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यूएन झरोखा: कॉलिन पॉवेल की प्रस्तुति, जिसने शुरू कर दिया था इराक़ युद्ध
अब से 21 वर्ष पहले, साल 2003 में, अमेरिकी विदेश मंत्री कॉलिन पॉवेल ने, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में नीली टोपी वाली एक पतली-छोटी सी शीशी, हाथों में हिलाते-डुलाते हुए दावा किया गया था कि इराक़ और वहाँ के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन, सामूहिक विनाश के हथियार (WMD) का उत्पादन कर रहे थे.
जूलियन असांज प्रत्यर्पण मामला: ख़ास बिन्दु
विकीलीक्स संस्थापक जूलियन असांज के संयुक्त राज्य अमेरिका को प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई, लन्दन स्थित उच्च न्यायालयम में 20 और 21 फ़रवरी को हुई है. जूलियन असांज इस समय ब्रिटेन की एक उच्च सुरक्षा जेल में बन्द हैं. संयुक्त राष्ट्र की एक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ऐलिस जिल ऐडवर्ड्स ने इस सुनवाई के सन्दर्भ में आगाह किया कि इस मामले के नतीजे वैश्विक पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते हैं. वीडियो फ़ीचर...
ग़ाज़ा: रफ़ाह में विस्थापितों की बेबसी
यूएन ने चेतावनी दी है कि इसराइल ने रफ़ाह में अगर पूरे पैमाने का आक्रमण किया तो वह, राहत सहायता के सारे दरवाज़े बन्द कर देगा. एक वीडियो रिपोर्ट...
ग़ाज़ा के विस्थापितों का दर्द, भय और आशंका के साए में ज़िन्दगी
रफ़ाह में शरण लेने वाले फ़लस्तीनी जन, भय और आशंका के साए में जी रहे हैं. घनी आबादी वाले इस इलाक़े में टकराव बढ़ता जा रहा है, जहाँ 15 लाख से अधिक लोगों ने शरण ली हुई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि ग़ाज़ा में कोई भी स्थान सुरक्षित नहीं है और लोग अकल्पनीय परिस्थितियों में रह रहे हैं. विस्थापन और घायलों की एक नई लहर से, लोगों के स्वास्थ्य और मानसिक कल्याण पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा. इससे पहले से ही बोझ तले दबी स्वास्थ्य प्रणाली पर आघात बढ़ेगा - जिससे स्वास्थ्य व्यवस्था के टूटने के कगार पर पहुँचने के आसार बढ़ जाएँगे. एक वीडियो.
विश्व रेडियो दिवस: दक्षिण सूडान में जन जागरूकता में रेडियो की महत्ता
हर साल 13 फ़रवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है. रेडियो जनसंचार का एक महत्वपूर्ण माध्यम है, जोकि 100 साल से भी अधिक पुराना है. रेडियो दिवस एक अवसर है, इस माध्यम के इतिहास को फिर से देखने का, समाज और समुदाय में उसकी भूमिका को समझने का. दक्षिण सूडान में भी संयुक्त राष्ट्र मिशन के रेडियो मिराया ने, जनजागरूकता में अहम भूमिका निभाई है. एक वीडियो फ़ीचर...
ग़ाज़ा: रफ़ाह में सैन्य कार्रवाई से, ‘कल्पना से भी परे तबाही’ होने की आशंका
संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी जारी की है कि यदि इसराइली बलों ने दक्षिणी ग़ाज़ा में स्थित रफ़ाह में सैन्य कार्रवाई शुरू की तो उससे होने वाली तबाही की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. ग़ाज़ा में युद्ध के कारण अन्य हिस्सों से विस्थापित हुए लाखों लोगों ने जान बचाने के लिए रफ़ाह के छोटे से इलाक़े में शरण ली हुई है.
रफ़ाह में सैन्य हमलों से, क़त्लेआम का रास्ता निकलने का ख़तरा, मार्टिन ग्रिफ़िथ्स
संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत मामलों के समन्वयक मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने मंगलवार को कहा है कि ग़ाज़ा के दक्षिणी इलाक़े रफ़ाह में, अगर इसराइल का सम्भावित सैन्य हमला होता है तो, उससे आम लोगों के क़त्लेआम का रास्ता निकल सकता है और पहले से ही कमज़ोर पड़ चुके मानवीय सहायता अभियान को भी मौत के दरवाज़े पर धकेल दिया जाएगा.
रफ़ाह में, इसराइल के सम्भावित हमले को लेकर, ग़ाज़ावासियों में भारी चिन्ता
फ़लस्तीनियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA के मुखिया फ़िलिपे लज़ारिनी ने, मंगलवार को चेतावनी दी कि ग़ाज़ा पट्टी में रहने वाले लोग इसराइल के साथ युद्ध से गहरे सदमे में हैं और रफ़ाह पर इसराइल के सम्भावित पूर्ण पैमाने पर हमले के बारे में उनके भीतर भारी डर है. इस बीच ग़ाज़ा में युद्धविराम सुनिश्चित करने के लिए अन्तरराष्ट्रीय प्रयास जारी हैं.
UNRWA की कार्य तटस्थता प्रक्रिया की जाँच के लिए, समीक्षा समूह का गठन
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने यह आकलन करने के लिए एक स्वतंत्र समीक्षा समूह का गठन किया है कि फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA, अपनी कार्य तटस्थता सुनिश्चित करने के लिए, अपनी शक्तियों के भीतर सभी कुछ कर रही है या नहीं.
ग़ाज़ा - UNRWA है लाखों लोगों का आख़िरी सहारा
हमास के साथ, अपने लगभग 12 कर्मचारियों की मिलीभगत के आरोपों का सामना कर रही, संयुक्त राष्ट्र एजेंसी - UNRWA का वित्त-पोषण बन्द करने के "विनाशकारी परिणाम" सामने आने की आशंका. यह एजेंसी फ़लस्तीनी शरणार्थियों की मदद के लिए, संयुक्त राष्ट्र ने 1949 में गठित की थी. (वीडियो)