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भारत: महिलाओं की रहबरी का जश्न, UN Women

महिला नेतृत्व का जश्न मनाती, यूएनवीमेन की पुस्तक - 'हम:जब महिलाएँ नेतृत्व करती हैं' - का कवर फोटो.
© UN Women/Soumi Das
महिला नेतृत्व का जश्न मनाती, यूएनवीमेन की पुस्तक - 'हम:जब महिलाएँ नेतृत्व करती हैं' - का कवर फोटो.

भारत: महिलाओं की रहबरी का जश्न, UN Women

महिलाएँ

भारत में संयुक्त राष्ट्र महिला संस्था - UN Women ने, ऐसी महिलाओं के नेतृत्व सफ़र को जश्न के अन्दाज़ में पहचान दी है जिन्होंने बहुत कठिन हालात में, अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए असाधारण साहस और नज़रिया दिखाया. महिला रहबरी के इस सफ़र का जश्न मनाने के लिए, अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस 2024 के अवसर पर एक पुस्तक का विमोचन किया गया है जिसका नाम है - "हम | When Women Lead".

इस पुस्तक में भारत के विभिन्न क्षेत्रों व विविध पृष्ठभूमियों से आई 75 महिला नेताओं के असाधारण सफ़र की कहानियाँ शामिल की गई हैं. ये वो महिलाएँ हैं, जिन्होंने अनगिनत बाधाओं को पार करते हुए, सीमाओं को तोड़ा और स्वयं व अपने समुदायों के लिए कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया. 

“लोगों की अस्वीकृति ही मेरी ताक़त है.” मीनू अरोरा मणि

“परिवर्तन मुझ से शुरु होता है, परिवर्तन मुझ पर ख़त्म होता है. मैं परिवर्तित बनूंगी, मुझे देखकर मेरा परिवार परिवर्तित होगा, मेरे परिवार को देखकर मेरी कॉलोनी, कॉलोनी को देखकर गाँव और गाँव को देखकर देश.” साधना मिश्रा

भारत में यूएनवीमेन की नवीनतम पुस्तक, "हम | When Women Lead" अदम्य साहस की ऐसी ही आवाज़ों से सराबोर है. इस पुस्तक में न केवल महिला नेत्रियों की सहनसक्षमता को सम्मानित किया गया है - बल्कि राष्ट्र निर्माण में उनके ठोस योगदान पर भी प्रकाश डाला गया है.

यह परियोजना, कहानियों का केवल संग्रह मात्र नहीं है; बल्कि यह सामाजिक परिवर्तन और प्रगति के प्रमुख उत्प्रेरक के रूप में महिला नेतृत्व की अहमियत की जाँच करती है. साथ ही, इसमें महिला सशक्तिकरण और नेतृत्व में निवेश के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया है.

भारत में यूएन वीमेन की स्थानीय प्रतिनिधि सूसन फ़र्ग्यूसन ने मंगलवार को पुस्तक के विमोचन के अवसर पर कहा, “लैंगिक समानता और महिला मज़बूती में संसाधन निवेश करना, न केवल एक नैतिक दायित्व है बल्कि एक आर्थिक अनिवार्यता भी है. वर्तमान में, हमारी वैश्विक आर्थिक व्यवस्था अनेक मोर्चों पर महिलाओं को निराश कर रही है."

"महिलाओं में वित्तीय निवेश लगातार कम बना हुआ है, लैंगिक समानता और महिला मज़बूती पर सतत विकास लक्ष्य 5 हासिल करने के लिए, सालाना अतिरिक्त 360 अरब अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता है. हालाँकि, आधिकारिक विकास सहायता का केवल 4 प्रतिशत लैंगिक समानता कार्यक्रमों के लिए समर्पित है. ”

महिलाओं में निवेश करने से न केवल महिलाओं को बल्कि पूरे समाज को लाभ होता है. रोज़गार में लैंगिक अन्तर कम करने से, सभी क्षेत्रों में सकल घरेलू उत्पाद में प्रति व्यक्ति 20 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है. 

समाज में बदलाव की कारक 75 महिलाओं की कहानियों पर यूएनवीमेन की एक पुस्तिका का विमोचन.
© UN Women/Daniel Ginsianmung

महिला नेतृत्व के विविध रंग

47 वर्षीय मीनू अरोरा मणि, विकलांगों के लिए एक ग़ैर सरकारी संगठन "यस वी कैन" की संस्थापक निदेशक हैं. उन्होंने कहा, “लोगों की अस्वीकृति ही मेरी ताक़त है. मुझे शिक्षा के अधिकार का दावा करने में बहुत समय लगा. विकलांग समुदाय की शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश करना समय की मांग है. मेरे शब्दकोष में ‘ना’ नाम की चीज़ नहीं है, इसलिए मैंने अपनी संस्था का नाम भी रखा है ‘yes we can.’”

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असम से आईं ‘Puppet People’ की संस्थापक, दृशाना कलिता, "बाल विवाह के ख़तरों, लड़कियों की शिक्षा के महत्व, लैंगिक समानता और लिंग आधारित हिंसा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए" पारम्परिक कठपुतली के खेल का उपयोग करती हैं.

महाराष्ट्र के मराठवाड़ा ज़िले के सूखाग्रस्त क्षेत्र में एक ज़मीनी स्तर की महिला नेत्री हैं, अर्चना माने. वो पिछले 13 वर्षों से, उसमानाबाद ज़िले में जलवायु-सहनसक्षम कृषि, स्वास्थ्य व पोषण, टिकाऊ जल प्रबन्धन, महिला उद्यमिता तथा ग्रामीण मूल्य श्रृंखला विकास को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही हैं.

वहीं, ‘आविष्कार’ नामक संस्था की संस्थापक, संध्या गुप्ता, शिक्षकों को उत्कृष्ट STEM शिक्षक बनाकर, गणित की शिक्षा का परिदृश्य बदलने के प्रयासों में लगी हैं. 

AALI  नामक संस्था के सामुदायिक सहायता कार्यक्रम की आज़मगढ़ शाखा की प्रभारी व एक प्रैक्टिसिंग वकील, कनीज़ फ़ातिमा की जीवन यात्रा, शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति और सहनसक्षमता बयान करती है. उनकी अदम्य भावना हमें यथास्थिति को चुनौती देने, बदलाव की अलख जगाने और दूसरों के लिए अनुकरणीय मार्ग प्रशस्त करने के लिए प्रेरित करती है. 

‘मुहिम’ की संस्थापक और निदेशक स्वाति सिंह, उत्तर प्रदेश के बनारस शहर के ग्रामीण इलाक़ों में हाशिए पर रहने वाले समुदायों के साथ काम करती है. इन सभी के कार्यों का, सार पेश करते हुए स्वाति कहती हैं, “हमारी कहानियाँ बहुस्तरीय हैं, हमारी पहचान बहुस्तरीय है, और हमारे समाधान भी बहुस्तरीय होने चाहिए. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में संसाधन निवेश, इस समुदाय की कहानी को बदल सकता है.”

महिलाओं द्वारा, महिलाओं के लिए

महिला नेतृत्व की भावना को ध्यान में रखते हुए, इस पुस्तक को प्रसिद्ध नारीवादी लेखिका उर्वशी बुटालिया के संपादकीय नेतृत्व में, लेखकों, फ़ोटोग्राफरों, दृश्य कलाकारों और सम्पादकों की एक वृहद महिला टीम ने तैयार किया है.

कार्यक्रम के दौरान, पुस्तक में शामिल अनेक महिला नेत्रियों ने अपने सफ़र की गाथा साझा की. पुस्तक के विमोचन के साथ, मैदान में एक फ़ोटो प्रदर्शनी भी आयोजित की गई, जिसमें पुस्तक में शामिल 75 महिला नेताओं के अभूतपूर्व कार्यों को प्रदर्शित किया गया.