जी-7 बैठक: वैक्सीन की 87 करोड़ ख़ुराकें साझा करने के संकल्प का स्वागत
कोरोनावायरस वैक्सीन के न्यायसंगत वितरण के लिये स्थापित ‘कोवैक्स’ पहल के साझीदार संगठनों ने, जी-7 समूह के देशों की उस घोषणा का स्वागत किया है, जिसमें 87 करोड़ ख़ुराकें, सीधे तौर पर साझा करने का संकल्प लिया गया है. वैक्सीन की इन ख़ुराकों की आपूर्ति, 2021 और 2022 में किये जाने की योजना है और इनमें से आधी ख़ुराकें, इस वर्ष के अन्त तक उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है.
ब्रिटेन के कॉर्नवॉल में आयोजित जी-7 शिखर बैठक के दौरान समूह ने कोवैक्स पहल के लिये अपने समर्थन को पुष्ट करते हुए कहा है कि निर्धनतम देशों तक वैक्सीन पहुँचाने का यही प्राथमिक साधन होगा.
जी-7 समूह अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, जापान, जर्मनी, फ्रांस और कैनेडा से मिलकर बना है.
यूएन समर्थित कोवैक्स पहल में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), वैक्सीन अलायन्स (GAVI) महामारी सम्बन्धी नवाचार तैयारी के लिये गठबन्धन (Coalition for Epidemic Preparedness Innovations/CEPI), और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) हैं.
इस पहल का उद्देश्य सभी ज़रूरतमन्द देशों तक कोविड-19 वैक्सीन का न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करना है.
कोवैकस के साझीदार संगठनों ने वैक्सीन की ख़ुराकें साझा करने के लिये जी-7 देशों के साथ मिलकर प्रयास तेज़ करने का बात कही है ताकि उसकी आपूर्ति में पेश आ रही अल्पकालिक चुनौतियों को दूर किया जा सके.
इसके ज़रिये कोविड-19 की रोकथाम के लिये वैश्विक टीकाकरण प्रयासों की धीमी रफ़्तार में बेहतरी लाने और भविष्य में वायरस के घातक नए रूपों की आशंका को कम करने में मदद मिलेगी.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष की प्रमुख हेनरीएटा फ़ोर ने रविवार को जारी अपने वक्तव्य में, जी-7 सदस्य देशों द्वारा वैक्सीन साझा करने के संकल्प का स्वागत किया है.
साथ ही उन्होंने आगाह किया है कि दुनिया इस महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई में एक दुखद पड़ाव पर पहुँच गई है. “कोविड-19 से 2021 में अभी तक जितने लोगों की मौत हुई है, उतनी संख्या पिछले साल भर में थी.”
“तत्काल कार्रवाई के अभाव में यह तबाही जारी रहेगी.”
टीकाकरण प्रयासों में विसंगति
विश्व के उच्च-आय वाले देशों में टीकाकरण तेज़ी से हुआ है, जिसके बाद वहाँ आम जनजीवन को फिर से सामान्य बनाने पर विचार हो रहा है.
मगर निम्न-आय वाले देशों में बहुत कम संख्या में ही टीके उपलब्ध हैं और हालात गम्भीर हैं.
यूएन एजेंसियों ने लातिन अमेरिका, एशिया और अफ़्रीका में संक्रमण के तेज़ उभार पर चिन्ता जताई है.
साथ ही वायरस के फैलाव के साथ-साथ उसका रूप व प्रकार बदलने का भी जोखिम है जिससे वैक्सीन बेअसर होने की आशंका है.
यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फ़ोर ने कहा, “ख़ुराकें अब दान में देना एक स्मार्ट नीति है जो हमारे सामूहिक सर्वोत्तम हितों के अनुरूप है.”
“कोविड-19 महामारी ने बच्चों के जीवन में उथल-पुथल मचा दी है, और उनके जीवन का हर आयाम प्रभावित हुआ है: उनका स्वास्थ्य, संरक्षण, और भावी समृद्धि.”
“अब, हम आज जो कुछ करेंगे, पहले से कहीं ज़्यादा, उसका ठोस व स्थाई असर हमारे सामूहिक कल पर होगा. बर्बाद करने के लिये समय नहीं है.”
उनके मुताबिक़ वैक्सीन की उपलब्धता और वितरण के लिये स्पष्ट समयसीमा निर्धारित की जानी होगी, विशेष रूप से उन देशों के लिये जहाँ स्वास्थ्य प्रणाली कमज़ोर है.