वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

‘भुखमरी की सूनामी’ से, बहुत से अकाल पड़ने की आशंका

सोमालिया में युद्ध व सूखा के हालात के कारण, देश के अनेक हिस्सों में खाद्य सामान की भारी क़िल्लत हो गई है.
© WFP/Kevin Ouma
सोमालिया में युद्ध व सूखा के हालात के कारण, देश के अनेक हिस्सों में खाद्य सामान की भारी क़िल्लत हो गई है.

‘भुखमरी की सूनामी’ से, बहुत से अकाल पड़ने की आशंका

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत मामलों के प्रमुख मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने गुरूवार को सुरक्षा परिषद में बताया है कि संघर्ष जनित अकालों और व्यापक दायरे वाली खाद्य असुरक्षा के जोखिम लगातार बढ़ रहे हैं. ऐसे में उन्होंने सुरक्षा परिषद से इन आपस में गुँथे हुए संकटों का सामना करने और प्रभावित क्षेत्रों में टिकाऊ शान्ति स्थापना की दिशा में काम करने का आग्रह किया है.

मानवीय सहायता मामलों की एजेंसी OCHA के प्रमुख मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने इथियोपिया में संघर्ष के प्रभाव पर, अतीत में दी गई चेतावनियों का भी ज़िक्र किया.

सोमालिया

उन्होंने हाल ही में की गई आपनी सोमालिया यात्रा का ज़िक्र किया, जहाँ इस समय दो लाख से ज़्यादा लोग अकाल के जोखिम का सामना कर रहे हैं. ये संख्या नवम्बर तक तीन लाख तक हो जाने की अपेक्षा है, जबकि लाखों अन्य लोग, भुखमरी के कगार पर धकेल दिये जाने के जोखिम का सामना कर रहे हैं.

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा कि व्यापक दायरे वाली ये तदकलीफ़ें, युद्ध के प्रत्यक्ष और परोक्ष प्रभाव और युद्धरत पक्षों के व्यवहार के परिणामस्वरूप सामने आ रही हैं.

‘युद्ध नीति’

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने बताया कि हर सन्दर्भ में एक ही तरह के चलन देखने को मिलते हैं – किस तरह आम लोग हताहत होते हैं; परिवार जबरन विस्थापित होते हैं; बाज़ारों और कामकाज तक पहुँच बाधित होती है; खाद्य सामग्रियों को लूटा जाता है; दूसरी तरफ़ सम्पूर्ण आर्थिक पतन, निर्बल परिस्थितियों वाले लोगों को, खाद्य सामग्री पहुँच से दूर कर देता है.

उन्होंने कहा कि अति गम्भीर मामलों में, युद्धरत पक्षों ने ऐसे व्यावसायिक सामान्य और अनिवार्य सेवाओं की उपलब्धता को जानबूझकर बाधित किया है जिन पर आम लोग जीवित रहने के लिये निर्भर होते हैं.

यमन में सात साल के युद्ध के दौरान, बच्चों को भारी तकलीफ़ें उठानी पड़ी हैं.
©UNICEF/Owis Alhamdan
यमन में सात साल के युद्ध के दौरान, बच्चों को भारी तकलीफ़ें उठानी पड़ी हैं.

“भुखमरी को युद्ध की एक रणनीति के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.”

मानवीय सहायता कर्मियों ने निसन्देह राहत जीवनरेखाओं का दायरा बढ़ाया है, दख़लअन्दाज़ी, प्रताड़ना और हमले, अक्सर ज़रूरतमन्दों तक पहुँच को बाधित करते हैं.

उन्होंने कहा कि मानवीय सहायता एजेंसियाँ ज़रूरत के स्थानों पर ठहरकर, सहायता आपूर्ति जारी रखेंगे, मगर कुछ विशिष्ट सन्दर्भों में परिस्थितियाँ अस्वीकार्य हैं.

भुखमरी के कारक

इस बीच, सूखा, वैश्विक स्तर पर उपभोक्ता वस्तुओं की बढ़ती क़ीमतें, और कोविड-19 महामारी के प्रभाव, व यूक्रेन युद्ध भी खाद्य असुरक्षा व मुसीबतों को और ज़्यादा बढ़ा रहे हैं.

और दक्षिण सूडान, नाइजीरिया, इथियोपिया, यमन, अफ़ग़ानिस्तान, और सोमालिया दरअसल, जलवायु परिवर्तन के अग्रिम मोर्चों पर हैं क्योंकि उन्हें सूखा, बाढ़ों, मरुस्थलिकरण और पानी की क़िल्लत का सामना करना पड़ रहा है.

संघर्षों पर एक नज़र

यमन में पिछले लगभग सात वर्षों से जारी सशस्त्र युद्ध ने देश को बुरी तरह झकझोर कर रख दिया है जिसके कारण, क़रीब एक करोड़ 90 लाख लोग, गम्भीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं.

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने बताया कि अनुमानतः एक लाख 60 हज़ार लोग विनाश का सामना कर रहे हैं, और पाँच लाख 38 हज़ार बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. उन्होंने चेतावनी भरे शब्दों में ये भी कहा कि सहायता राशि में क़िल्लत के कराण, स्थिति और भी बदतर हो सकती है.

गत वर्ष दक्षिण सूडान, सहायताकर्मियों के लिये बेहद ख़तरनाक स्थानों में से एक था, जहाँ मानवीय सहायता कर्मियों और उनकी सम्पत्तियों को निशाना बनाने वाली 319 हिंसक वारदातें हुईं.

इस बीच इथियोपिया के अफ़ार, अमहारा, और टीगरे क्षेत्रों में, एक करोड़ 30 लाख से ज़्यादा लोगों को जीवनरक्षक खाद्य सहायता की आवश्यकता है.

नाइजीरिया के पूर्वोत्तर प्रान्त - बोर्नो में विस्थापित महिलाएँ अपने बच्चों को साथ, विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के एक आकलन शिविर में.
© WFP/Arete/Siegfried Modola
नाइजीरिया के पूर्वोत्तर प्रान्त - बोर्नो में विस्थापित महिलाएँ अपने बच्चों को साथ, विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के एक आकलन शिविर में.

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा कि इथियोपिया के उत्तरी क्षेत्र में, अलबत्ता मानवीय सहायता पहुँचाने के प्रयासों में कुछ बेहतरी आई, मगर हाल के सप्ताहों में हिंसक गतिविधियाँ फिर शुरू होने के कारण, हाल की प्रगति उलट रही है.

उन्होंने नाइजीरिया के पूर्वोत्तर इलाक़ों में, संयुक्त राष्ट्र की अनेक परियोजनाओं का भी ज़िक्र किया जहाँ 41 लाख लोग, अति गम्भीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं. इन युद्धग्रस्त इलाक़ों में अदामावा, बोर्नो और योब शामिल हैं.

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने बताया कि इन इलाक़ों में खाद्य सुरक्षा सम्बन्धी आकलन नहीं किया जा सका, मगर ये डर है कि कुछ लोग पहले ही गम्भीर विनाश के स्तर पर पहुँच गए हैं और मौत के जोखिम का सामना कर रहे हैं.

लपटों को ठंडा करना

संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के प्रमुख डेविड बीज़ली ने मध्य अमेरिका की अपनी हाल की यात्रा के दौरान प्रत्यक्ष रूप से देखा कि युद्धक स्थितियाँ, किस तरह, आग की लपटों को हवा दे रही हैं, जोकि पहले ही अति गम्भीर भुखमरी संकट बना हुआ था.

उन्होंने याद करते हुए ग्वाटेमाला में ऐसे लोगों की दर्दनाक दास्तानें बयान की जिन्हें गहन हताशा में उत्तरी इलाक़ों की तरफ़ प्रवास कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि जलवायु संकट और कोविड-19 महामारी संकट के लगातार प्रभावों ने, पहले ही बहुत से परिवारों को, स्थिति का सामना करने में असमर्थ बना दिया है.

“लोगों को लगता है कि उनके पास कुछ भी नहीं बचा है – या तो वहीं ठहरें और भूखे रहें, या एक बेहत भविष्य की चाह में दाव खेलकर, वहाँ से चले जाएँ और मौत का जोखिम भी उठाएँ.”

नाइजीरिया के पूर्वोत्तर क्षेत्र में, विस्थापितों के लिये बनाए गए एक शिविर में कुछ बच्चे कीचड़ में होकर जाते हुए.
© UNICEF/KC Nwakalor
नाइजीरिया के पूर्वोत्तर क्षेत्र में, विस्थापितों के लिये बनाए गए एक शिविर में कुछ बच्चे कीचड़ में होकर जाते हुए.

अभूतपूर्व वैश्विक आपदा

यूएन खाद्य सहायता एजेंसी के प्रमुख ने दलील देते हुए कहा कि जन स्तर पर भुखमरी और अकाल के बढ़ते जोखिम के हालात में, “हम एक अभूतपूर्व स्तर की वैश्विक आपदा का सामना कर रहे हैं”.

उन्होंने कहा कि और जब से यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ है, भुखमरी की एक लहर, सूनामी में तब्दील हो गई है, 82 देशों में साढ़े 34 करोड़ लोग, भुखमरी की तरफ़ बढ़ रहे हैं.

“ये रिकॉर्ड उच्च संख्या है – जोकि कोविड-19 महामारी शुरू होने के पहले के समय में अति गम्भीर खाद्य असुरक्षा का सामना करने वाले लोगों की संख्या से, ढाई गुना ज़्यादा है.”

डेविड बीज़ली ने कहा, “दुनिया भर में भुखमरी का सामना कर रहे लोग, सही काम करने के लिये हमारी तरफ़ देख रहे हैं – और हम उन्हें निराश नहीं कर सकते.”