![विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के स्वास्थ्यकर्मी बिहार में कोविड-19 के लिये सीरम विज्ञान परीक्षण कर रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के स्वास्थ्यकर्मी बिहार में कोविड-19 के लिये सीरम विज्ञान परीक्षण कर रहे हैं.](https://global.unitednations.entermediadb.net/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/Libraries/Production+Library/07-01-21_WHO_Bihar_serosurvey.jpg/image770x420cropped.jpg)
जब कोविड-19 महामारी भारत में फैली, तो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 2600 से अधिक विशेषज्ञों और क्षेत्र कर्मियों के अपने उस नैटवर्क को सक्रिय किया, जिसके ज़रिये पहले भी, सरकार और अन्य साझीदार संगठनों के साथ मिलकर भारत को पोलियो-मुक्त बनाने में मदद की गई थी. इस नैटवर्क ने कोविड-19 से निपटने के लिये, निगरानी बढ़ाने, सम्पर्क अनुरेखण (Contact tracing), क्षमता-निर्माण, प्रयोगशाला में जाँच, अस्पतालों की तैयारी, संक्रमण की रोकथाम व नियंत्रण और जोखिम संचार व सामुदायिक जुड़ाव के क्षेत्रों में मिलकर काम किया.
![भारत के नागालैंड राज्य में, एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा दिया गया फेस मास्क दिखा रही हैं. भारत के नागालैंड राज्य में, एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा दिया गया फेस मास्क दिखा रही हैं.](https://global.unitednations.entermediadb.net/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/Libraries/Production+Library/07-01-21_UNDP_PPE_EVIN.jpg/image770x420cropped.jpg)
स्वास्थ्य कार्यकर्ता, हर किसी को सुरक्षित रखने के लिये अपनी जान जोखिम में डालकर अग्रिम मोर्चों पर डटे हैं और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ उन्हें संक्रमण से सुरक्षित रखने में भारत सरकार की सक्रिय मदद कर रहे हैं. भारत में यूएनडीपी ने अब तक 8 प्रदेशों के स्वास्थ्य विभागों को लगभग 10 लाख सुरक्षा उपकरण वितरित किये हैं. साथ ही, लगभग पाँच लाख सुरक्षा किटें और 6 करोड़ किलो खाद्य सामग्री, क़रीब 2 लाख स्वच्छता कर्मचारियों तक पहुँचाए गए हैं.
![भारत के उत्तरी राज्य, उत्तर प्रदेश में फील्ड मॉनिटर, कोविड-19 मामलों के संपर्क में आए लोगों का पता लगा रहे हैं. भारत के उत्तरी राज्य, उत्तर प्रदेश में फील्ड मॉनिटर, कोविड-19 मामलों के संपर्क में आए लोगों का पता लगा रहे हैं.](https://global.unitednations.entermediadb.net/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/Libraries/Production+Library/07-01-21_India_WHO_Contact_tracing.jpg/image770x420cropped.jpg)
उत्तर प्रदेश में कार्यकर्ता, प्रयोगशाला द्वारा पुष्ट हुए कोविड-19 के संक्रमण मामलों से फोन पर बातचीत करके, WHO द्वारा तैयार प्रश्नावली के आधार पर जानकारी अर्जित कर रहे हैं. सम्पर्क संरेखण (Contract tracing), महामारी को नियन्त्रित करने के लिये एक आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य उपकरण है. WHO ने राज्य सरकार को सम्पर्क अनुरेखण (Contact tracing) प्रयासों को बढ़ावा देने के लिये तकनीकी सहायता प्रदान की है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम ने, अगस्त में, उत्तर प्रदेश के 75 ज़िलों में, कोविड-19 के संक्रमण के, 58 हज़ार प्रयोगशाला-पुष्ट मामलों के बीच सम्पर्क की स्थिति और गुणवत्ता का आकलन किया.
![राजस्थान के जैसलमेर शहर में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राजेंद्र और नर्स-दाई रुक्मणी कौर फ्रंटलाइन जैसे कार्यकर्ता यह सुनिश्चित करते हैं कि महामारी के दौरान ज़रूरतमंद लोगों की महत्वपूर्ण यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच हो. राजस्थान के जैसलमेर शहर में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राजेंद्र और नर्स-दाई रुक्मणी कौर फ्रंटलाइन जैसे कार्यकर्ता यह सुनिश्चित करते हैं कि महामारी के दौरान ज़रूरतमंद लोगों की महत्वपूर्ण यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच हो.](https://global.unitednations.entermediadb.net/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/Libraries/Production+Library/07-01-21_UNFPA_India_Health_services.jpg/image770x420cropped.jpg)
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूनीसेफ़ (UNICEF) समेत, संयुक्त राष्ट्र की पूरी टीम ने, भारत में प्रजनन, मातृ, नवजात शिशु व किशोर स्वास्थ्य (RMNCH + A) सेवाओं की निरन्तरता सुनिश्चित करने हेतु, कोविड की रोकथाम के लिये आवश्यक आपूर्ति, नर्सों व चिकित्सा कर्मचारियों को प्रशिक्षण व तकनीकी सहायता प्रदान की है.
![सितंबर में,यूएनएफ़पीए ने राजस्थान राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर,'नौबत बाजा'पहल के तहत एक संचार अभियान शुरू किया,जिसमें कोविड-19 और प्रजनन,मातृ, नवजात शिशु,बच्चे और किशोर स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित किया गया. सितंबर में,यूएनएफ़पीए ने राजस्थान राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर,'नौबत बाजा'पहल के तहत एक संचार अभियान शुरू किया,जिसमें कोविड-19 और प्रजनन,मातृ, नवजात शिशु,बच्चे और किशोर स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित किया गया.](https://global.unitednations.entermediadb.net/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/Libraries/Production+Library/07-01-21_UNFPA_Communication_Campaign_Naubat_Baja.jpg/image770x420cropped.jpg)
UNFPA का, कोविड-19 और प्रजनन, मातृ, नवजात शिशु, बच्चे और किशोर स्वास्थ्य पर केन्द्रित अभियान, राजस्थान के सबसे ज़्यादा प्रभावित ज़िलों में अनुमानित पाँच लाख लोगों तक पहुँचा. भारत में संयुक्त राष्ट्र की टीम, जागरूकता फैलाने, पूर्वाग्रहों को ख़त्म करने और वायरस को लेकर ग़लत जानकारी के प्रसार की रोकथाम के लिये, राष्ट्रीय और स्थानीय सरकारों के साथ मिलकर काम करती है.
![झारखंड राज्य में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) के दौरान, एक स्वास्थ्यकर्मी कटोरी में दवा दे रही हैं. झारखंड राज्य में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) के दौरान, एक स्वास्थ्यकर्मी कटोरी में दवा दे रही हैं.](https://global.unitednations.entermediadb.net/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/Libraries/Production+Library/07-01-21_UNFPA_Jharkhand_medicines_social_distancing.jpg/image770x420cropped.jpg)
समुदायों में लिम्फ़ैटिक फ़िलेरिएसिस के जोखिम को कम करने के प्रयासों में, जन स्तर पर औषधि प्रबन्धन (एमडीए) के तहत निवारक कीमोथैरेपी देना, एक रणनीति है. जब कोविड-19 का प्रकोप शुरू हुआ, तो लिम्फ़ैटिक फ़िलेरिएसिस (LF) की रोकथाम की दवाओं का वितरण एक चुनौती बन गया. तब सरकारी अधिकारी और उनके सहयोगियों ने, बिना सम्पर्क किये, दवाओं के वितरण का यह सरल तरीक़ा अपनाया – यानि दूरी बरक़रार रखते हुए, कटोरी में दवा देना. WHO ने इस अभियान में तकनीकी सहायता, निगरानी और प्रशिक्षण देकर, राज्य सरकार को सक्रिय सहयोग दिया.
![एक सामुदायिक रेडियोकर्मी, संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) समर्थित प्रशिक्षण सत्र में भाग ले रही हैं. एक सामुदायिक रेडियोकर्मी, संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) समर्थित प्रशिक्षण सत्र में भाग ले रही हैं.](https://global.unitednations.entermediadb.net/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/Libraries/Production+Library/07-01-21_India_Community_Radio_awareness.jpg/image770x420cropped.jpg)
कोविड-19 को लेकर ग़लत सूचनाओं और अफ़वाहों के फैलाव से निपटने के उद्देश्य से यूनेस्को और ‘मारा’ परियोजना के अन्तर्गत, सामुदायिक रेडियो स्टेशनों का एक राष्ट्रीय नैटवर्क शुरू किया गया. इसमें ज़रूरी जानकारी और आपसी सहयोग के ज़रिये, ‘दुष्प्रचार की महामारी’ के ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू की गई. सामुदायिक रेडियो "अति-स्थानीय" माध्यम हैं जो क्षेत्रीय भाषा में विश्वसनीय सामग्री प्रसारित करके, समुदायों में जागरूकता बढ़ाने में मदद कर सकते हैं.
![सेलिना डी कोस्टा गोवा मेडिकल कॉलेज के एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी सेंटर में एंटीरेट्रोवाइरल दवाएँ छाँट रही हैं. सेलिना डी कोस्टा गोवा मेडिकल कॉलेज के एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी सेंटर में एंटीरेट्रोवाइरल दवाएँ छाँट रही हैं.](https://global.unitednations.entermediadb.net/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/Libraries/Production+Library/07-01-21_UNAIDS_Human_Touch.jpg/image770x420cropped.jpg)
गोवा में एण्टी-रैट्रोवायरल थैरेपी पर निर्भर एचआईवी के संक्रमित 3000 से अधिक लोगों के लिये, नए वायरस का डर और एचआईवी उपचार तक पहुँच मुश्किल होने से, कोविड-19 का प्रकोप और तालाबन्दी बड़ी चिन्ता का विषय थे. ऐसे में, यूएन-एड्स द्वारा समर्थित, समुदाय-आधारित संगठन, ह्यूमन टच फाउण्डेशन ने तुरन्त कार्रवाई की और स्वयंसेवकों को संगठित करके, जीवन रक्षक दवाएँ वितरित कीं. यूएन-एड्स, सरकार और समुदाय-आधारित संगठनों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने में प्रयासरत है कि ज़रूरतमन्द लोगों तक दवाएँ पहुँच सकें.
भारत में यूएन सक्रियता की झलकियों का दूसरा भाग यहाँ देखा जा सकता है...