वीडियो - हब (Video-Hub)
ग़ाज़ा: ढाँचा बहाली के साथ-साथ, भरने होंगे रूह के ज़ख़्म भी, काग
युद्ध से तबाह ग़ाज़ा पट्टी में मानवीय सहायता की आपूर्ति में समन्वय की ज़िम्मेदारी संभाल रहीं सिगरिड काग ने कहा है कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय का ये कर्तव्य और ज़िम्मेदारी है कि वो ग़ाज़ा में जल्द से जल्द पुनर्बहाली के लिए काम करे, मगर, “हम वहाँ की आबादी से और इन्तज़ार करने को नहीं कह सके.”
अफ़ग़ानिस्तान: FAO की मदद से, खाद्य असुरक्षा से निपटने के प्रयास
अफ़ग़ानिस्तान खाद्य असुरक्षा के गम्भीर दौर से गुज़र रहा है. देश में बाढ़ और भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ सूखे जैसी चरम जलवायु घटनाओं के कारण, डेढ़ करोड़ से अधिक लोग पर्याप्त भोजन ना मिलने की चुनौती से जूझ रहे हैं. इसके मद्देनज़र, अफ़ग़ानिस्तान में खाद्य एवं कृषि संस्थान (FAO) की एक परियोजना के ज़रिए, देश को खाद्य असुरक्षा की स्थिति से बाहर निकालने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयास किए जा रहे हैं. एक वीडियो...
ग़ाज़ा: युद्ध से बच्चों के तालीम सपने तार-तार, स्कूल बने हमलों के सीधे निशाना
संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक विश्लेषण में कहा गया है कि ग़ाज़ा पट्टी में, लगभग छह महीने की इसराइली भीषण बमबारी में 212 स्कूलों को “सीधे रूप” में निशाना बनाया गया है. सैटेलाइट तस्वीरों में नज़र आता है कि 7 अक्टूबर 2023 को भड़के इस युद्ध में, कम से कम 53 स्कूल पूरी तरह तबाह हो गए हैं, जिससे बच्चों के शिक्षा सपने तार-तार होकर बिखर गए हैं. वीडियो...
IFAD – मलावी में महिला किसानों का हौसला और मुनाफ़ा बढ़ाने की मुहिम
लैंगिक समानता और महिला मज़बूती में निवेश न केवल पहले से कहीं अधिक ज़रूरी है, बल्कि यह आर्थिक विकास, खाद्य सुरक्षा, आय के अवसर और बेहतर जीवन के लिए कुशल निवेश भी है, ख़ासतौर पर ग्रामीण इलाक़ों में जहाँ दुनिया के निर्धनतम लोग रहते हैं. इसी के मद्देनज़र, संयुक्त राष्ट्र अन्तरराष्ट्रीय कोष - IFAD, मलावी में कृषि विकास के लिए ग्रामीण इलाक़ों में लैंगिक असमानता दूर करने में मदद करने के लिए निवेश कर रहा है. वीडियो फ़ीचर.
#CSW68: लैंगिक हिंसा, महिला मज़बूती के रास्ते में है एक बड़ी बाधा, यूएन वीमैन
महिलाओं की स्थिति पर आयोग (CSW68) की वार्षिक 68वीं बैठक, यूएन मुख्यालय में 11 से 22 मार्च तक आयोजित हुई, जिसमें दुनिया भर से, महिला मज़बूती और लैंगिक समानता के पैरोकारों ने शिरकत की. भारत में यूएन वीमैन की उप प्रतिनिधि कान्ता सिंह भी इस बैठक में शिरकत करने के लिए, यूएन मुख्यालय में मौजूद थीं. उनका कहना है कि वैसे तो भारत में महिलाओं ने हर क्षेत्र में असाधारण प्रगति की है मगर अब भी महिलाओं के विरुद्ध होने वाली हिंसा, महिला मज़बूती के रास्ते में एक बड़ी बाधा है. कान्ता सिंह के साथ बातचीत के कुछ अंश. (वीडियो)
आपबीती: जापानी क़स्बे ने निकाला, कम अपशिष्ट समाज का रास्ता
जापान के दक्षिण-पश्चिमी इलाक़े – ओसाकी में जब एक कूड़ाघर पूरी तरह भर गया तो उस कूड़े को भस्म करके राख बनाने के लिए एक विशाल भट्टी बनाने का विकल्प ही तार्किक नज़र आया. मगर इसके बदले, उस क़स्बे ने रीसायकलिंग के बार में गम्भीर रुख़ अपनाने का निर्णय लिया. 30 मार्च को मनाए जाने वाले अन्तरराष्ट्रीय शून्य अपशिष्ट दिवस के अवसर पर, ओसाकी की पार्षद कसूमी फ़ूजीता ने, यूएन न्यूज़ को बताया कि उन्हें किस बात से प्रेरणा मिली.
'...क्योंकि बात केवल मौसम की नहीं, हमारे भविष्य की है'
यूएनडीपी की ‘WEATHER KID’ ऐलीना के इन शब्दों ने, शुक्रवार, 22 मार्च (2024) को न्यूज़ चैनलों पर ख़बरों को अचानक रोककर, 2050 के मौसम का पूर्वानुमान सामने रखकर लोगों को चौंका दिया. बच्चों द्वारा प्रस्तुत यह पूर्वानुमान, यूएनडीपी और WMO का संयुक्त वैश्विक कार्रवाई मिशन का हिस्सा था. वीडियो झलक...
ताजिकिस्तान: कृषि में महिला-मज़बूती की बयार
ताजिकिस्तान में पिछले एक दशक में काफ़ी-कुछ बदल चुका है. देश ने 7 प्रतिशत से अधिक की मज़बूत आर्थिक वृद्धि की है और ग़रीबी का स्तर घटकर केवल 12 प्रतिशत रह गया है. इसका श्रेय कुछ हद तक उन 15 लाख पुरुष श्रमिकों को जाता है, जो देश की सीमाओं से बाहर निकलकर, रूस व अन्य देशों में कार्यरत हैं, और वहाँ से स्वदेश को, अच्छी ख़ासी रक़म भेजते हैं. लेकिन कृषि क्षेत्र में काम करने वाली महिलाएँ, आज भी पुरुषों से आदेश लेने की आदी हैं. हालाँकि अब चलन इसमें बदलाव आता नज़र आ रहा है. ताजिकिस्तान में महिला समूह, नेतृत्व की भूमिका निभा रहे हैं और अपने देश में टिकाऊ कृषि व खाद्य सुरक्षा में अधिक योगदान दे रहे हैं. एक वीडियो फ़ीचर...
अर्थ आवर: एक घंटे के लिए बत्तियाँ बन्द, जलवायु कार्रवाई शुरू
पर्यावरण की रक्षा करने और पृथ्वी पर मंडराते हुए जोखिमों के प्रति जागरूकता फैलाने के इरादे से शनिवार, 23 मार्च, ‘अर्थ आवर’ (Earth Hour) नामक मुहिम का दिन है, जब विश्व भर में लोग एक घंटे के लिए बत्तियाँ बुझा कर टिकाऊ भविष्य के एकजुटता का प्रदर्शन करते हैं.
संकट से आपदा तक: अकाल के विभिन्न स्तर
अकाल अपरिहार्य नहीं है. विश्व खाद्य कार्यक्रम के विशेषज्ञ, आरिफ़ हुसैन ने, भुखमरी के संकट को रोकने के लिए, शीघ्र सहायता कार्रवाई किए जाने की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया है. सूखे जैसे पारम्परिक कारणों पर संघर्ष-प्रेरित अकाल की छाया पड़ रही है, जिससे उसपर ध्यान देना ज़रूरी हो गया है. एक वीडियो.