वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

लोकतंत्र

ग्राम पंचायत की बैठक से पहले चर्चा करते, बाल सभा के सदस्य.
© UNICEF/Mithila Jariwala

बदलाव की बुनियाद: राजस्थान में बाल पंचायतों व सभाओं से उभरती बच्चों की आवाज़

भारत के राजस्थान राज्य के ग्रामीण इलाक़ों में बच्चे, अब बाल विवाहशिक्षापर्यावरण और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर न केवल चर्चा कर रहे हैंबल्कि समाधान के लिए ठोस योगदान भी दे रहे हैं. यह सम्भव हुआ है बाल पंचायत और बाल सभा के ज़रिए, जिससे 10 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों व युवाओं को निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में अहम भूमिका निभाने का अवसर मिल रहा है.

बांग्लादेश में व्यापक प्रदर्शनों के कारण, प्रधानमंत्री शेख़ हसीना को इस्तीफ़ा देना पड़ा.
UN Bangladesh/Mithu

बांग्लादेश: 'न्याय व समानता' के पक्ष में एकजुट होने वाले युवा नेतृत्व की सराहना

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) वोल्कर टर्क ने बांग्लादेश को एक नए रास्ते पर ले जाने और राजनैतिक विरोध प्रदर्शनों के दौरान न्याय व समानता के पक्ष में खड़े होने के लिए, युवाओं के नेतृत्व की सराहना की है. उन्होंने मंगलवार को बांग्लादेश की ढाका युनिवर्सिटी में छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि अब उनके पास वास्तविक लोकतांत्रिक व्यवस्था को आकार देने का एक ऐतिहासिक अवसर है.

मोज़ाम्बीक़ में आम चुनाव में मतदान करती एक महिला और वोट डालने की प्रक्रिया को देखती एक छोटी बच्ची.
UNDP/Rochan Kadariya

एआई में निहित ख़तरों पर पार पाने, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मज़बूत करने का आग्रह

‘अन्तरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस’, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, नागरिक आज़ादी और क़ानून के सासन की अहमियत को फिर से रेखांकित करने का एक अवसर है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) टैक्नॉलॉजी के बेहतर इस्तेमाल के ज़रिए, लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मज़बूत किए जाने की पुकार लगाई है.

म्याँमार से नाव पर सवार होकर, बंगाल की खाड़ी के रास्ते, बांग्लादेश पहुँचने वाले रोहिंज्या शरणार्थी. (फ़ाइल)
© UNICEF/Patrick Brown

म्याँमार: ‘असहनीय पीड़ा व क्रूरता’ भोग रहे हैं आम नागरिक'

म्याँमार में अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की नज़र से दूर घटित हो रहा संकट, देश की जनता के लिए कभी ना ख़त्म होने वाला एक दुस्वप्न बन गया है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) वोल्कर टर्क ने शुक्रवार को मानवाधिकार परिषद को सम्बोधित करते हुए यह बात कही है.

संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपोर्टेयर टॉम एंड्रयूज़
UN Photo/Loey Felipe

म्याँमार: सैन्य नेतृत्व ने ‘थोपा अनिवार्य सेवा क़ानून’, आम नागरिकों के लिए बढ़ता ख़तरा

म्याँमार में मानवाधिकारों की स्थिति पर विशेष रैपोर्टेयर टॉम ऐन्ड्रयूज़ ने आगाह किया है कि देश में सैन्य नेतृत्व स्थानीय नागरिक आबादी के लिए एक बड़ा ख़तरा बनता जा रहा है. इसके मद्देनज़र, उन्होंने सम्वेदनशील परिस्थितियों का सामना कर रहे आम नागरिकों के लिए मज़बूत कार्रवाई की पुकार लगाई है.

पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में सुप्रीम कोर्ट की इमारत.
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पाकिस्तान: चुनाव सम्बन्धी विवादों के शान्तिपूर्ण निपटारे की अपील

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने, पाकिस्तान में हाल ही में हुए संसदीय चुनावों के नतीजों की घोषणा के बाद आग्रह किया है कि नई सरकार के गठन और किसी भी प्रकार के अन्य विवादों को शान्तिपूर्ण ढंग से क़ानूनी माध्यमों से हल किया जाना होगा.

पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में लाहौर स्थित बादशाही मस्जिद का एक दृश्य.
UN Photo/Mark Garten

पाकिस्तान: आम चुनाव से पहले, राजनैतिक दलों व उम्मीदवारों के विरुद्ध हिंसा पर चिन्ता

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने पाकिस्तान में संसदीय चुनावों से पहले, राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों के विरुद्ध हिंसा को अंजाम दिए जाने की घटनाओं की भर्त्सना की है. साथ ही, बुनियादी स्वतंत्रताओं की रक्षा सुनिश्चित करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को समावेशी बनाने का आग्रह किया है.

म्याँमार की पूर्व राजधानी और व्यावसायिक केन्द्र यंगून के एक बाहरी इलाक़े में नज़र आता एक पगोड़ा.
Unsplash/Kyle Petzer

म्याँमार: सैन्य तख़्तापलट का गहरा असर, ‘हिंसा व राजनैतिक दमन का अन्त ज़रूरी’

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने म्याँमार में सैन्य तख़्तापलट के तीन वर्ष पूरे होने पर आगाह किया है कि वहाँ हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं, जिसका आम नागरिकों पर विनाशकारी असर हुआ है. इसके मद्देनज़र, उन्होंने म्याँमार को फिर से लोकतंत्र की दिशा में ले जाने के लिए एक रास्ता तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया है.

म्याँमार में सैन्य तख़्तापलट के विरोध में जन प्रदर्शन. (फ़ाइल)
Unsplash/Pyae Sone Htun

म्याँमार: सैन्य तख़्तापलट के तीन साल, मानवाधिकारों के लिए बिगड़ती स्थिति

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) वोल्कर टर्क ने क्षोभ प्रकट किया है कि सैन्य तख़्तापलट के तीन वर्ष बाद भी, म्याँमार में मानवाधिकारों के लिए एक गम्भीर संकट बरक़रार है और स्थानीय लोगों की पीड़ा व विपत्ति पर दुनिया पर्याप्त ध्यान नहीं दे रही है. उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया है कि म्याँमार के सैन्य नेतृत्व की जवाबदेही तय किए जाने के लिए दोगुने प्रयास करने होंगे.

दक्षिणी ग़ाज़ा पट्टी के रफ़ाह शहर में नष्ट हुए घरों के मलबे के पास से गुज़रता एक लड़का.
© UNICEF/Eyad El Baba

दुनिया भर में बच्चों के लिए मुसीबत भरा साल: यूनीसेफ़ रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) ने अपनी एक नई रिपोर्ट में आशंका व्यक्त की है कि वर्ष 2024 में, वैश्विक स्तर पर बच्चों को बढ़ती हिंसा, युद्ध और आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है.