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अफ़ग़ानिस्तान: सरेआम ‘क्रूर, अमानवीय’ मृत्युदंड की घटनाओं पर गहरा क्षोभ

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल का एक दृश्य.
© Unsplash/Mohammad Husaini
अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल का एक दृश्य.

अफ़ग़ानिस्तान: सरेआम ‘क्रूर, अमानवीय’ मृत्युदंड की घटनाओं पर गहरा क्षोभ

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने अफ़ग़ानिस्तान में पिछले सप्ताह, स्टेडियम में लोगों को सरेआम मौत की सज़ा दिए जाने की घटनाओं पर गहरा क्षोभ प्रकट किया है, और ऐसी सज़ा दिए जाने पर तुरन्त विराम लगाने की अपील की है.

यूएन कार्यालय के प्रवक्ता जैरेमी लॉरेंस ने बुधवार को बताया कि ग़ज़नी और शेबेरग़ान शहरों के स्टेडियम में, तथाकथित अदालत और अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में कुछ लोगों को मृत्युदंड दिया गया. 

उन्होंने कहा कि कथित रूप से दोषी पाए गए तीन गए व्यक्तियों को मौत की सज़ा देने के लिए कई गोलियाँ चलाई गई और उस समय वहाँ आम नागरिक भी उपस्थित थे.

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तालेबान ने अगस्त 2021 में अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता को अपने नियंत्रण में ले लिया था, जिसके बाद से देश में मानवाधिकारों की स्थिति बद से बदतर हुई है.

यूएन मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार, सत्तारुढ़ तालेबान के दौर में अब तक पाँच लोगों को सार्वजनिक रूप से मौत की सज़ा दी गई है, जिन्हें देश में मौजूदा न्यायिक व्यवस्था और तालेबान की स्वीकृति के बाद अंजाम दिया जाता है.

यूएन कार्यालय प्रवक्ता ने कहा कि सार्वजनिक मृत्युदंड, क्रूर, अमानवीय और अपमानजनक बर्ताव या दंड का एक रूप है और ऐसी सज़ा आमतौर पर मनमाने ढंग से दी जाती है.

जर्मी लॉरेंस ने ध्यान दिलाया कि ये घटनाएँ, 'नागरिक व राजनैतिक अधिकारों पर अन्तरराष्ट्रीय नियमपत्र' में उल्लिखित जीवन की रक्षा के अधिकार के विपरीत हैं.

उनके अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान इस नियम पत्र का सदस्य देश है, और इसलिए इन्हें तत्काल रोका जाना होगा.  

सार्वजनिक दंड के मामले

बताया गया है कि तालेबान प्रशासन ने, सार्वजनिक रूप से कोड़े मारे जाने के दंड को भी लागू किया है. 

25 फ़रवरी को लग़मान में एक 12 वर्षीय लड़के और पुरुष को तथाकथित अनैतिकता के अपराध में सार्वजनिक स्थल पर कोड़े मारे गए और उस समय वहाँ स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे.

इसी दिन, पश्चिमोत्तर अफ़ग़ानिस्तान में स्थित बाल्ख़ प्रान्त में, एक महिला व पुरुष को घर से भागने और व्यभिचार के मामले में सार्वजनिक रूप से 35 बार कोड़े मारे गए.

यूएन कार्यालय प्रवक्ता ने कहा कि ये सज़ा भी क्रूर, अमानवीय और अपमानजनक बर्ताव का एक रूप है, जिस पर अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के तहत पाबन्दी है. 

स्वैच्छिक रोक की अपील

मानवाधिकार कार्यालय ने इन “गम्भीर चिन्ताओं” के मद्देनज़र, देश में तालेबान प्रशासन से सार्वजनिक मृत्युदंड दिए जाने के मामलों पर स्वैच्छिक रोक लगाने का आग्रह किया है. 

साथ ही, न्याय व्यवस्था में मौत की सज़ा के इस्तेमाल पर पूरी तरह विराम लगाने के लिए तुरन्त क़दम उठाने की बात कही है, जिसके साथ-साथ कोड़े मारने की सज़ा पर भी रोक लगानी होगी.

मानवाधिकार मामलों के प्रवक्ता ने कहा कि समुचित प्रक्रिया और न्यायसंगत मुक़दमे की कार्रवाई के लिए सम्मान व उनका अनुपालन सुनिश्चित किया जाना होगा.

इस क्रम में, आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे लोगों के लिए क़ानूनी प्रतिनिधित्व मुहैया कराया जाना भी ज़रूरी है.