हेती में हिंसा के कारण बड़ी संख्या में बच्चों का पलायन
हेती में हिंसा के कारण विस्थापित हुए बच्चों की संख्या पिछले एक साल में लगभग दोगुनी हो गई है, और अब तक 6 लाख 80 हज़ार बच्चे अपने घरों से बिछड गए हैं.
हेती में हिंसा के कारण विस्थापित हुए बच्चों की संख्या पिछले एक साल में लगभग दोगुनी हो गई है, और अब तक 6 लाख 80 हज़ार बच्चे अपने घरों से बिछड गए हैं.
संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समिति ने, ग़ाज़ा में जारी युद्ध के, बच्चों पर पड़ने वाले विनाशकारी प्रभाव पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है और इस विनाश को रोकने के लिए, सभी देशों से, विशेष रूप से इसराइल से, एक वास्तविक क़ाबिज़ शक्ति के रूप में, तत्काल निर्णायक कार्रवाई करने का आहवान दोहराया है.
युद्धग्रस्त इलाक़ों में, बच्चों के ख़िलाफ़ होने वाले छह सबसे गम्भीर अपराधों में, स्कूलों पर हमलों को सबसे ख़तरनाक माना गया है, लेकिन, इसके बावजूद दुनिया भर में शिक्षा पर हमले लगातार बढ़ रहे हैं. शिक्षा पर हमले रोकने के अन्तरराष्ट्रीय दिवस पर, दुनिया भर के देशों से, स्कूलों पर हमले तुरन्त रोके जाने की अपील की गई है.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के अनुसार, विश्व भर में शिक्षा सहायता में 3.2 अरब डॉलर की कटौती होने की आशंका है, जिससे 60 लाख बच्चे स्कूली पढ़ाई से वंचित हो सकते हैं. यह ऐसा होगा मानो जर्मनी और इटली के सभी प्राथमिक विद्यालय एक साथ बन्द हो गए हों. सबसे ज़्यादा असर अफ़्रीका में संकटग्रस्त इलाक़ों पर होगा, जहाँ लाखों बच्चों की पढ़ाई अधर में लटक सकती है. साथ ही, प्राथमिक शिक्षा, शरणार्थी बच्चों के लिए कक्षाओं और स्कूल पोषण योजनाओं, इन सभी पर गहरा असर पड़ सकता है…(वीडियो)
वर्ष 2023 में बच्चों के विरुद्ध गम्भीर उल्लंघन के 41,370 मामले दर्ज और सत्यापित किए गए, जोकि 2023 की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक हैं. सशस्त्र टकराव में बच्चों पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, यह लगातार तीसरा वर्ष है जब बाल अधिकार हनन के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है.
भारत के राजस्थान राज्य के ग्रामीण इलाक़ों में बच्चे, अब बाल विवाह, शिक्षा, पर्यावरण और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर न केवल चर्चा कर रहे हैं, बल्कि समाधान के लिए ठोस योगदान भी दे रहे हैं. यह सम्भव हुआ है बाल पंचायत और बाल सभा के ज़रिए, जिससे 10 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों व युवाओं को निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में अहम भूमिका निभाने का अवसर मिल रहा है.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने कहा है कि ग़ाज़ा पट्टी में मानवीय सहायता आपूर्ति पर पाबन्दी की वजह से 10 लाख से अधिक बच्चों पर गम्भीर असर हो रहा है. इसके मद्देनज़र, यूएन एजेंसी ने उनकी भलाई व जीवनरक्षा के लिए, बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा किए जाने की अपील की है.
संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन में हवाई हमलों से बचने की चेतावनी देने वाले सायरन अब अनेक बच्चों के लिए स्कूली जीवन का एक नियमित हिस्सा हो गए हैं.
भारत में यूनीसेफ़ के सहयोग से, छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासी बच्चों की बेहतरी के लिए मन्थन नामक एक पहल शुरू की है, जिसके तहत बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य व आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाते हुए, एक सशक्त जीवन की राह पर आगे बढ़ाया जा रहा है.
सशस्त्र टकरावों के दौरान सैनिकों के रूप में इस्तेमाल किए जाने से बच्चों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा लिए गए संकल्प को वर्ष 2024 में 35 वर्ष पूरे हो गए. हालांकि, इसके बावजूद हथियारबन्द गुटों द्वारा बाल सैनिकों की भर्ती उनके इस्तेमाल के मामलों में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.