कोविड-19: वृद्धजनों के साथ हिंसा व दुर्व्यवहार के मामलों में उछाल
संयुक्त राष्ट्र की स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ क्लॉडिया माहलेर ने बुज़ुर्गों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये, 15 जून को विश्व दिवस पर ऐसे उपायों को अपनाने की पुकार लगाई है जिनसे वृद्धजनों के लिये न्याय को सुनिश्चित किया जा सके.
वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान वृद्धजनों के साथ हिंसा, दुर्व्यवहार और उपेक्षा के मामलों में बढ़ोत्तरी देखी गई है.
विश्व के अनेक हिस्सों से देखभाल केन्द्रों से व्यथित कर देने वाली रिपोर्टें प्राप्त हुई हैं, जो उपेक्षा, अलगाव, और स्वास्थ्य, सामाजिक व क़ानूनी सहित अन्य सुविधाओं के अभाव को दर्शाती हैं.
"Violence, abuse and neglect of older persons have been brought into sharp focus during the COVID-19 pandemic. Older persons are rights holders whose dignity and rights do not have an expiration date in later life," says UN expert on the rights of #elderly people Claudia Mahler. pic.twitter.com/dzjc63Evi1
UNGeneva
महामारी के दौरान तालाबन्दी सहित अन्य ऐहतियाती उपायों के मद्देनज़र लिंग-आधारित हिंसा में बढ़ोत्तरी हुई है. साथ ही, परिवार के अन्य सदस्यों या देखभालकर्मियों तक सीमित रह जाने वाले वृद्धजनों के हिंसा, दुर्व्यवहार व उपेक्षा का शिकार होने का जोखिम भी बढ़ा है.
मानवाधिकार विशेषज्ञ क्लॉडिया माहलेर ने कहा, “महामारी के दौरान वृद्धजनों के हालात पर व्यापक तौर पर चिन्ता ज़ाहिर किये जाने के बावजूद, कारगर उपायों व समाधानों के रास्तों में मौजूद चुनौतियों व अवरोधों पर ध्यान कम ही गया है.”
इसके विपरीत, कुछ मामले ऐसे भी सामने आए हैं जिनमें कोविड-19 सम्बन्धी मौतों के सिलसिले में, देखभाल केन्द्रों को क़ानूनी कार्रवाई और जवाबदेही से छूट दे दी गई है.
इसके अलावा, बुज़र्गों व उनके परिवारजनों ने हताशा व निराश जताई है कि वृद्धजनों को सेवा प्रदान करने वाले केन्द्रों पर जो शिकायतें दर्ज की गई थीं, उनमें कार्रवाई और पारदर्शिता का अभाव है.
इन वजहों से बुज़ुर्गों के लिये न्याय हासिल करने और असरदार समाधान निकालने की प्रक्रिया और भी चुनौतीपूर्ण हो जाती है.
यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञ ने ज़ोर देकर कहा कि वृद्धजनों को अधिकार प्राप्त हैं, और उनकी गरिमा व अधिकार की समाप्ति की कोई समय सीमा नहीं है.
न्याय तक पहुँच के अधिकार के तहत, एक निष्पक्ष मुक़दमा, अदालतों में समानतापूर्ण पहुँच और मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में समय रहते उपायों की सुलभता के लिये अहम होगी.
विशेष रैपोर्टेयर ने कहा कि कष्ट-निवारण व उपायों की तलाश करते समय, यह सुनिश्चित किया जाना होगा कि वृद्धजन पीछे ना छूटने पाएँ.
इस क्रम में, उन्होंने सदस्य देशों से राष्ट्रीय स्तर पर क़ानूनी प्रावधान के साथ-साथ, एक ऐसे अन्तरराष्ट्रीय बाध्यकारी मानवाधिकार आधारित उपाय को तैयार किये जाने की अपील की है जिससे बुज़ुर्गों की न्याय तक पहुँच को सुनिश्चित किया जा सके.
ऐसा करते समय उनकी स्वायत्ता का पूर्ण रूप से ख़याल रखा जाना होगा.
क़ानूनी सहायता के प्रावधान के अतिरिक्त, अधिकारों व शिकायत प्रक्रियाओं के विवरण को सरल बनाने, मुक़दमे से जुड़े शुल्कों में छूट देने, सेवा सुलभता प्रक्रिया को बेहतर बनाने, परामर्श व समर्थन सेवाएँ सुनिश्चित करने सहित अन्य उपायों का ध्यान रखा जाना होगा.