'मैं भी महिलाओं के लिए मिसाल बन सकती हूं'
भारत में जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा अपनी आजीविका चलाने के लिए कृषि पर निर्भर है. इनमें भी अधिकाशं छोटे किसान हैं जिन्हें अपनी फ़सलों का कई बार सही दाम नहीं मिल पाता और बाज़ार से सीधे जुड़ने में भी अवरोधों का सामना करना पड़ता हैं. लेकिन हाल के सालों में जैविक खेती और सेहमतंद आहार की अहमियत के प्रति जागरूकता बढ़ी है जिससे कृषि के क्षेत्र में नए अवसर और संभावनाएं भी पैदा हुई हैं.
मुंबई स्थित ‘तरू नैचुरल्स’ इन्हीं दो विषयों को ध्यान में रखते हुए जैविक और स्वस्थ आहार को बढ़ावा देने और छोटे किसानों, विशेषकर महिला किसानों के सशक्तिकरण की दिशा में काम कर रही है.
कंपनी की संस्थापक रूचि जैन छोटे किसानों के साथ मिलकर काम करती हैं और उनके उत्पादों जैसे काले चावल, हल्दी, गुड़ को बाज़ार से जोड़ते हुए ग्राहकों तक पहुंचाया जाता है.
जिन छोटे किसानों के साथ वह काम कर रही हैं उनमें 70 फ़ीसदी से ज़्यादा महिलाएं ही हैं.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर यूएन समाचार से बातचीत में रूचि जैन ने बताया कि इस क्षेत्र में उन्हें शुरुआती मुश्किलें तो हुईं लेकिन चुनौतियों के बावजूद महिलाओं को अपना हौसला बनाए रखना चाहिए.