वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

साक्षात्कार

UN News/Sachin Gaur

महिलाओं के प्रति भेदभाव के सभी रूपों के उन्मूलन पर केंद्रित यूएन 'संधि'

महिलाओं के प्रति भेदभाव को रोकने और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने के लक्ष्य के साथ 1979 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक संधि पारित हुई. इसे 'Convention on the Elimination of All Forms of Discrimination Against Women' (CEDAW) या 'महिलाओं के प्रति हर प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन पर संधि' का नाम दिया गया और यह 1981 में प्रभावी हो गई.

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UN News/Sachin Gaur

टिकाऊ विकास और महिला सशक्तिकरण में खादी की अहम भूमिका

खादी वस्त्र नहीं विचार है. भारत के स्वाधीनता आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी का यह सूत्र वाक्य ग्रामीण आत्मनिर्भरता, विकेंद्रित विकास और आर्थिक स्वावलंबन का प्रतीक बन गया.

खादी का इतिहास यूं तो 100 साल से भी ज़्यादा पुराना है लेकिन वर्तमान दौर में भी इसका महत्व कायम है. टिकाऊ विकास, जलवायु परिवर्तन, रोज़गार सृजन और महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण सहित कई वैश्विक चुनौतियां हैं जिनसे निपटने में खादी का उपयोग और उसका प्रचार-प्रसार अहम भूमिका निभा सकता है.

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UNDP Eurasia/Tajikistan

'मेरे किसान मेरे साथ हैं'

कृषि एक ऐसा क्षेत्र हैं जहां महिलाएं बड़ी ज़िम्मेदारियां संभालती हैं लेकिन उनके योगदान को कई बार नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है. छोटे किसानों, विशेषकर महिला किसानों के सामने आने वाली मुश्किलों को कम करने की ललक के साथ और ऑरगैनिक या जैविक खेती के क्षेत्र में नई संभावनाओं से प्रेरित होकर नेहा उपाध्याय ने 'गुण ऑरगैनिक्स' नाम के एक एनजीओ की शुरुआत की.

उनकी टीम ने लद्दाख में महिला किसानों के साथ काम करना शुरू किया और पोषक तत्वों से परिपूर्ण कृषि उत्पादों को दिल्ली सहित अन्य शहरों में पहुंचाया.

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Revathi Roy

जागती आंखों से सपने देखो: रेवती रॉय

किराने का सामान, महत्वपूर्ण दस्तावेज़, कुरियर या कोई अन्य सामग्री हो, पार्सल वितरण की एक नई सेवा ज़रूरत का सामान लोगों के घरों तक पहुंचा रही है. अहम बात यह है कि ‘हे दीदी’ नाम की इस सेवा में हर ज़िम्मेदारी महिलाएं ही संभालती हैं. प्रशिक्षण प्राप्त एजेंट के तौर पर काम करने वाली अधिकांश महिलाएं निम्न आय वाले या ग़रीब परिवारों से आती हैं और यह अवसर उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बना रहा है.

इस पार्सल सेवा को शुरू करने वाली रेवती रॉय ने 2007 में ‘फ़ॉरशी’ नाम से एक टैक्सी सेवा की भी शुरुआत की थी जिसमें सिर्फ़ महिला चालक थीं और वो सेवा विशेष रूप से महिलाओं के लिए ही थी.

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UN

'मैं भी महिलाओं के लिए मिसाल बन सकती हूं'

भारत में जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा अपनी आजीविका चलाने के लिए कृषि पर निर्भर है. इनमें भी अधिकाशं छोटे किसान हैं जिन्हें अपनी फ़सलों का कई बार सही दाम नहीं मिल पाता और बाज़ार से सीधे जुड़ने में भी अवरोधों का सामना करना पड़ता हैं. लेकिन हाल के सालों में जैविक खेती और सेहमतंद आहार की अहमियत के प्रति जागरूकता बढ़ी है जिससे कृषि के क्षेत्र में नए अवसर और संभावनाएं भी पैदा हुई हैं.

मुंबई स्थित ‘तरू नैचुरल्स’ इन्हीं दो विषयों को ध्यान में रखते हुए जैविक और स्वस्थ आहार को बढ़ावा देने और छोटे किसानों, विशेषकर महिला किसानों के सशक्तिकरण की दिशा में काम कर रही है.

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