वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

साक्षात्कार

© Kailash Satyarthi

एसडीजी प्राप्ति के लिये संयुक्त राष्ट्र को सशक्त बनाने की ज़रूरत

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने, दुनिया की अनमोल वैश्विक परिसम्पत्तियों की रक्षा और साझा आकांक्षाओं को पूरा करने की ख़ातिर, तत्काल कार्रवाई का आहवान करते हुए, टिकाऊ विकास लक्ष्यों के नए पैरोकारों के नामों की घोषणा की है.

इनमें से एक हैं, भारत से नोबेल शान्ति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी. ये सभी पैरोकार, जलवायु कार्रवाई, डिजिटल विभाजन, लैंगिक समानता और बाल अधिकारों के मुद्दों पर सक्रिय होंगे. 

ऑडियो
13'1"
UN Photo/Violaine Martin

अफ़ग़ानिस्तान के लिये विशाल मानवीय मदद की ज़रूरत - UNHCR

अफ़ग़ानिस्तान में मौजूदा राजनैतिक, सुरक्षा और मानवीय संकट के कारण गम्भीर हालात हैं और देश की लगभग आधी आबादी को मानवीय सहायता की आवश्यकता बताई गई है. 

संयुक्त राष्ट्र की कई एजेन्सियाँ ज़रूरतमन्दों तक मदद पहुँचाने के काम में मुस्तैदी में जुटी हैं. मगर, उन्हें संसाधनों की कमी के कारण कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके मद्देनज़र, संयुक्त राष्ट्र ने चिन्ता जताते हुए अन्तराराष्ट्रीय समुदाय से सहायता की अपील की है. 

ऑडियो
10'38"
Ridhima Pandey

युवा जलवायु कार्यकर्ता - रिद्धिमा पाण्डे

रिद्धिमा पाण्डे, भारत की एक युवा जलवायु कार्यकर्ता हैं और स्थानीय समुदायों से लेकर अन्तरराष्ट्रीय मंचों पर जलवायु कार्रवाई के लिये आवाज़ मुखर करती रही हैं.

रिद्धिमा उत्तराखण्ड राज्य के हरिद्वार शहर की निवासी हैं और बीबीसी ने वर्ष 2020 में उन्हें शीर्ष 100 महिलाओं की सूची में भी शामिल किया था.

19 अगस्त को विश्व मानवीय दिवस के अवसर पर रिद्धिमा #TheHumanRace नामक मुहिम को अपना समर्थन दे रही हैं.

उन्होंने यूएन न्यूज़ हिन्दी के साथ बातचीत में बताया कि इस मुहिम में उनकी क्या भूमिका है.

ऑडियो
9'38"
Avani Awasthee

युवा जलवायु कार्यकर्ता - अवनी अवस्थी

भारत की अवनी अवस्थी एक युवा जलवायु कार्यकर्ता हैं और पिछले अनेक वर्षों से प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने, रीसायकलिंग व जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिये प्रयासरत हैं.

वर्ष 2016 में उन्होंने अन्टार्कटिका एक्सीपीडिशन दल में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया, जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूकता का प्रसार करना था.

अवनी अवस्थी, इस साल 19 अगस्त को विश्व मानवीय दिवस के अवसर पर जलवायु कार्रवाई और निर्बल समूहों के लिये समर्थन जुटाने पर केन्द्रित #TheHumanRace नामक एक मुहिम को अपना समर्थन दे रही हैं.

ऑडियो
6'6"
Unsplash/Sigmund

कोरोनावायरस संकट काल: विकलांगजन की बढ़ी मुश्किलें

विकलांगजन के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिये प्रयासरत और फ़िनलैण्ड की एबीलिस फ़ाउण्डेशन में नेपाल के लिये कन्ट्री कोऑर्डिनेटर बीरेन्द्र राज पोखरेल का कहना है कि कोविड-19 महामारी के दौरान विकलांग व्यक्तियों के लिये गम्भीर चुनौतियाँ पैदा हुई हैं, जिनसे निपटने के लिये भावी योजनाओं में उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं का ख़याल रखा जाना होगा.   

विश्व में एक अरब लोग, यानि लगभग हर सात में से एक व्यक्ति किसी ना किसी रूप में विकलांग है. इनमें से अधिकाँश लोग विकासशील देशों में रहते हैं 

ऑडियो
11'28"
Dr. Krishna Raman.

तन मन का योग - 'स्वस्थ जीवन शैली की बुनियाद'

योगासन और शारीरिक व मानसिक अनुशासन के ज़रिये ना सिर्फ़ प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूती प्रदान करने और कोविड-19 के दुष्प्रभावों से उबरने से मिल सकती है, बल्कि योग को दैनिक जीवन में शामिल करने से, एक स्वस्थ जीवन की नींव भी तैयार की जा सकती है. 

यह कहना है कि डॉक्टर कृष्णा रामन का, जिन्होंने सोमवार, 21 जून, को ‘अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस’ पर संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन द्वारा ‘Yoga for well being’ नामक विषय पर आयोजित एक ऑनलाइन चर्चा में हिस्सा लिया.

ऑडियो
8'19"
Ranjit Prakash

बाल श्रमिकों की संख्या में बढ़ोत्तरी चिन्ताजनक

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि दो दशकों में पहली बार, बाल श्रमिकों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. 

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि कोविड-19  महामारी के परिणामस्वरूप 2022 के अन्त तक, वैश्विक स्तर पर, 90 लाख अतिरिक्त बच्चों को बाल श्रम में धकेले जाने का ख़तरा है.

‘बाल श्रम: वैश्विक अनुमान 2020, रुझान और आगे की राह’ नामक यह रिपोर्ट, अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष द्वारा जारी की गई है.  

ऑडियो
9'16"
WFP India

कोविड-19: खाद्य असुरक्षा बढ़ने का जोखिम

भारत में पिछले दो महीनों में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर ने संकट की स्थिति पैदा कर दी और इस दौरान देश की स्वास्थ्य प्रणाली को भारी चुनौती का सामना करना पड़ा है.

साथ ही, महामारी से बचाव और रोकथाम उपायों की वजह से लाखों लोगों की आजीविका और खाद्य सुरक्षा के लिये भी एक बड़ा ख़तरा पैदा हो गया है. भारत के पास खाद्य-आधारित सामाजिक संरक्षा उपाय मौजूद हैं, मगर महामारी से उपजी अतिरिक्त चुनौतियों के समाधान की आवश्यकता होगी.

ऑडियो
9'58"
UN News

आसान नहीं है राजनीति की डगर

भारत की राजधानी दिल्ली में विधानसभा की सदस्या, आतिशी का करियर शिक्षण से शुरू हुआथा, जिसने आगे जाकर ऐसा राजनैतिक मोड़ लिया कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों की काया-पलट ही हो गई.

आतिशी ने, अन्तरारष्ट्रीय महिला दिवस पर, महिलाओं के राजनीति में प्रतिनिधित्व व महिला अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर, यूएन न्यूज़ हिन्दी की अंशु शर्मा के साथ ख़ास बातचीत की...
 

ऑडियो
9'21"
UN News

राजनीति में ज़मीनी स्तर पर काम करना ज़रूरी - छवि राजावत

छवि राजावत, भारत के राजस्थान प्रदेश में, वर्ष 2010 से 2020 तक, राजधानी जयपुर के निकट एक गाँव सोडा की सरपंच रही हैं. सरपंच के रूप में काम करने के लिये, कॉर्पोरेट जगत का करियर छोड़ने वाली, छवि राजावत का मानना है कि ज़मीनी स्तर पर बदलाव लाने के लिये बुनियादी स्तर पर शुरू करना ज़रूरी है,  “अगर हम मूलभूत चीज़ों की बात करें, तो हम बच्चों से स्कूलों में पूछते हैं कि विपरीत शब्द बताओ. सफ़ेद का विपरीत शब्द क्या है – काला मानते हैं. और आप पूछें कि पुरुष का विपरीत शब्द क्या है – तो वो कहेंगे महिला. तो शुरूआती स्तर पर ही हम बहुत ग़लत चीज़ सिखा रहे हैं.

ऑडियो
16'47"