वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

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मध्य पूर्व की स्थिति पर चर्चा करने के लिए, सुरक्षा परिषद की बैठक में, टोर वैनेसलैंड ताज़ा जानकारी देते हुए.
UN Photo/Loey Felipe

ग़ाज़ा: ‘हालात भयानक, अस्थिर और हताश’, सुरक्षा परिषद की बैठक

मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष समन्वयक टोर वैनेसलैंड ने सुरक्षा परिषद को बताया है कि फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा में "युद्ध का अब भी कोई अन्त नज़र नहीं आ रहा है" और युद्ध 140 दिन के क़रीब पहुँच गया है.

यूक्रेन युद्ध में लाखों लोग देश के भीतर और विदेशों में विस्थापित हुए हैं.
© UNICEF/Aleksey Filippov

यूक्रेन: युद्ध के विनाशकारी प्रभाव, पीढ़ियों तक होंगे महसूस

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने कहा है कि यूक्रेन पर रूस के पूर्ण पैमाने पर आक्रमण ने, एक "भयानक मानवीय क़ीमत" चुकाई है, जिससे लाखों नागरिकों को भारी पीड़ा का सामना करना पड़ा है, जिसे "पीढ़ियों तक" महसूस किया जाएगा. 24 फ़रवरी 2022 को शुरू हुआ यूक्रेन युद्ध, अब तीसरे वर्ष में प्रवेश कर रहा है.

ग़ाज़ा में युद्ध के कारण स्थानीय आबादी का विस्थापित होना जारी है.
© UNRWA

ग़ाज़ा: आम नागरिकों पर 'विशाल जोखिम', विनाश टालने के लिए व्यापक संयुक्त अपील

संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में अनेक मानवीय राहत एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों ने कहा है कि ग़ाज़ा पट्टी में बमबारी, मौत, आवाजाही पर पाबन्दियों व दरकती सार्वजनिक व्यवस्था के बीच, मानवीय सहायताकर्मी लाखों ज़रूरतमन्दों तक मदद पहुँचाने में जुटे हैं. उन्होंने मौजूदा चुनौतियों के मद्देनज़र, ग़ाज़ा में विनाश को टालने के लिए अपनी दस मांगों का पुलिन्दा पेश किया है.

WHO ने अनेक अस्पतालों से अनेक गम्भीर मरीज़ों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानान्तरित करने के मिशन चलाए हैं.
© WHO/Christopher Black

ग़ाज़ा बन गया है एक ‘मृत्यु क्षेत्र’, WHO प्रमुख की चेतावनी

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने बुधवार को चेतावनी दी कि अब पूरे ग़ाज़ा क्षेत्र में "अमानवीय" स्वास्थ्य और मानवीय स्थिति बन चुकी है और हालात लगातार बिगड़ रहे हैं.

अफ़ग़ानिस्तान में विस्थापितों के लिए बनाए गए एक शिविर में एक बच्ची.
© UNOCHA/Christophe Verhellen

लैंगिक रंगभेद को, मानवता के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में रखने का आग्रह

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं के साथ भेदभाव व उत्पीड़न समेत अन्य चुनौतियों के मद्देनज़र, लैंगिक रंगभेद (gender apartheid) को मानवता के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में रखे जाने की ज़रूरत है. इस क्रम में, उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं व लड़कियों की स्थिति और उनके मानवाधिकारों के लिए उपजे संकट का विशेष रूप से उल्लेख किया है.

यूक्रेन में दो साल के युद्ध से, जान-माल का भीषण विनाश हुआ है.
© UNOCHA/Alina Basiuk

यूक्रेन युद्ध के दो साल: 'यह युद्ध कभी शुरू ही नहीं होना चाहिए था'

यूक्रेन में शान्ति अब भी एक दूर की सम्भावना लगती हैलेकिन हज़ारों संयुक्त राष्ट्र कर्मचारी वहाँ मुस्तैदी से लोगों की मदद करना जारी रखे हुए हैं. यहाँ तक ​​​​कि रोज़ाना हो रहे हमलों का निशाना बन रहे सीमावर्ती क़स्बों में भी. रूस ने 24 फ़रवरी को यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने का आक्रमण शुरू किया था. इसमें अब तक 40 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैंऔर 60 लाख देश छोड़कर जा चुके हैं. बड़े पैमाने पर बुनियादी ढाँचेस्वास्थ्य क्लीनिक व स्कूल क्षतिग्रस्त हुए हैं. देश में संयुक्त राष्ट्र की रैज़िडेंट कोऑर्डिनेटर डेनिस ब्राउन ने, इस युद्ध के दो साल होने के अवसर पर, यूएन न्यूज़ के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कहा है कि वहाँ कर्मचारियों एवं नागरिकों के लिए मौजूद ख़तरों के बावजूद, संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायता जारी रखेगा.

संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपोर्टेयर टॉम एंड्रयूज़
UN Photo/Loey Felipe

म्याँमार: सैन्य नेतृत्व ने ‘थोपा अनिवार्य सेवा क़ानून’, आम नागरिकों के लिए बढ़ता ख़तरा

म्याँमार में मानवाधिकारों की स्थिति पर विशेष रैपोर्टेयर टॉम ऐन्ड्रयूज़ ने आगाह किया है कि देश में सैन्य नेतृत्व स्थानीय नागरिक आबादी के लिए एक बड़ा ख़तरा बनता जा रहा है. इसके मद्देनज़र, उन्होंने सम्वेदनशील परिस्थितियों का सामना कर रहे आम नागरिकों के लिए मज़बूत कार्रवाई की पुकार लगाई है.

संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री (2003) कॉलिन पॉवेल, सुरक्षा परिषद में, इराक़ के सामूहिक विनाश के हथियारों के बारे में जानकारी प्रस्तुत करते हुए, जो बाद में ग़लत साबित हुई.
UN Photo/Mark Garten

यूएन झरोखा: कॉलिन पॉवेल की प्रस्तुति, जिसने शुरू कर दिया था इराक़ युद्ध

अब से 21 वर्ष पहले, साल 2003 में, अमेरिकी विदेश मंत्री कॉलिन पॉवेल ने, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में नीली टोपी वाली एक पतली-छोटी सी शीशी, हाथों में हिलाते-डुलाते हुए दावा किया गया था कि इराक़ और वहाँ के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन, सामूहिक विनाश के हथियार (WMD) का उत्पादन कर रहे थे.

दक्षिणी निजेर के एक गाँव में बच्चे और महिलाएँ पानी इकट्ठा करते हुए.
© UNICEF/Frank Dejongh

‘उपेक्षित’ मानवीय संकटों के लिए, यूएन आपात कोष से 10 करोड़ डॉलर का आवंटन

संयुक्त राष्ट्र के आपातकालीन राहत समन्वयक, मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने यूएन केन्द्रीय आपात राहत कार्रवाई कोष (CERF) से मंगलवार को 10 करोड़ डॉलर की धनराशि जारी की है. इसके ज़रिये, अफ़्रीका, अमेरिका और मध्य पूर्व क्षेत्र में स्थित 14 देशों में, अल्प-संसाधनों से जूझ रहे मानवीय सहायता अभियानों को मज़बूती प्रदान की जाएगी.

यूक्रेन में जारी संघर्ष से बचने के लिये, एक बच्ची, रोमानिया की सीमा में दाख़िल होते हुए.
© UNICEF/Ioana Moldovan

यूक्रेन युद्ध के दो वर्ष, लाखों विस्थापितों व शरणार्थियों के लिए लम्बी अनिश्चितता

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) का एक अध्ययन दर्शाता है कि अब भी बडी संख्या में यूक्रेनी शरणार्थी और घरेलू विस्थापित फिर से अपने घर वापिस लौटने के इच्छुक हैं, मगर देश में युद्ध जारी रहने और उसके कारण गहराई अनिश्चितता की वजह से ऐसे लोगों की संख्या पहले से कम हुई है.