वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

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बाल अधिकार

हेती में गिरोह हिंसा का भयानक असर, बच्चों पर भी पड़ा है, जिसके कारण लाखों बच्चों से उनका घर छिन गया है.
© UNICEF/Patrice Noel

हेती में हिंसा के कारण बड़ी संख्या में बच्चों का पलायन

हेती में हिंसा के कारण विस्थापित हुए बच्चों की संख्या पिछले एक साल में लगभग दोगुनी हो गई है, और अब तक 6 लाख 80 हज़ार बच्चे अपने घरों से बिछड गए हैं.

ग़ाज़ा की बच्ची नस्मा अबू नस्र ने युद्ध में अपने पिता को खो दिया. वो कहती है, “हमारी ज़िन्दगी के दो साल यूँ ही बर्बाद हो गए.”
UN News

ग़ाज़ा: बच्चों को भुखमरी में धकेलने को, युद्ध का हथियार बनाए जाने की निन्दा

संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समिति ने, ग़ाज़ा में जारी युद्ध के, बच्चों पर पड़ने वाले विनाशकारी प्रभाव पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है और इस विनाश को रोकने के लिए, सभी देशों से, विशेष रूप से इसराइल से, एक वास्तविक क़ाबिज़ शक्ति के रूप में, तत्काल निर्णायक कार्रवाई करने का आहवान दोहराया है.

यूएनडीपी परियोजना, उत्थान के तहत, तारा जाधव के बच्चों को करियर मार्गदर्शन भी प्रदान किया गया, जिससे उन्हें शिक्षा के विस्तार के अवसर मिले.
UNDP India

शिक्षा पर हमले रोकना ज़रूरी, बाल अधिकार उल्लंघन के मामले बढ़े

युद्धग्रस्त इलाक़ों में, बच्चों के ख़िलाफ़ होने वाले छह सबसे गम्भीर अपराधों में, स्कूलों पर हमलों को सबसे ख़तरनाक माना गया है, लेकिन, इसके बावजूद दुनिया भर में शिक्षा पर हमले लगातार बढ़ रहे हैं. शिक्षा पर हमले रोकने के अन्तरराष्ट्रीय दिवस पर, दुनिया भर के देशों से, स्कूलों पर हमले तुरन्त रोके जाने की अपील की गई है.

आईवरी कोस्ट में खेलते हुए बच्चे.
© UNICEF/Frank Dejongh

शिक्षा सहायता में कटौती से, लाखों बच्चों का भविष्य अधर में होने की आशंका

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के अनुसार, विश्व भर में शिक्षा सहायता में 3.2 अरब डॉलर की कटौती होने की आशंका है, जिससे 60 लाख बच्चे स्कूली पढ़ाई से वंचित हो सकते हैं. यह ऐसा होगा मानो जर्मनी और इटली के सभी प्राथमिक विद्यालय एक साथ बन्द हो गए हों. सबसे ज़्यादा असर अफ़्रीका में संकटग्रस्त इलाक़ों पर होगा, जहाँ लाखों बच्चों की पढ़ाई अधर में लटक सकती है. साथ ही, प्राथमिक शिक्षा, शरणार्थी बच्चों के लिए कक्षाओं और स्कूल पोषण योजनाओं, इन सभी पर गहरा असर पड़ सकता है…(वीडियो)

ग़ाज़ा के जबालिया से विस्थापित हुए कुछ लोग, एक ध्वस्त इमारत में रह रहे हैं.
UN News

बाल अधिकार हनन मामलों में लगातार तीसरे साल उछाल

वर्ष 2023 में बच्चों के विरुद्ध गम्भीर उल्लंघन के 41,370 मामले दर्ज और सत्यापित किए गए, जोकि 2023 की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक हैं. सशस्त्र टकराव में बच्चों पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, यह लगातार तीसरा वर्ष है जब बाल अधिकार हनन के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है.

ग्राम पंचायत की बैठक से पहले चर्चा करते, बाल सभा के सदस्य.
© UNICEF/Mithila Jariwala

बदलाव की बुनियाद: राजस्थान में बाल पंचायतों व सभाओं से उभरती बच्चों की आवाज़

भारत के राजस्थान राज्य के ग्रामीण इलाक़ों में बच्चे, अब बाल विवाहशिक्षापर्यावरण और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर न केवल चर्चा कर रहे हैंबल्कि समाधान के लिए ठोस योगदान भी दे रहे हैं. यह सम्भव हुआ है बाल पंचायत और बाल सभा के ज़रिए, जिससे 10 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों व युवाओं को निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में अहम भूमिका निभाने का अवसर मिल रहा है.

ग़ाज़ा के जबालिया में फ़लस्तीनी बच्चे एक ध्वस्त घर के मलबे पर बैठे हुए हैं.
UN News

ग़ाज़ा: एक महीने से अधिक समय से, 10 लाख बच्चे ज़रूरी सहायता से वंचित

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने कहा है कि ग़ाज़ा पट्टी में मानवीय सहायता आपूर्ति पर पाबन्दी की वजह से 10 लाख से अधिक बच्चों पर गम्भीर असर हो रहा है. इसके मद्देनज़र, यूएन एजेंसी ने उनकी भलाई व जीवनरक्षा के लिए, बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा किए जाने की अपील की है.

यूक्रेन में छोटे बच्चों के एक स्कूल में हुई बर्बादी.
© UNICEF/Christina Pashkina

यूक्रेन: बमबारी से बचने के लिए सुरक्षित स्थान पर शरण, बच्चों के लिए आम जीवन का हिस्सा

संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन में हवाई हमलों से बचने की चेतावनी देने वाले सायरन अब अनेक बच्चों के लिए स्कूली जीवन का एक नियमित हिस्सा हो गए हैं.

13 और 15 वर्ष की दो लड़कियाँ, भारत के छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में एक मनोसामाजिक समूह सत्र में भाग लेने के लिए गलियारे से गुज़र रही हैं.
© UNICEF/Faisal Magra

भारत: मन्थन परियोजना, आदिवासी युवजन के लिए आशा की किरण

भारत में यूनीसेफ़ के सहयोग से, छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासी बच्चों की बेहतरी के लिए मन्थन नामक एक पहल शुरू की है, जिसके तहत बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य व आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाते हुए, एक सशक्त जीवन की राह पर आगे बढ़ाया जा रहा है.

काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) में बाल सैनिकों को रिहा कराए जाने के बाद, उन्हें समाज में घुलने-मिलने के लिए कार्यक्रम.
UN Photo/Sylvain Liechti

वैश्विक प्रतिबद्धताओं के बावजूद, बाल सैनिकों की भर्ती मामलों में उछाल

सशस्त्र टकरावों के दौरान सैनिकों के रूप में इस्तेमाल किए जाने से बच्चों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा लिए गए संकल्प को वर्ष 2024 में 35 वर्ष पूरे हो गए. हालांकि, इसके बावजूद हथियारबन्द गुटों द्वारा बाल सैनिकों की भर्ती उनके इस्तेमाल के मामलों में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.