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रफ़ाह में सैन्य हमलों से, क़त्लेआम का रास्ता निकलने का ख़तरा, मार्टिन ग्रिफ़िथ्स

दक्षिणी ग़ाज़ा पट्टी के रफ़ाह शहर में नष्ट हुए घरों के मलबे के पास से गुज़रता एक लड़का.
© UNICEF/Eyad El Baba
दक्षिणी ग़ाज़ा पट्टी के रफ़ाह शहर में नष्ट हुए घरों के मलबे के पास से गुज़रता एक लड़का.

रफ़ाह में सैन्य हमलों से, क़त्लेआम का रास्ता निकलने का ख़तरा, मार्टिन ग्रिफ़िथ्स

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत मामलों के समन्वयक मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने मंगलवार को कहा है कि ग़ाज़ा के दक्षिणी इलाक़े रफ़ाह में, अगर इसराइल का सम्भावित सैन्य हमला होता है तो, उससे आम लोगों के क़त्लेआम का रास्ता निकल सकता है और पहले से ही कमज़ोर पड़ चुके मानवीय सहायता अभियान को भी मौत के दरवाज़े पर धकेल दिया जाएगा.

उन्होंने जिनीवा में कहा, जिस परिदृश्य के बारे में हम लम्बे समय से भयभीत थे, वह चिन्ताजनक गति से वास्तविकता में तब्दील होता नज़र आ रहा है.

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उन्होंने कहा, “ग़ाज़ा की आधी से अधिक आबादी यानि लगभग 10 लाख लोग - रफ़ाह में फँसे हुए हैं, मौत का सामना कर रहे हैं: उनके पास खाने के लिए बहुत कम सामान है, चिकित्सा देखभाल तक शायद ही कोई पहुँच है, सोने के लिए कोई जगह नहीं, और उनके लिए कोई स्थान सुरक्षित नहीं है.”

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा कि रफ़ाह में ठहरे हुए लोग भी, ग़ाज़ा की अन्य पूरी आबादी की तरह, एक ऐसे हमले के शिकार हैं जो अपनी तीव्रता, क्रूरता और दायरे में अभूतपूर्व है.

उन्होंने कहा कि ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पूरे ग़ाज़ा में 28 हज़ार से अधिक लोग मारे गए हैं - जिनमें ज़्यादातर महिलाएँ और बच्चे हैं.

“चार महीने से अधिक समय से, मानवीय सहायता कार्यकर्ता, ज़रूरतमन्द लोगों की सहायता करने के लिए, लगभग असम्भव कार्य कर रहे हैं, बावजूद इसके कि वे स्वयं जोखिमों का सामना कर रहे थे और वे आघात सह रहे थे.”

उन्होंने कहा कि, लेकिन समर्पण और सदभावना की कोई भी मात्रा, ऐसे हालात में, लाखों लोगों को जीवित रखने, भोजन देने और सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त नहीं है – जबकि हर तरफ़ बम गिर रहे हैं और सहायता आपूर्ति बन्द हो गई है.

अपार मुश्किलें

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा कि इन हालात में, व्यापक निराशा, क़ानून और व्यवस्था का टूटना और UNRWA के लिए धन मदद को स्थगति किए जाने से, भी कठिनाइयाँ और बढ़ गई हैं.

“इसका परिणाम यह हो रहा है कि मानवीय सहायता कर्मियों को गोली मार दी जा रही है, बन्दूक की नोक पर रखा जाता है, उन पर हमला किया जाता है, और कुछ को मार भी दिया जा रहा है.”

उन्होंने कहा, “मैं कई सप्ताह से कहता आ रहा हूँ कि हमारी मानवीय सहायता प्रतिक्रिया जर्जर हो चुकी है. आज, मैं एक बार फिर से चेतावनी दे रहा हूँ: रफ़ाह में सैन्य अभियान चलाने से, ग़ाज़ा में जनसंहार हो सकता है. सम्भावित हमलों से, पहले से ही जर्जर हो चुके मानवीय सहायता अभियान, मौत के दरवाज़े पर पहुँच सकते हैं.”

मानवीय सहायता समन्वयक ने कहा कि इस सहायता अभियान को जारी रखने के लिए, एजेंसियों के पास सुरक्षा गारंटी, सहायता सामग्री और स्टाफ़ क्षमता का अभाव है.

उन्होंने कहा, “अन्तरराष्ट्रीय समुदाय, रफ़ाह में इसराइल के किसी भी ज़मीनी आक्रमण के ख़तरनाक परिणामों के प्रति चेतावनी देता रहा है. इसराइल सरकार इन पुकारों को नजरअन्दाज नहीं कर सकती.”

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने युद्धविराम की पुकारों को दोहराते हुए कहा, “इतिहास दयालु नहीं होगा. यह युद्ध ख़त्म होना चाहिए.”