वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

दुनिया भर में बच्चों के लिए मुसीबत भरा साल: यूनीसेफ़ रिपोर्ट

दक्षिणी ग़ाज़ा पट्टी के रफ़ाह शहर में नष्ट हुए घरों के मलबे के पास से गुज़रता एक लड़का.
© UNICEF/Eyad El Baba
दक्षिणी ग़ाज़ा पट्टी के रफ़ाह शहर में नष्ट हुए घरों के मलबे के पास से गुज़रता एक लड़का.

दुनिया भर में बच्चों के लिए मुसीबत भरा साल: यूनीसेफ़ रिपोर्ट

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) ने अपनी एक नई रिपोर्ट में आशंका व्यक्त की है कि वर्ष 2024 में, वैश्विक स्तर पर बच्चों को बढ़ती हिंसा, युद्ध और आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है.

यूनीसेफ़ हर एक वर्ष की शुरुआत में, उन जोखिमों का संज्ञान लेता है जिनका, आने वाले समय में बच्चों को सामना करना पड़ सकता है, और उनसे होने वाले नुक़सान को कम करने के उपाय सुझाता है. 

यूनीसेफ़ की नवीनतम रिपोर्ट,  Prospects for Children 2024: Cooperation in a Fragmented World, निकट भविष्य में निरन्तर संघर्ष एवं आर्थिक अनिश्चितता से भरी तस्वीर पेश करती है. इससे जुड़ी विस्तृत जानकारी व मुख्य रुझानों का संक्षिप्त विवरण है. 

जारी हिंसा एवं युद्ध

रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व की ताक़तों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण टकराव की सम्भावनाएँ बढ़ेंगी, जिससे बच्चों के अधिकारों व ज़िन्दगियों के लिए जोखिम बढ़ेगा. हिंसा और युद्ध, बाल जीवन की हानि के साथ-साथ, संसाधनों को शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल व पोषण से हटाकर, बच्चों के जीवन पर असर डालते हैं.

बांग्लादेश में एक शरणार्थी के घर में लगी आग में 3,500 बच्चों सहित 5,000 से अधिक लोगों के घर नष्ट हो गए.
© UNICEF/Salim Khan

धीमी आर्थिक प्रगति

बाल निर्धनता उन्मूलन पर वर्षों में हुई प्रगति, धीमी आर्थिक प्रगति से कमज़ोर हो रही है, जिससे युवजन के लिए वैश्विक रोज़गार बाज़ारों तक पहुँच मुश्किल हो गई है. अविश्वास एवं ‘जैसे को तैसा’ दरों के कारण अन्तरराष्ट्रीय व्यापार बाधित होने से, खाद्य क़ीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे बच्चों के पोषण पर असर पड़ेगा. 

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रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों की सुरक्षा का उपाय, आर्थिक एकजुटता, बाज़ार के सहयोग और भविष्य के कौशल निवेश में निहित है.

अन्तरराष्ट्रीय सहयोग का अभाव 

रिपोर्ट में चिन्ता व्यक्त की गई है कि बहुपक्षीय प्रणाली बिखरी हुई होने के कारण, वह महत्वपूर्ण बाल मुद्दों पर कार्रवाई करने में सक्षम नहीं है. इससे बाल अधिकारों के गम्भीर उल्लंघनों से निपटने के प्रयास सीमित हो सकते हैं; जलवायु संकट समेत समस्त जोखिमों से निपटने के वैश्विक प्रयासों में बाधा उत्पन्न हो सकती है; और संघर्षों को रोकने व ख़त्म करने के लिए आवश्यक सामूहिक कार्रवाई के रास्ते में बाधा आ सकती हैं. हालाँकि बहुपक्षीय प्रणाली, मज़बूत सामूहिक कार्रवाई, वैश्विक प्रशासन और वित्तपोषण सुधारों के ज़रिए, 2024 में सही राह पर वापस लौट सकती है.

विकासशील देशों में विषमताएँ

विकासशील अर्थव्यवस्थाएँ अभी भी ढाँचागत वित्तीय असमताओं का सामना कर रही हैं. मतलब यह कि संसाधनों, अवसरों और शक्ति को समानता से वितरित नहीं किया जा रहा है, जिससे देश की बच्चों में निवेश करने की क्षमता सीमित हो जाती है. परिणामस्वरूप, कई नागरिक अपने स्वास्थ्य और शिक्षा की लागत पूर्ण करने के लिए प्रेषण पर निर्भर हैं. नई प्रौद्योगिकियाँ और ऋण देने में सुधार, अधिक समतावादी भविष्य की उम्मीद बन सकते हैं.

ख़तरे में लोकतंत्र

2024 में दर्जनों चुनाव होने वाले हैं और दुष्प्रचार व राजनैतिक हिंसा की आशंका के कारण, वैश्विक लोकतंत्र को अभूतपूर्व ख़तरों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे बच्चों के अधिकार व और सेवाओं को ख़तरा होगा. बच्चे और युवजन, इस हिंसा के प्रति ख़ासतौर पर संवेदनशील हो सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें मृत्यु, शारीरिक या भावनात्मक क्षति, सार्वजनिक सेवाओं में व्यवधान तथा स्कूल बन्द होने जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है. युवजन लोकतंत्र से असंतोष व्यक्त कर रहे हैं, लेकिन वे अपनी ऊर्जा, रचनात्मक नागरिक कार्रवाई एवं ऑनलाइन सक्रियता में ख़र्च कर रहे हैं.

दक्षिणी इथियोपिया के दक्षिण ओमो ज़िले में अपने हाथों से आकृतियाँ बनाते बच्चे.
© UNICEF/Raphael Pouget

जलवायु संकट

हरित ऊर्जा की ओर तेज़ी से बदलाव होने से, महत्वपूर्ण खनिजों और श्रम बाज़ारों को नया आकार मिल रहा है, जिससे बच्चों और युवाओं को महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त हो रहे हैं. लेकिन साथ ही इससे कई जोखिम भी पैदा होते हैं, जैसेकि खनन समुदायों की सम्भावित हानिकारक श्रम प्रथाओं के सम्पर्क में आने से उत्पन्न जोखिम.

हरित परिवर्तन, हरित अर्थव्यवस्था में रोज़गार की सम्भावनाएँ भी बदल देता है, और शिक्षा एवं कौशल प्रशिक्षण की ज़रूरतों से निपटने के लिए, सरकारों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होता है. लेकिन, अगर इसे ज़िम्मेदारी से, सहयोग व न्यायपूर्ण तरीक़े से प्रबन्धित किया जाए, तो यह परिवर्तन बच्चों के लिए सकारात्मक साबित हो सकता है.

अल नीनो, मच्छर जनित बीमारियाँ और पानी की कमी से भी बच्चों के स्वास्थ्य एवं कल्याण को ख़तरा होगा. साथ ही, खाद्य असुरक्षा, बाल खाद्य निर्धनता एवं मजबूरी में प्रवासन का ख़तरा बढ़ेगा. पर्यावरणीय जोखिमों के प्रबन्धन और तकनीकी नवाचार पर बेहतर सीमा पार सहयोग, नकारात्मक प्रभाव घटाने में मदद कर सकता है.

दक्षिणी पाकिस्तान में बच्चे, एक बंजर ज़मीन पर बैठे हैं.
© UNICEF/Vlad Sokhin

कृत्रिम बुद्धिमत्ता का विनियमन

अन्त में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) जैसी समस्त अनियंत्रित प्रौद्योगिकियों के सम्भावित प्रभाव से, एक बार फिर बच्चों के कल्याण के लिए भय और चिन्ता पैदा हो रही है. उभरती नीतियाँ और विनियमनों को अगर बाल-केन्द्रित व ज़िम्मेदारी से आकार दिया गया हो, तो वो नए अवसर उत्पन्न करने व नकारात्मक असर घटाने में सहयोग मिलेगा.

उचित चयन

रिपोर्ट के लेखकों के निष्कर्ष के अनुसार दुनिया के सामने अधिक विखंडन और विभाजन, या सहयोग एवं सहभागिता युक्त के भविष्य का विकल्प है, जो बच्चों के लिए अधिक सुरक्षित, न्यायसंगत दुनिया बनाने के अवसरों पर आधारित हो.

उनका तर्क है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की अन्तरराष्ट्रीय व्यवस्था, वित्तपोषण में सुधार, राजनैतिक जवाबदेही, एकजुटता और सक्रिय सामाजिक नीतियों द्वारा परिकल्पित परस्पर सहयोग की भावना को दोबारा जागृत करके ही, बच्चों को विरासत में एक समावेशी, सहनसक्षम समाज दिया जा सकता है.