यमन: 'अन्धाधुन्ध मानवाधिकार उल्लंघन, युद्धापराध के दायरे में आ सकते हैं'
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने सुरक्षा परिषद और व्यापक अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से युद्धग्रस्त देश यमन में मानवाधिकार उल्लंघन के अतार्किक और निर्बाध उल्लंघन के मामलों पर यह कहते हुए रोक लगाने का आहवान किया है कि अत्याचारों ने पूरे देश को अपनी चपेट में ले लिया है.
यमन पर प्रख्यात अन्तरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय विशेषज्ञों के यूएन समूह के अध्यक्ष कामिल जैनदौबी ने गुरुवार को सुरक्षा परिषद के एक बन्द सत्र में कहा, “यमन में, आम लोग भुखमरी से पीड़ित नहीं हैं, बल्कि उन्हें संघर्ष के पक्षों द्वारा भुखमरी में धकेला जा रहा है.”
The #COVID19 economic crisis may pull 32 million people back into absolute poverty, @UNCTAD's new #LDCReport warns. #ProductiveCapacities can help, but need to be urgently built in least developed countries. https://t.co/ZM8zz12cKc pic.twitter.com/t65bRaYK0J
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अरब क्षेत्र के सबसे बदहाल देश यमन में, वर्ष 2015 में उस समय संघर्ष में घिरने लगा था, जब देश में अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार और हूथी विद्रोहियों के बीच लड़ाई भड़क उठी थी.
यमन सरकार को सऊदी अरब के समर्थन वाले गठबन्धन का समर्थन हासिल रहा है. हूथी विद्रोहियों को अन्सार अल्लाह के नाम से भी जाना जाता है.
यूएन मानवीय सहायता एजेंसी (OCHA) द्वारा मंगलवार को जारी आँकड़ों से मालूम होता है कि यमन में इस युद्ध के कारण लगभग 2 लाख 30 हज़ार लोगों की मौत हो चुकी है.
इनमें बड़ी संख्या – क़रीब 1 लाख, 31 हज़ार – ऐसे लोगों की है जिनकी मौत, भोजन, स्वास्थ्य और बुनियादी सेवाओं का अभाव होने के कारण हुई है.
वर्ष 2020 के पहले नौ महीनों के दौरान, लगभग 3 हज़ार बच्चों की मौत हुई है, और लगभग 1500 आम लोगों के हताहत होने की ख़बरें हैं.
मानवाधिकारों का अन्धाधुन्ध उल्लंघन
यूएन विशेषज्ञों ने सुरक्षा परिषद के सदस्य राजदूतों को बताया कि अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकारों और मानवीय क़ानून के गम्भीर उल्लंघन हो रहा है जिनमें मोर्टार हमले, बारूदी विस्फोटकों का इस्तेमाल, बच्चों को लड़ाई में इस्तेमाल के लिये भर्ती किया जाना; प्रताड़ना का सहारा लेना, जिसमें बन्दी बनाए रखे जाने की अवधि में यौन हिंसा भी शामिल है.
यूएन समूह के अध्यक्ष कामिल जैनदौबी ने कहा, “इस वर्ष हमारी जाँच-पड़ताल से पुष्टि हुई है कि अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून और अन्तरराष्ट्रीय मानवीय सहायता क़ानून के गम्भीर और अन्धाधुन्ध उल्लंघन के मामले हुए हैं, इनमें से बहुत से युद्धापराध के दायरे में परिभाषित हो सकते हैं.”
यूएन समूह ने इस पृष्ठभूमि में सुरक्षा परिषद से इन उल्लंघन के ज़िम्मेदार लोगों व पक्षों में दण्डमुक्ति का माहौल ख़त्म करने, प्रतिबन्धों का दायरा बढ़ाने और इस स्थिति को अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय को भेजने की पुकार लगाई है.
कोई सुरक्षित ठिकाना नहीं
यूएन समूह के अध्यक्ष कामिल जैनदौबी ने कहा कि इस वर्ष भी मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों से नज़र आता है कि युद्धरत पक्षों में, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून और इनसानी जीवन के लिये बिल्कुल भी सम्मान नहीं है.

“यमन में, आम नागरिकों के पास, युद्ध की तबाही और तकलीफ़ों से बचने के लिये, कोई सुरक्षित ठिकाना नहीं है.”
सबके हाथ रंगे हैं
यूएन समूह ने ज़ोर देकर कहा है कि इस युद्ध में किसी के भी हाथ साफ़ नहीं हैं, और संघर्ष में शामिल सभी पक्ष बराबर रूप में ज़िम्मेदार हैं.
समूह के सदस्यों ने अपनी तीसरी रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें बताया गया कि यमन सरकार, हूथियों, अलगाववादी दक्षिणी संक्रमणकालीन परिषद, और गठबन्धन के सदस्यों, ख़ासतौर पर सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात, सभी ने मानवाधिकार व अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन किया है.
लेकिन, उनकी जानकारी के अनुसार, अभी तक किन्हीं भी लड़ाकों को, इन उल्लंघनों के लिये जवाबदेह नहीं ठहराया गया है.
यूएन समूह ने संघर्ष में शामिल पक्षों से परे, अन्य देशों का आहवान किया है कि वो यमन में युद्धरत पक्षों को हथियार ना उपलब्ध कराएँ, क्योंकि हथियारों की ये आपूर्ति व उपलब्धता, युद्ध में एक भूमिका निभी रही है, और अन्ततः मानवाधिकार उल्लंघनों में भी योगदान कर रही है.
यूएन समूह के अध्यक्ष कामिल जैनदौबी ने कहा कि इस संघर्ष में हथियारों की लगातार आपूर्ति से युद्ध और ज़्यादा लम्बा खिंच रहा है, जिससे यमनी लोगों की तकलीफ़ें भी बेतहाशा बढ़ रही हैं.