अफ़ग़ानिस्तान में शारीरिक दंड के बढ़ते प्रयोग पर गहरी चिन्ता
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने बुधवार को कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में सत्ताधीन अधिकारियों द्वारा शारीरिक दंड के व्यापक प्रयोग पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है.
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने बुधवार को कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में सत्ताधीन अधिकारियों द्वारा शारीरिक दंड के व्यापक प्रयोग पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है.
अफ़ग़ानिस्तान में यूनीसेफ़ ने, बाढ़ की लगातार गम्भीर स्थिति से प्रभावित लाखों बच्चों तक त्वरित सहायता पहुँचाने के प्रयास किए हैं. विशेष रूप से उत्तरी प्रान्तों बाग़लान और बदख़शाँ और पश्चिमी प्रान्त ग़ोर में बच्चे, बाढ़ से निरन्तर प्रभावित हैं.
संयुक्त राष्ट्र की एक वरिष्ठ सहायता अधिकारी गुरूवार को कहा है कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय, अफ़ग़ानिस्तान को नज़रअन्दाज़ नहीं कर सकता और उन्होंने देश की आबादी को समर्थन और सम्पर्क क़ायम करने के प्रयास जारी रखने का आग्रह किया है.
अफ़ग़ानिस्तान में दो अलग-अलग स्थानों पर, बारूदी सुरंगों में हुए विस्फोटों में, कम से कम 10 बच्चों की मौत हो गई है या वो अपंग हो गए हैं. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ ने, इन बच्चों की मौत पर गहरा शोक व्यक्त किया है.
अफ़ग़ानिस्तान में दशकों तक चले युद्ध के कारण, अब भी जगह-जगह गोला-बारूद बिखरे पड़े हैं, जिससे कभी भी दुर्घटना होने का डर बना रहता है. अनफटी बारूदी सामग्री की चपेट में आकर अपने पैर खो दोने वाली एक महिला की आपबीती, जिसने कामयाबी का नया रास्ता बनाया. (वीडियो)
अफ़ग़ानिस्तान की कई पूर्व महिला हस्तियों ने, देश में महिलाओं की स्थिति पर रोष व्यक्त किया. उन्होंने यूएन मुख्यालय में, महिलाओं की स्थिति पर आयोग के 68वें सत्र के बीच कहा कि तालेबान "इस्लाम के नाम पर" युवा महिलाओं को शिक्षा के अधिकार से वंचित कर रहा है, जबकि वास्तव में, यह “इस्लामी सिद्धांतों के विपरीत है.” (वीडियो)
अफग़ानिस्तान में ढाई साल से, मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति ऐसी पीड़ा का कारण बन रही है जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है. इस गिरावट को रोकने और अफ़गान लोगों में उम्मीद जगाने के लिए, तालेबान और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल कार्रवाई किए जाने की पुकार लगाई गई है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने अफ़ग़ानिस्तान में पिछले सप्ताह, स्टेडियम में लोगों को सरेआम मौत की सज़ा दिए जाने की घटनाओं पर गहरा क्षोभ प्रकट किया है, और ऐसी सज़ा दिए जाने पर तुरन्त विराम लगाने की अपील की है.
संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं के साथ भेदभाव व उत्पीड़न समेत अन्य चुनौतियों के मद्देनज़र, लैंगिक रंगभेद (gender apartheid) को मानवता के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में रखे जाने की ज़रूरत है. इस क्रम में, उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं व लड़कियों की स्थिति और उनके मानवाधिकारों के लिए उपजे संकट का विशेष रूप से उल्लेख किया है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान प्रशासन द्वारा महिलाओं व लड़कियों पर थोपी गई पाबन्दियों को जल्द से जल्द हटाए जाने की ज़रूरत है.