वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

कोविड-19: यूएन हिन्दी कवरेज

कोविड-19: अन्तरराष्ट्रीय स्वास्थ्य आपदा – यूएन हिन्दी न्यूज़ कवरेज
पहली बार इन मामलों की जानकारी, दिसम्बर 2019 में चीन के वूहान में मिली.

चीन सहित दुनिया के कई देश नॉवल कोरोनावायरस (कोविड-19) के ख़तरे का सामना कर रहे हैं. चीन सहित अनेक देशों में इस वायरस के संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते रहे हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) हालात पर क़ाबू पाने के लिए विशेषज्ञों, सरकारों व साझीदार संगठनो के साथ मिलकर काम करता रहा है ताकि नए वायरस के बारे में वैज्ञानिक जानकारी को पुख़्ता बनाया जा सके, उसके फैलने और घातकता में कमी लाई जाए और प्रभावित देशों व व्यक्तियों को सेहत का ध्यान रखने के लिए ज़रूरी क़दम सुनिश्चित किए जा सकें.

कोरोनावायरस से जुड़ी ख़बरों पर नियमित अपडेट यहाँ उपलब्ध है...

जॉर्जिया के ज़रूरतमन्द बुज़ुर्ग नागरिकों को यूएन देखभाल सेवाओं को बेहतर बनाने के लिये प्रयासरत है.
UNDP/Vladimir Valishvili

कोविड-19: वृद्धजनों के साथ हिंसा व दुर्व्यवहार के मामलों में उछाल

संयुक्त राष्ट्र की स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ क्लॉडिया माहलेर ने बुज़ुर्गों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये, 15 जून को विश्व दिवस पर ऐसे उपायों को अपनाने की पुकार लगाई है जिनसे वृद्धजनों के लिये न्याय को सुनिश्चित किया जा सके.

ब्रिटेन के कॉर्नवॉल में जी-7 समूह की बैठक.
©Karwai Tang/G7 Cornwall 2021

जी-7 बैठक: वैक्सीन की 87 करोड़ ख़ुराकें साझा करने के संकल्प का स्वागत

कोरोनावायरस वैक्सीन के न्यायसंगत वितरण के लिये स्थापित ‘कोवैक्स’ पहल के साझीदार संगठनों ने, जी-7 समूह के देशों की उस घोषणा का स्वागत किया है, जिसमें 87 करोड़ ख़ुराकें, सीधे तौर पर साझा करने का संकल्प लिया गया है. वैक्सीन की इन ख़ुराकों की आपूर्ति, 2021 और 2022 में किये जाने की योजना है और इनमें से आधी ख़ुराकें, इस वर्ष के अन्त तक उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है.   

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश जी-7 समूह की बैठक के लिये अपनी उम्मीदों को साझा करते हुए.
United Nations

कोरोनावायरस वैक्सीन, एक वैश्विक सार्वजनिक भलाई - यूएन प्रमुख

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि वैश्विक महामारी कोविड-19, दुनिया के लिये असाधारण पीड़ा की वजह बनी है, और इस पर क़ाबू पाने के लिये, जीवनरक्षक कोविड-19 वैक्सीनों को वैश्विक सार्वजनिक भलाई के रूप में देखा जाना होगा. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अनेक देशों में, जंगल में आग की तरह फैल रहे वायरस को रोकने का कोई अन्य रास्ता नहीं है.

भारत के 40 लाख सफ़ाई साथी देश की कचरा प्रबन्धन प्रणाली की रीढ़ हैं.
UNDP India/Raja Venkatapathy

भारत के 'अदृश्य पर्यावरण कार्यकर्ता' - सफ़ाई साथी

भारत में कोविड-19 महामारी के दौरान, प्लास्टिक कचरे में इस्तेमाल किये गए दस्तानों, मास्क व अन्य सामग्री की मात्रा बढ़ी है जिससे सफ़ाईकर्मियों के संक्रमण का शिकार होने का भी जोखिम बढ़ा है. उनके पास अक्सर ज़रूरी बचाव उपकरणों का अभाव होता है और सामाजिक संरक्षा योजनाओं तक पहुँच नहीं होती. इसके मद्देनज़र, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने ‘उत्थान’ नामक एक कार्यक्रम शुरू किया है जिसके तहत, सरकारी योजनाओं के दायरे में लाने के लिये, नौ हज़ार सफ़ाई साथियों को राष्ट्रीय पहचान पत्र हासिल करने में मदद मिली है और उनके टीकाकरण के भी प्रयास किये जा रहे हैं.

 

इथियोपिया में एक स्वास्थ्यकर्मी टीका लगाने की तैयारी कर रहा है.
© UNICEF/Nahom Tesfaye

कोविड-19: महामारी के दो अलग-अलग रास्ते, वैक्सीन विषमता चिन्ताजनक

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने क्षोभ ज़ाहिर करते हुए कहा है कि टीकाकारण की ऊँची दर वाले देशों में पाबन्दियों को हटाने की तैयारी हो रही है, जबकि बहुत से देशों में ख़तरनाक हालात बरक़रार हैं. कोविड-19 वैक्सीन के वितरण में पसरी विसंगति के कारण संक्रमण का फैलाव जारी है, और इन हालात में वायरस का एक ऐसा रूप उभरने का जोखिम भी बढ़ रहा है जो अब तक के उपचारों को बेअसर बना सकता है.

कोवैक्स पहल के तहत बांग्लादेश को कोविड-19 वैक्सीन की पहली खेप 31 मई को भेजी गई.
© UNICEF/Bashir Ahmed Sujan

कोविड-19: वैक्सीन की 25 करोड़ ख़ुराकें दान करने का आग्रह

कोरोनावायरस वैक्सीन की करीब दो अरब ख़ुराकें अब तक वैश्विक स्तर पर वितरित की जा चुकी हैं, मगर इसका 0.5 फ़ीसदी हिस्सा ही निम्न आय वाले देशों को मिल पाया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शुक्रवार को कहा है कि ऐसे देशों में अग्रिम मोर्चे पर डटे स्वास्थ्यकर्मियों और बुज़ुर्गों को एक ख़ुराक भी नहीं मिल पाई है, जिसके मद्देनज़र, करोड़ों ख़ुराकें दान किये जाने का आहवान किया गया है.

फ़्राँस के एक अस्पताल की रसोई में मरीज़ों के लिये भोजन तैयार किया जा रहा है.
ILO Photo/Marcel Crozet

कोविड-19 का श्रम बाज़ार पर असर - बढ़ती बेरोज़गारी, निर्धनता और विषमता

वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण श्रम बाज़ार में उपजे संकट के ख़त्म होने के आसार फ़िलहाल नहीं है, और रोज़गार के अवसरों में होने वाली बढ़ोत्तरी, वर्ष 2023 तक इस नुक़सान की भरपाई नहीं कर पाएगी. अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा बुधवार को जारी एक रिपोर्ट दर्शाती है कि वैश्विक संकट के कारण, 2022 तक बेरोज़गारों की संख्या बढ़कर 20 करोड़ 50 लाख हो जाएगी, और निर्धनों की संख्या में वृद्धि होने के साथ-साथ विषमता भी बढ़ेगी.  

कोविड-19 के कारण ज़्यादा से ज़्यादा बच्चों का स्कूल छोड़कर, बाल श्रम की ओर धकेले जाने का ख़तरा बढ़ गया है.
UN Photo/Martine Perret

बच्चों का भविष्य बचाने के लिये तात्कालिक कार्रवाई की आवश्यकता

भारत में अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की निदेशक, डागमार वॉल्टर ने ज़ोर देकर कहा है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के दूरगामी प्रभावों से बच्चों की रक्षा करने और बाल मज़दूरी के क्षेत्र में हुई प्रगति को व्यर्थ होने से बचाने के लिये तत्काल कार्रवाई की ज़रूरत है.  

भारत की राजधानी नई दिल्ली के लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में एक मरीज़ को भर्ती किया जा रहा है.
© UNICEF/Amerjeet Singh

महामारी की चपेट में एशिया-प्रशान्त - 'तत्काल, मज़बूत समर्थन की दरकार'

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने सचेत किया है कि एशिया-प्रशान्त क्षेत्र में कोविड-19 महामारी के फैलाव के बीच कोरोनावायरस वैक्सीन की क़िल्लत है, जिसके लिये आपूर्ति को बेहतर बनाया जाना होगा. इसके मद्देनज़र, कोविड-19 वैक्सीन की न्यायसंगत सुलभता के लिये स्थापित की गई, 'कोवैक्स' पहल को तत्काल, मज़बूत समर्थन प्रदान किये जाने का आहवान किया गया है. साथ ही, टीकाकरण मुहिम के दौरान, शरणार्थियों व शरण की तलाश कर रहे लोगों का ख़याल रखने की बात कही गई है.

इथियोपिया के एक अस्पताल में एक डॉक्टर को टीका लगाया जा रहा है.
© UNICEF/Nahom Tesfaye

महामारी के अन्त और वैश्विक पुनर्बहाली की योजना - वैक्सीन समता पर बल

अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व बैन्क समूह (WBG), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और विश्व व्यापार संगठन (WTO) के प्रमुखों ने मंगलवार को एक साझा वक्तव्य जारी करते हुए, देशों की सरकारों से 50 अरब डॉलर के रोडमैप को वित्तीय समर्थन देने का आग्रह किया है. कोविड-19 महामारी के अन्त और तेज़ पुनर्बहाली को सुनिश्चित किये जाने पर लक्षित इस योजना के ज़रिये विकासशील देशों में, वैक्सीनों, परीक्षणों और उपचारों की विषमता को दूर करना है.