अनेकानेक संकटों ने लाखों लोगों को अत्यन्त गम्भीर खाद्य असुरक्षा के गर्त में धकेला
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक खाद्य पदार्थों व ऊर्जा मूल्यों में वृद्धि को बहुत तेज़ कर दिया है जिससे दुनिया भर में आर्थिक स्थिरता पर नकारात्मक असर पड़ रहा है.
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य व कृषि संगठन (FAO) और विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) की सोमवार को जारी इस रिपोर्ट के अनुसार यूक्रेन युद्ध के अनेकानेक प्रभावों ने, मूल्य वृद्धि को बेतहाशा तेज़ कर दिया है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहाँ ग्रामीण अलगाव ज़्यादा है और कृषि आधारित खाद्य प्रणालियाँ भी नाज़ुक हैं.
🆘Northern Ethiopia🆘Somalia🆘Yemen🆘South Sudan🆘AfghanistanThese are the places where a perfect storm of climate shocks, conflict, and spiraling costs have already made starvation and death a daily risk for 750,000 people.GET THE REPORT: https://t.co/WjCYsnQGbX
WFP
संयुक्त राष्ट्र की इन दोनों एजेंसियों ने लोगों की ज़िन्दगियाँ व आजीविकाएँ बचाने और गम्भीर भुखमरी के 20 क्षेत्रों में अकाल को रोकने के लिये, तुरन्त कार्रवाई किये जाने की पुकार लगाई है. ये ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ गम्भीर ज़रूरतें बढ़ने की सम्भावना है, अब से लेकर सितम्बर तक.
समय के विरुद्ध दौड़
संघर्षों, जलवायु झटकों, कोविड-19 महामारी के प्रभावों, विशालकाय सार्वजनिक क़र्ज़ों के बोझ और अब यूक्रेन युद्ध के कारण, विभिन्न तरह के खाद्य संकट उत्पन्न हो रहे हैं, और ऐसे स्थानों पर हालात और भी गम्भीर होने की अपेक्षा है जहाँ आर्थिक अस्थिरता है, और जलवायु परिस्थितियों के कारण खाद्य उत्पादन में कमी के साथ-साथ बढ़ती क़ीमतों का मिश्रण है.
खाद्य व कृषि संगठन (FAO) के महानिदेशक क्यू डोंगयू ने आगाह करते हुए कहा है, “हम एक दूसरे के साथ गुँथे संकटों के अनेकानेक मिश्रित प्रभावों के लेकर बहुत चिन्तित हैं जिनके कारण, खाद्य उत्पादन और खाद्य उपलब्धता के लिये, लोगों की सामर्थ्य पर जोखिम उत्पन्न हो रहा है. इसके कारण लाखों अन्य लोग खाद्य असुरक्षा के अत्यन्त गम्भीर स्तर की स्थिति में पहुँच जाएंगे.”
“सर्वाधिक प्रभावित देशों में किसानों की मदद करने के लिये, हम समय के विरुद्ध दौड़ लगा रहे हैं. इसमें सम्भावित खाद्य उत्पादन में त्वरित वृद्धि करना और चुनौतियों का सामना करने के लिये, उनकी सहनक्षमता में जान फूँकना शामिल हैं.”
पानी पर चलने जैसी स्थिति
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि जल्दी-जल्दी और लगातार आते जलवायु झटकों ने अत्यन्त गम्भीर भुखमरी की स्थिति उत्पन्न कर रखी है; और इससे नज़र आता है कि हम एक ऐसी नई सामान्य स्थिति दाख़िल हो गए हैं जहाँ सूखा, बाढ़, तूफ़ान, और समुद्री तूफ़ान, खेतीबाड़ी को लगातार नुक़सान पहुँचा रहे हैं, आबादियों को विस्थापित कर रहे हैं और दुनिया भर में करोड़ों लोगों को तंगी व कठिनाई के हालात की तरफ़ धकेल रहे हैं.
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के कार्यकारी निदेशक डेविड बीज़ली का कहना है, “हम एक ऐसे ताक़तवर तूफ़ान का सामना कर रहे हैं जो ना केवल निर्धनतम लोगों को सबसे ज़्यादा प्रभावित कर रहा है, बल्कि ये ऐसे लाखों परिवारों को भी बड़े पैमाने पर प्रभावित करेगा जो अभी तक किसी तरह अपने सिर ‘पानी के ऊपर’ रखकर जीवित थे.”
त्वरित कार्रवाई की दरकार
रिपोर्ट के अनुसार इथियोपिया, नाइजीरिया, दक्षिण सूडान और यमन उच्चतम जोखिम वाले स्थान बने हुए हैं जहाँ त्रासदीपूर्ण हालात मौजूद हैं. उनके अलावा इस चिन्ताजनक सूची में अफ़ग़ानिस्तान और सोमालिया भी हाल ही में शामिल होने वाले देश बन गए हैं. इस स्थिति के बारे में पिछली रिपोर्ट जनवरी 2022 में जारी की गई थी.
इन छह देशों की आबादियों के कुछ हिस्सों को त्रासदी स्तर-5 के हालात का सामना करना पड़ रहा है और इन हालात के और भी ज़्यादा बिगड़ने की सम्भावना है. लगभग साढ़े सात लाख लोग भुखमरी और मृत्यु के कगार पर हैं.
क़रीब चार लाख लोग, इथियोपिया के युद्धग्रस्त क्षेत्र टीगरे में हैं और सोमालिया में वर्ष 2011 में अकाल पड़ने के बाद, किसी एक देश में ये सबसे बड़ी संख्या है.
इस बीच काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य, हेती, सहेल, सूडान और सीरिया भी गम्भीर चिन्ताओं वाले देश बने हुए हैं, जैसा कि जनवरी में जारी रिपोर्ट में कहा गया था. इस सूची में अब केनया भी शामिल हो गया है.
अंगोला, लेबनान, मैडागास्कर, और मोज़ाम्बीक़ भी भुखमरी के चिन्ताजनक क्षेत्र बने हुए हैं, और इस सूची में श्रीलंका, बेनिन, कैबो वर्डे, ज़िम्बाब्वे, गिनी, और यूक्रेन भी शामिल हो गए हैं.
विश्व खाद्य कार्यक्रम के मुखिया डेविड बीज़ली ने आगाह करते हुए कहा है कि इस समय के हालात, वर्ष 2011 की अरब क्रान्ति और 2007-2008 के खाद्य संकटों की तुलना में कहीं ज़्यादा बदतर हैं, जब 48 देशों में राजनैतिक अशान्ति और प्रदर्शनों की बाढ़ आ गई थी.
त्रासदी को टालना
रिपोर्ट में ज़िन्दगियाँ बचाने, अकाल को रोकने और आजीविकाएँ बचाने की ख़ातिर, देशों के स्तर पर तात्कालिक मानवीय सहायता कार्रवाई के लिये सिफ़ारिशें पेश की गई हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, साक्ष्य दिखाते हैं कि लोगों की ज़िन्दगियाँ व आजीविकाँ बचाने के लिये, पहले से ही की जाने वाली कार्रवाइयों में 1 डॉलर का निवेश करके, त्रासदी प्रभावित समुदायों के लिये होने वाले नुक़सानों को टालकर, 7 डॉलर तक की बचत की जा सकेगी.
डेविड बीज़ली का कहना है, “हमारे पास समाधान मौजूद हैं. मगर हमें कार्रवाई करने की दरकार है, और वो भी बहुत त्वरित.”