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कोविड के कारण, बच्चों को संघर्षों में इस्तेमाल करने के ख़तरे को मिला ईंधन

दक्षिण सूडान में, बच्चों को सशस्त्र समूहों के चंगुल से छुड़ाने के लिये हुए एक समारोह के दौरान, एक बाल सैनिक, लकड़ी के एक गट्ठे पर बैठा हुआ (2018). कोविड-19 महामारी के कारण सशस्त्र गुटों द्वारा बच्चों की भर्ती किये जाने का जोखिम और भी ज़्यादा बढ़ गया है
UNICEF/Sebastian Rich
दक्षिण सूडान में, बच्चों को सशस्त्र समूहों के चंगुल से छुड़ाने के लिये हुए एक समारोह के दौरान, एक बाल सैनिक, लकड़ी के एक गट्ठे पर बैठा हुआ (2018). कोविड-19 महामारी के कारण सशस्त्र गुटों द्वारा बच्चों की भर्ती किये जाने का जोखिम और भी ज़्यादा बढ़ गया है

कोविड के कारण, बच्चों को संघर्षों में इस्तेमाल करने के ख़तरे को मिला ईंधन

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र और योरोपीय संघ के वरिष्ठ अधिकारियों ने चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा है कि बच्चों के कोरोनावायरस महामारी के प्रभाव के कारण, सशस्त्र गुटों और सशस्त्र बलों के हत्थे चढ़ जाने का जोखिम और भी ज़्यादा बढ़ गया है. शुक्रवार, 12 फ़रवरी को मनाए जाने वाले, 'बाल सैनिकों के इस्तेमाल के विरुद्ध अन्तरराष्ट्रीय दिवस' पर, ये चिन्ता व्यक्त की गई है.

योरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि जोसेप बॉरेल और सशस्त्र संघर्षों में बच्चों पर, संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि वर्जीनिया गाम्बा ने एक संयुक्त वक्तव्य में, यह भी आगाह किया है कि जिन बच्चों को, सशस्त्र बलों के चंगुल से छुड़ा भी लिया जाता है, उनमें से बहुत कम बच्चों को ही, एकीकरण कार्यक्रमों की सुविधा व सहायता मिल पाते हैं.

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इन वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा, “सशस्त्र बलों व सशस्त्र गुटों ने, संघर्ष में प्रयोग करने के लिये, बाल सैनिकों की भर्ती करना जारी रखा हुआ है, ये गुट, बच्चों को उनके परिवारों व समुदायों से अलग-थलग कर रहे हैं, क्रूरता के साथ, उनसे उनकी गरिमा छीन रहे हैं, और उनकी ज़िन्दगियाँ व उनका भविष्य, उनसे छीन रहे हैं.”

संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है, “शिक्षा प्राप्ति के अवसर, पहले ही युद्ध और विस्थापन के कारण बाधित हुए हैं, और अब उनमें और भी ज़्यादा गहरे व्यवधान के हालात बन रहे हैं."

"बच्चों को सबसे ज़्यादा नुक़सान उठाना पड़ रहा है, या यूँ कहें कि उन्हें भारी क़ीमत चुकानी पड़ रही है. एक ऐसी टिकाऊ प्रणाली बनाने की ज़िम्मेदारी हमारे ही कन्धों पर है जिसमें, तमाम बच्चों को, हर समय सुरक्षा व संरक्षा मुहैया कराई जाएँ.”

बच्चे, युद्ध का ईंधन

इन वरिष्ठ अधिकारियों ने चिन्ता व्यक्त करते हुए ये भी कहा है कि वैश्विक संकल्पों व प्रयासों के बावजूद, “दुनिया भर में बच्चों को, संघर्षों व लड़ाइयों के प्रभावों की तकलीफ़ें उठानी पड़ रही हैं और बच्चों को अब भी, युद्ध के ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.”

वर्जीनिया गाम्बा और जोसेप बॉरेल ने कहा कि जिन बच्चों को सशस्त्र बलों व गुटों के चंगुल से छुड़ाया जाता है, उनमें से बहुत कम बच्चों को, मुख्य धारा में एकीकरण के लिये चलाए जा रहे कार्यक्रमों का लाभ मिल पा रहा है.

असुरक्षा की स्थिति, हज़ारों बच्चों को गुणवत्ता वाली शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के अवसरों से वंचित करती है, जबकि स्कूल व अस्पताल, अब भी हमलों का निशाना बनाए जा रहे हैं. 

उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में बच्चे ही पीड़ित हैं, इसके बावजूद, सशस्त्र बलों और गुटों के साथ वास्तविक सम्बन्ध होने, या ऐसा होने के आरोपों में, बच्चों को, अवैध रूप से बन्दी बनाकर रखा जाता है.

संयुक्त राष्ट्र व योरोपीय संघ के वरिष्ठ अधिकारियों ने, संघर्षों व लड़ाइयों में, बच्चों का प्रयोग किये जाने, इस मक़सद से उनकी भर्ती किये जाने को रोकने, बच्चों को सशस्त्र गुटों के चंगुल से छुड़ाने, और देशों व समाजों की मुख्य धारा में उनका एकीकरण सुनिश्चित किये जाने के लिये अपना संकल्प दोहराया. 

उन्होंने कहा, “हम बच्चों की, शिक्षा की तात्कालिक आवश्यकताएँ पूरी करने के लिये मुस्तैद हैं क्योंकि संघर्षों और लड़ाइयों में, बच्चों के प्रयोग और उनकी भर्ती को रोकने के लिये, शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है.”

वर्जीनिया गाम्बा और जोसेप बॉरेल ने कहा, “बच्चों से, उनके सपने और उनकी मासूमियत छीनने का अधिकार किसी को भी नहीं है... एक ऐसा वर्तमान और भविष्य बनाने में, बच्चों की बहुत अहम भूमिका है - जहाँ शान्ति मौजूद हो. उन्हें, इस बदलाव के ऐसे एजेण्ट या दूत बनने में सहायता करना, हमारी ज़िम्मेदारी है.”

अन्तरराष्ट्रीय दिवस

'बाल सैनिकों के विरुद्ध अन्तरराष्ट्रीय दिवस' को 'लाल हाथ दिवस' (Red Hand Day) के नाम से भी जाना जाता है.

ये एक ऐसा वार्षिक अवसर है जिसमें दुनिया भर में, संघर्षों और लड़ाइयों में फँसे हुए बच्चों को याद किया जाता है.

साथ ही, इस दिवस को, दुनिया भर की राजनैतिक हस्तियों को, युद्धक स्थितियों में बाल सैनिकों के इस्तेमाल की प्रथा को ख़त्म करने के लिये सक्रिय होने और प्रयास करने की पुकार के रूप में भी, इस्तेमाल किया जाता है.

संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि के कार्यालय के अनुसार, दुनिया भर में, 20 से भी ज़्यादा देशों में, सशस्त्र बलों और सशस्त्र गुटों द्वारा, लड़ाई में हिस्सा लेने और बाल सैनिक के रूप में इस्तेमाल करने के लिये, लाखों लड़के और लड़कियाँ भर्ती किये जाते हैं.

ऐसे बहुत से तरीक़े हैं, जिनमें बच्चों को सशस्त्र बलों और समूहों के साथ जोड़ा जाता है और उनकी भूमिका या कार्य, अलग-अलग नज़र आ सकते हैं.

लेकिन एक बात निश्चित है कि उनकी भूमिका, चाहे जो भी हो, बाल सैनिकों को क्रूर हिंसा से दो-चार होना पड़ता है, हिंसा के प्रत्यक्षदर्शी या उसके सीधे पीड़ित बनने के रूप में, और जबरन हिंसा में भागीदार बनकर.