राजनीति में ज़मीनी स्तर पर काम करना ज़रूरी - छवि राजावत
छवि राजावत, भारत के राजस्थान प्रदेश में, वर्ष 2010 से 2020 तक, राजधानी जयपुर के निकट एक गाँव सोडा की सरपंच रही हैं. सरपंच के रूप में काम करने के लिये, कॉर्पोरेट जगत का करियर छोड़ने वाली, छवि राजावत का मानना है कि ज़मीनी स्तर पर बदलाव लाने के लिये बुनियादी स्तर पर शुरू करना ज़रूरी है, “अगर हम मूलभूत चीज़ों की बात करें, तो हम बच्चों से स्कूलों में पूछते हैं कि विपरीत शब्द बताओ. सफ़ेद का विपरीत शब्द क्या है – काला मानते हैं. और आप पूछें कि पुरुष का विपरीत शब्द क्या है – तो वो कहेंगे महिला. तो शुरूआती स्तर पर ही हम बहुत ग़लत चीज़ सिखा रहे हैं. क्योंकि पुरुष और महिला विपरीत नहीं हैं, वो एक-दूसरे के पूरक हैं. यह समझना बहुत ज़रूरी है और इसकी शुरूआत हमारे घरों में होती है, और समाज में होती है.”
अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर, भारत की पहली एमबीए सरपंच के नाम से मशहूर, छवि राजावत से यूएन न्यूज़ की अंशु शर्मा ने एक ख़ास बातचीत में यह जानने की कोशिश की कि कॉरपोरेट जगत छोड़कर सरपंच बनने की प्रेरणा उन्हें कैसे मिली...
छवि राजावत, भारत के राजस्थान प्रदेश में, वर्ष 2010 से 2020 तक, राजधानी जयपुर के निकट एक गाँव सोडा की सरपंच रही हैं. सरपंच के रूप में काम करने के लिये, कॉर्पोरेट जगत का करियर छोड़ने वाली, छवि राजावत का मानना है कि ज़मीनी स्तर पर बदलाव लाने के लिये बुनियादी स्तर पर शुरू करना ज़रूरी है, “अगर हम मूलभूत चीज़ों की बात करें, तो हम बच्चों से स्कूलों में पूछते हैं कि विपरीत शब्द बताओ. सफ़ेद का विपरीत शब्द क्या है – काला मानते हैं. और आप पूछें कि पुरुष का विपरीत शब्द क्या है – तो वो कहेंगे महिला. तो शुरूआती स्तर पर ही हम बहुत ग़लत चीज़ सिखा रहे हैं. क्योंकि पुरुष और महिला विपरीत नहीं हैं, वो एक-दूसरे के पूरक हैं. यह समझना बहुत ज़रूरी है और इसकी शुरूआत हमारे घरों में होती है, और समाज में होती है.”
अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर, भारत की पहली एमबीए सरपंच के नाम से मशहूर, छवि राजावत से यूएन न्यूज़ की अंशु शर्मा ने एक ख़ास बातचीत में यह जानने की कोशिश की कि कॉरपोरेट जगत छोड़कर सरपंच बनने की प्रेरणा उन्हें कैसे मिली...