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ग़ाज़ा: 'दुनिया की नज़रों तले धीरे-धीरे ख़त्म हो रहा है शिशुओं का वजूद'

ग़ाज़ा में स्वास्थ्य देखभाल के अभाव में, बहुत से बच्चों की मौतें, कुपोषण व पानी की कमी के कारण भी हो रही हैं.
© UNICEF/Eyad El Baba
ग़ाज़ा में स्वास्थ्य देखभाल के अभाव में, बहुत से बच्चों की मौतें, कुपोषण व पानी की कमी के कारण भी हो रही हैं.

ग़ाज़ा: 'दुनिया की नज़रों तले धीरे-धीरे ख़त्म हो रहा है शिशुओं का वजूद'

मानवीय सहायता

“बच्चों की जिन मौतों के बारे में हमने डर व्यक्त किया था, वो मौतें यहाँ हो रही हैं.” ये कहना है यूनीसेफ़ की एक वरिष्ठ अधिकारी अदेले ख़ोदर का, जिन्होंने ग़ाज़ा में में विशाल स्तर पर और सुरक्षित मानवीय सहायता आपूर्ति की अपील की है.

मध्य पूर्व और उत्तर अफ़्रीका के लिए यूनीसेफ़ की क्षेत्रीय निदेशक अदेले ख़ोदर ने कहा है कि ग़ाज़ा में, दुनिया की नज़रों के सामने ही, बच्चों का वजूद धीरे-धीरे ख़त्म होता जा रहा है.

ऐसी ख़बरें मिली हैं कि हाल के दिनों में ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में स्थित कमाल अदवान अस्पताल में, शरीर में पानी की कमी होने और कुपोषण के कारण, कम से कम 10 बच्चों की मौत हो गई है.

बेबसी और निराशा

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अदेले ख़ोदर ने चेतावनी दी है कि ग़ाज़ा पट्टी के बचे हुए कुछ अस्पतालों में से इस एक अस्पताल में, "सम्भवतः अधिक बच्चे अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं".

और शायद उत्तरी इलाक़े में, और भी अधिक ऐसे बच्चे हैं जिन्हें स्वास्थ्य देखभाल बिल्कुल भी नहीं मिल पा रही है.

उन्होंने कहा कि बच्चों के माता-पिता और डॉक्टर, असहायता और निराशा की असहनीय भावना महसूस कर रहे होंगे, जब उन्हें यह मालूम होता होगा कि जीवनरक्षक सहायता, उनकी पहुँच से दूर रखी जा रही है, भले ही वह कुछ ही किलोमीटर उपलब्ध हो.

"लेकिन इससे भी बुरी बात यह है कि दुनिया की नज़रों के सामने धीरे-धीरे, उन बच्चों की पीड़ा भरी चीख़ें हमेशा के लिए ख़ामोश हो रही हैं."

"हज़ारों शिशुओं और बच्चों का जीवन अब, तुरन्त की जाने वाली सहायता कार्रवाई पर निर्भर है."

जीवन की डोर मात्र

यूनीसेफ़ ने भय व्यक्त किया है कि जब तक युद्ध समाप्त नहीं होगा और मानवीय राहत में आने वाली बाधाओं का तुरन्त समाधान नहीं किया जाएगा, तब तक और अधिक बच्चों का जीवन इसी तरह समाप्त हो जाएगा.

अदेले ख़ोदर ने कहा कि पौष्टिक भोजन, सुरक्षित पानी और चिकित्सा सेवाओं की व्यापक कमी की स्थिति, पहुँच में आने वाली बाधाओं और संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता अभियानों के सामने आने वाले बहुत से ख़तरों का सीधा नतीजा है.

यह स्थिति बच्चों और माताओं को प्रभावित कर रही है, जिससे उनके बच्चों को स्तनपान कराने की क्षमता में बाधा आ रही है. ऐसे हालात, विशेष रूप से उत्तरी ग़ाज़ा इलाक़े में हैं, जहाँ लोग भूखे, थके हुए और सदमे में हैं, जिनमें से बहुत से लोग तो जीवन की डोर से बस चिपके हुए हैं.

उन्होंने कहा कि ग़ाज़ा के उत्तरी और दक्षिणी इलाक़ों में असमान हालात होना इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि उत्तर में सहायता प्रतिबन्धों के कारण लोगों की जानें जा रही है."

अकाल टालें, जीवन बचाएँ

अदेले ख़ोदर ने कहा कि यूनीसेफ़ जैसी मानवीय सहायता एजेंसियों को, मानवीय संकट को दूर करने, अकाल को रोकने और बच्चों की जान बचाने के लिए सक्षम किया जाना होगा.

उन्होंने कहा, “इसके लिए हमें विश्वसनीय और एक से अधिक प्रवेश बिन्दुओं की आवश्यकता है, जो हमें उत्तरी ग़ाज़ा सहित सभी सम्भावित सीमा चौकियों से सहायता लाने की अनुमति दे सके.”

“और सुरक्षा आश्वासन व ग़ाज़ा भर में बड़े पैमाने पर सहायता वितरित करने के लिए ऐसे निर्बाध मार्ग भी खुलें, जिनके लिए कोई प्रशासनिक इनकार, देरी और पहुँच सम्बन्धी बाधाएँ नहीं हों.”

उन्होंने याद दिलाया कि यूनीसेफ़ अक्टूबर से ही चेतावनी देता आ रहा है कि अगर मानवीय संकट पैदा हुआ और इसे यूँ ही छोड़ दिया गया, तो ग़ाज़ा में मौत का शिकार होने वाले लोगों की संख्या तेज़ी से बढ़ जाएगी.

स्थिति और भी ख़राब हो गई है, और पिछले सप्ताह एजेंसी ने चेतावनी दी थी कि अगर बढ़ते पोषण संकट का समाधान नहीं किया गया, तो बच्चों की मौतों में बेतहाशा स्तर पर बढ़ोत्तरी की प्रबल आशंका है.

उन्होंने कहा, "हमें जिन बच्चों की मौतें होने की आशंका थी, वो मौतें यहाँ हो रही हैं, और जब तक युद्ध समाप्त नहीं होता और मानवीय राहत की बाधाओं को तुरन्त हल नहीं किया जाता, तब तक इन मौतों में तेज़ी से बढ़ोत्तरी होने की सम्भावना है."