होंने कोविड-19 वैक्सीन की दूसरी खुराक ली.
UN Photo/Eskinder Debebe

महासचिव का नव-वर्ष सन्देश: 2022 के लिये पुनर्बहाली के संकल्प का आहवान

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने 2022 के अपने नव-वर्ष सन्देश में आमजन, पृथ्वी व समृद्धि के लिये, पुनर्बहाली का संकल्प लिये जाने की पुकार लगाई है.

म्याँमार में यंगून शहर का एक दृश्य.
Unsplash/Alexander Schimmeck

म्याँमार: हमले में बच्चों, राहतकर्मियों व आम नागरिकों के मारे जाने की कड़ी निन्दा

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने म्याँमार में कम से कम 35 लोगों को मार दिये जाने के बाद, उनके शवों को कथित रूप से जलाये जाने की घटना को स्तब्धकारी बताया है. मृतकों में चार बच्चे और एक मानवीय राहत संगठन के दो कर्मचारी भी हैं.