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भारत: महिलाओं को एक नई पहचान देने की कोशिश

भारत के दन्तेवाड़ा में परिधान कारख़ाने में काम करती महिलाएँ; आत्मनिर्भरता की मिसाल.
UNWOMEN India
भारत के दन्तेवाड़ा में परिधान कारख़ाने में काम करती महिलाएँ; आत्मनिर्भरता की मिसाल.

भारत: महिलाओं को एक नई पहचान देने की कोशिश

महिलाएँ

भारत के पूर्वी प्रदेश, छत्तीसगढ़ का नक्सवादी प्रभावित क्षेत्र दन्तेवाड़ा, अब उग्रवाद के लिए नहीं, बल्कि परिधान निर्माण के प्रमुख केन्द्र के रूप में जाना जाता है. यह सम्भव हुआ महिलाओं के लिए सरकारी योजनाओं के तहत, जिसने इलाक़े की सूरत ही बदल डाली. भारत में संयुक्त राष्ट्र महिला संस्था (UNWomen) ने इन महिलाओं की प्रेरक आपबीतियाँ प्रकाशित की हैं.

भारत के पूर्वी प्रदेश छत्तीसगढ़ के दक्षिण में स्थित बस्तर क्षेत्र का एक ख़ूबसूरत ज़िला है, दन्तेवाड़ा. पर्वत श्रृंखलाओं और घने साल व सागौन के जंगलों तथा कई नदियों से घिरा हुआ यह इलाक़ा, कुछ समय पहले तक, बस्तर क्षेत्र में व्याप्त वामपंथी उग्रवादी हिंसा का सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र माना जाता था. 

लेकिन, यह दूरस्थ ज़िला अब देश के कई प्रमुख ब्रैंड्स के लिए परिधान निर्माण का महत्वपूर्ण केन्द्र बन चुका है.

31 जनवरी, 2021 को, अत्याधुनिक कपड़ा निर्माण क़ारखाने डैनेक्स - दन्तेवाड़ा नैक्स्ट - नवा दन्तेवाड़ा का उदघाटन, दन्तेवाड़ा ज़िला मुख्यालय के समीप हारम में किया गया था, जिससे इस निर्धन एवं संघर्षग्रस्त क्षेत्र के लोगों, विशेषकर महिलाओं को आजीविका के नए अवसर प्राप्त हुए हैं.

योजना का विस्तार

इसी तरह की इकाइयाँ तीन अन्य क्षेत्रों - कार्ली, बारसूर और कटेकल्याण में भी स्थापित की गईं. इन चारों इकाइयों में, कुल मिलाकर 750 महिलाएँ कार्यरत हैं, जो पूरे कार्यबल का 90 प्रतिशत हिस्सा हैं. यहाँ पुरुषों को केवल भारी काम के लिए ही नियुक्त किया जाता है. 

महिलाओं का चयन, पारिवारिक आमदनी के आधार पर किया जाता है. जिन लोगों को रोज़गार की सबसे अधिक ज़रूरत होती है, उन्हें प्राथमिकता दी जाती है. इसमें शमिल होने की योग्यता है, 18 वर्ष की आयु, आधार पहचान पत्र और बैंक खाता होना. 

इस परिधान कारख़ाने में भर्ती होने से पहले उन्हें 45 दिनों का प्रशिक्षण भी दिया जाता है. औसत वेतन 8 हज़ार रुपए से 12 हज़ार रुपए प्रति माह के बीच होता है.

सभी इकाइयों में, 4 से 5 किलोमीटर के दायरे में रहने वाली महिलाओं को ही काम पर रखा जाता हैं, ताकि उन्हें कामकाज के लिए लम्बी दूरी तय न करनी पड़े. प्रबन्धन की ओर से, कर्मचारियों के लिए मुफ़्त परिवहन सेवा भी उपलब्ध करवाई गई है.

परियोजना का असर

इस कपड़ा फैक्ट्री से महिलाओं को आजीविका के नए अवसर प्राप्त हुए हैं.
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अब तक साढ़े तीन करोड़ रुपए वेतन के तौर पर दिए जा चुके हैं और इन इकाइयों में 11 लाख परिधानों का उत्पादन हो चुका है. पहले ही साल में कुल कारोबार 66 करोड़ रुपए पहुँच गया था.

हारम में स्थित कारख़ाने की मैनेजर काजोल बताती हैं, ''अनेक महिलाएँ अब अपने परिवार की गुज़र-बसर चलाने लायक हो गई हैं.'' 

उन्होंने बताया कि कई महिलाओं ने अपनी आमदनी का इस्तेमाल, अपनी जीवनशैली में सुधार करने के लिए किया है, चाहे फिर वो परिवार के लिए दोपहिया वाहन ख़रीदना हो, या अपनी रसोई के लिए मिक्सर-ग्राइंडर या रसोई गैस सिलिंडर ख़रीदना.

वो बताती हैं, ''मैंने ख़ुद देखा है कि इन इकाइयों ने, किस तरह ज़िले की महिलाओं का जीवन पलट दिया है.''

फ़िनिशिंग सुपरवाइज़र कुसुम नाग कहती हैं, “यह काम, मेरे और मेरे परिवार के लिए बहुत बड़ी मदद बनकर आया है.” 

कुसुम 2021 से यहाँ काम कर रही हैं और प्रति माह 8 हज़ार रुपए अर्जित कर लेती हैं. 

वो कहती हैं, "मैं परिवार में आय अर्जित करने वाली एक मात्र सदस्य हूँ, लेकिन रोज़गार के लिए घर से बहुत दूर जाना मेरे लिए सम्भव नहीं था."

पैकेजिंग सुपरवाइज़र, दिली मार्कड ने बताया, “यहाँ आने से पहले मैं एक कामकाजी महिला होने के बारे में कुछ नहीं जानती थी. अब मैं दूसरों से बातचीत कर पाती हूँ और सीखने के लिए तत्पर रहती हूँ."

महिलाओं को, तैयार उत्पादों को काटने, सिलने, इस्त्री करने, फ़िनिशिंग करने और पैकिंग का प्रशिक्षण दिया जाता है. 

डैनेक्स से, कई मशहूर ऑनलाइन ब्रैंड्स डिज़ाइन, रंग योजनाएँ और कच्चा माल भेजे जाते हैं और डिज़ाइनर की आवश्यकता के अनुसार परिधान बनाए जाते हैं.