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महिलाएँ

अफ़ग़ानिस्तान की संसद में महिला सांसद, निर्णय निर्धारक भूमिकाओं में महिलाओं के विषय पर एक बैठक में हिस्सा ले रही हैं.
UN Women/ Nangyalai Tanai

निर्णय-निर्धारण प्रक्रिया में महिलाओं के समावेश की सुनिश्चितता पर बल

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय का कहना है कि निर्णय-निर्धारण प्रक्रिया में महिलाओं की समान एवं सार्थक भागेदारी ना केवल स्वयं में एक अधिकार है, बल्कि सार्वजनिक निर्णय लिए जाते समय, उनके मानवाधिकारों व हितों का सम्मान किए जाने की अनिवार्य शर्त भी है.

 

अमेरिका के वाशिंगटन डीसी शहर में, अक्टूबर 2021 में, गर्भपात अधिकारों के समर्थन में प्रदर्शन
© Unsplash/Gayatri Malhotra

USA: गर्भपात प्रतिबन्ध से लाखों महिलाओं व लड़कियों पर जोखिम

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने शुक्रवार को कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में, जून 2022 में गर्भपात का संवैधानिक अधिकार ख़त्म किए जाने के बाद से, लाखों महिलाओं व लड़कियों को, यौन व प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल हासिल करने में चिन्ताजनक गिरावट का सामना करना पड़ा है.

 स्पेन के मैड्रिड में एक प्रदर्शन में महिला कार्यकर्ता
© Unsplash/Mari Vlassi

यौन, लिंग और लैंगिक पहचान पर, भय रहित अभिव्यक्ति की आज़ादी की पुकार

संयुक्त राष्ट्र की एक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ रीम अलसालेम ने यौन सम्बन्धों एवं यौन रुझान पर अपने विचार व्यक्त करने वाली महिलाओं को, डराने-धमकाने की घटनाओं पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त की है.

 

काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) के उत्तरी किवू में, पीड़ितों की सहायता के लिये ट्रस्ट कोष के समर्थन के माध्यम से, डोरिका - महिलाओं के यौन हिंसा पीड़ितों के समूह का हिस्सा बनीं, और अब स्वयं का व्यवसाय शुरू करने के लिये माइक्रो-क्रेडिट ऋण प्राप्त कर रही हैं
© Finbarr O’Reilly

डीआरसी: यौन हिंसा का चिन्ताजनक स्तर, यूनीसेफ़ की चेतावनी

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) के उत्तरी किवू प्रान्त में महिलाओं व बच्चों के विरुद्ध यौन हिंसा के मामलों में हुई वृद्धि के मद्देनज़र, रोकथाम कार्रवाई और पीड़ितों के लिए समर्थन सेवाएँ सुनिश्चित करने के इरादे से, तत्काल निवेश किए जाने की अपील की है.

बांग्लादेश में रोहिंज्या शरणार्थी महिलाओं ने पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद बनाने का कौशल हासिल किया.
© UNHCR/Kamrul Hasan

पर्यावरण अनुकूल उत्पादों के ज़रिए, अपना कौशल निखारती रोहिंज्या शरणार्थी महिलाएँ

बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार में दूर तक फैले हुए कुटुपलोंग शरणार्थी शिविर में स्थित जूट थैला उत्पादन केन्द्र, बाहर से देखने पर बाँस से बना हुआ एक साधारण, अस्थाई ढाँचा ही नज़र आता है. मगर, भीतर क़दम रखने पर मालूम होता है कि यह तो उजले प्रकाश में व्यस्त कामगारों का केन्द्र है, जहाँ अनेक रोहिंज्या शरणार्थी महिलाएँ, सिलाई मशीन पर काम करते हुए या मेज़ बनाते हुए नज़र आती हैं.

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल का एक दृश्य. यह तस्वीर जून 2020 की है.
ADB/Jawad Jalali

अफ़ग़ानिस्तान: तालेबान द्वारा ‘क्रूर’ दंडों के प्रयोग पर गहरी चिन्ता

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों एक समूह ने गुरूवार को कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में दंड के “क्रूर व गरिमाहीन” तरीक़े और मृत्युदंड का प्रयोग व निष्पक्ष मुक़दमों की गारंटियों का अभाव, सब मिलकर, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन करते हैं और उन्हें तत्काल रोका जाना होगा.

भारत के मुट्टक के एक अस्पताल में एक गर्भवती महिला की प्रसव के पूर्व जाँच होते हुए. है
© UNICEF/Prashanth Vishwanathan

हर सात सेकेंड में एक गर्भवती महिला या नवजात शिशु की मौत

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंगलवार को जारी एक नई रिपोर्ट में कहा है कि पिछले आठ वर्षों के दौरान, गर्भवती महिलाओं, माताओं और शिशुओं की असमय होने वाली मौतों में कमी लाने के प्रयासों में, वैश्विक प्रगति थम गई है. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने मातृत्व और नवजात शिशुओं के लिए स्वास्थ्य सेवाओं में घटते निवेश को इसकी वजह बताया है.

अफ़ग़ानिस्तान के जलालाबाद में, एक सड़क पर कुछ महिलाएँ (फ़ाइल फ़ोटो)
UN Photo/Fardin Waezi

अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान से ‘दैहिक दंड’ को ख़त्म करने की पुकार

अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNAMA) ने सोमवार को कहा है कि देश में सत्तारूढ़ तालेबान अधिकारियों द्वारा दिया जा रहा दैहिक दंड, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के ख़िलाफ़ है और उस पर तत्काल रोक लगाई जानी होगी. इस दंड के दायरे में शारीरिक उत्पीड़न किए जाने के साथ-साथ मृत्युदंड भी शामिल हो सकता है.

अफ़ग़ानिस्तान के कन्दाहार में, यूनीसेफ़ समर्थित एक सचल स्वास्थ्य केन्द्र में, महिलाएँ और बच्चे अपनी बारी की प्रतीक्षा करते हुए.
© UNICEF/Salam Al-Janabi

अफ़ग़ान महिलाओं के शब्द: ‘हम जीवित तो हैं, मगर ज़िन्दगी से महरूम हैं’

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने शुक्रवार को कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान द्वारा, देश की महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों के व्यवस्थागत दमन के परिणामस्वरूप ऐसे मौतें होने के हालात तैयार हो सकते हैं जिन्हें रोका जा सकता है, और अगर पाबन्दियाँ नहीं हटाई गईं तो इन मौतों को जानबूझकर महिलाओं की हत्या माना जा सकता है.