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ग़ाज़ा: आम नागरिकों पर 'विशाल जोखिम', विनाश टालने के लिए व्यापक संयुक्त अपील

ग़ाज़ा में युद्ध के कारण स्थानीय आबादी का विस्थापित होना जारी है.
© UNRWA
ग़ाज़ा में युद्ध के कारण स्थानीय आबादी का विस्थापित होना जारी है.

ग़ाज़ा: आम नागरिकों पर 'विशाल जोखिम', विनाश टालने के लिए व्यापक संयुक्त अपील

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में अनेक मानवीय राहत एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों ने कहा है कि ग़ाज़ा पट्टी में बमबारी, मौत, आवाजाही पर पाबन्दियों व दरकती सार्वजनिक व्यवस्था के बीच, मानवीय सहायताकर्मी लाखों ज़रूरतमन्दों तक मदद पहुँचाने में जुटे हैं. उन्होंने मौजूदा चुनौतियों के मद्देनज़र, ग़ाज़ा में विनाश को टालने के लिए अपनी दस मांगों का पुलिन्दा पेश किया है.

सहायता एजेंसियों के प्रमुखों की ओर से बुधवार को यह वक्तव्य जारी किया गया, जिसे अन्तर-एजेंसी स्थाई समिति के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें इसराइल से अपने क़ानूनी दायित्व को पूरा करने, ज़रूरतमन्दों तक भोजन व चिकित्सा सामग्री पहुँचाने व राहत अभियानों को रास्ता देने की अपील की गई है.

आपात राहत मामलों में समन्वय के लिए यूएन कार्यालय (OCHA), अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR), महिला सशक्तिकरण के लिए यूएन संस्था (UN Women) सहित कई अन्य यूएन एजेंसियों और ‘सेव द चिल्ड्रन’ व ‘केयर इंटरनेशनल’ समेत अन्य ग़ैर-सरकारी संगठनों के प्रमुखों ने इस वक्तव्य पर हस्ताक्षर किए हैं. 

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इस वक्तव्य में तत्काल युद्धविराम लागू किए जाने, बंधकों की रिहाई होने, मानवीय सहायता की निर्बाध आपूर्ति के लिए पहुँच मार्ग सुनिश्चित करने और सहायताकर्मियों को सुरक्षा प्रदान करने सहित 10 मांग पेश की गई हैं.

ग़ाज़ा में विकट हालात

वक्तव्य में कहा गया है कि पिछले वर्ष 7 अक्टूबर को हुए बर्बर हमलों के बाद, पाँच महीने से भी कम समय में ग़ाज़ा पट्टी में हज़ारों फ़लस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें अधिकाँश महिलाएँ व बच्चे हैं.

“तीन-चौथाई से अधिक आबादी अपने घर छोड़कर जाने के लिए मजबूर हुई है, अनेक लोगों को यह बार-बार करना पड़ा है. उन्हें भोजन, जल, साफ़-सफ़ाई और स्वास्थ्य देखभाल की भीषण क़िल्लत से जूझना पड़ रहा है.”

राहत एजेंसियों ने ध्यान दिलाया कि स्वास्थ्य प्रणाली दरक रही है, जिसके विनाशकारी नतीजे होने की आशंका है. 

19 फ़रवरी तक, ग़ाज़ा में स्थित 36 अस्पतालों में से केवल 12 में ही कामकाज हो पा रहा है, और वो भी आंशिक रूप से. 7 अक्टूबर के बाद से अब तक स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों पर 370 से अधिक हमले हो चुके हैं.

“बीमारियाँ व्याप्त हैं. अकाल का साया मंडरा रहा है. पानी की बूंद भर है. बुनियादी ढाँचा तबाह कर दिया गया है. खाद्य उत्पादन पूरी तरह से रुक चुका है.”

“अस्पताल, रणभूमि में बदल चुके हैं. 10 लाख बच्चों को हर दिन सदमे से जूझना पड़ रहा है.”

कोई स्थान सुरक्षित नहीं

सहायता एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों ने क्षोभ प्रकट किया कि दक्षिणी छोर पर स्थित रफ़ाह शहर में 10 लाख से अधिक विस्थापित, भूख और सदमे का सामना कर रहे लोगों ने छोटे से इलाक़े में शरण ली है.

“इस घनी आबादी वाले क्षेत्र में हिंसा में और तेज़ी आने से सामूहिक रूप से लोग हताहत होंगे. यह मानवतावादी प्रतिक्रिया व्यवस्था पर भी एक घातक प्रहार हो सकता है, जोकि पहले ही अपने घुटने टेक चुकी है.”

उन्होंने दोहराया कि ग़ाज़ा में कोई स्थान सुरक्षित नहीं है.

मानवीय सहायताकर्मी भी विस्थापन का शिकार हुए हैं और इसके बावजूद, वे बमबारी, मौत, आवाजाही पर लगाई गई पाबन्दियों व सार्वजनिक व्यवस्था के दरकने के बीच हज़ारों ज़रूरतमन्दों तक मदद पहुँचा रहे हैं, मगर उनकी भी सीमाएँ हैं.

राहत एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि मानवीय सहायता अभियान का चाहे कोई भी स्तर हो, ग़ाज़ा के परिवारों द्वारा झेले गए अभाव को दूर करने के लिए वो अपर्याप्त है.

इसके मद्देनज़र, उन्होंने बताया कि उनके संगठनों का प्रयास मानवीय सहायता अभियान को सहारा देना है ताकि दवाओं, पेयजल, भोजन और आश्रय व्यवस्था समेत अन्य बुनियादी ज़रूरतों का प्रबन्ध किया जा सके.

ग़ाज़ा युद्ध में लाखों लोग विस्थापित हुए हैं और उनके पास, भरपेट भोजन के लिए भी साधन उपलब्ध नहीं हैं.
© UNICEF/Omar Al-Qattaa
ग़ाज़ा युद्ध में लाखों लोग विस्थापित हुए हैं और उनके पास, भरपेट भोजन के लिए भी साधन उपलब्ध नहीं हैं.

इस क्रम में, उन्होंने निम्न मांगों के साथ विश्व समुदाय के नाम अपनी अपील जारी की है:

  • तत्काल युद्धविराम को लागू किया जाना
  • आम नागरिकों और बुनियादी ढाँचे की सुरक्षा सुनिश्चित किया जाना 
  • बंधकों को तत्काल रिहा करना
  • सभी सम्भावित मार्गों से राहत सामग्री लाने के लिए भरोसेमन्द प्रवेश चौकियों को मुहैया कराना
  • सहायता वितरण और निर्बाध आवाजाही के लिए, बिना किसी देरी के ज़रूरी सुरक्षा आश्वासन देना
     
  • एक मानवतावादी अधिसूचना प्रणाली को तैयार करना, जिससे सहायताकर्मियों और आपूर्ति खेप को ग़ाज़ा में सुरक्षित ढंग से पहुँचाना सम्भव हो 
  • सड़कों को आवाजाही के लायक बनाना और रिहायशी इलाक़ों से विस्फोटकों को हटाना
  • मानवीय सहायताकर्मियों के कामकाज के लिए एक स्थिर, संचार नैटवर्क को उपलब्ध कराना
  • फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) को जीवनरक्षक सहायता प्रयासों के लिए हरसम्भव समर्थन व संसाधन मुहैया कराना
  • संयुक्त राष्ट्र और ग़ैर-सरकारी संगठनों की साख पर बट्टा लगाने वाली सभी मुहिमों को रोकना