इसराइल-फ़लस्तीन: मौजूदा ठहराव को पलटने के लिये, तत्काल सार्थक क़दमों की ज़रूरत

मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष संयोजक टॉर वैनेसलैण्ड ने बुधावार को सुरक्षा परिषद को बताया है कि इसराइल से फ़लस्तीनी धरती पर नई यहूदी बस्तियों के निर्माण रोकने की मांग करने वाला प्रस्ताव 2334, दिसम्बर 2016 में पारित होने के बाद से, इसके क्रियान्वयन पर “मामूली प्रगति” हुई है.
विशेष संयोजक टॉर वैनेसलैण्ड ने सदस्य राजदूतों को, मानवाधिकार उल्लंघनों के बारे में ताज़ा जानकारी दी जिसमें फ़लस्तीनी लोगों पर, अपने घर छोड़ने के लिये बढ़ते दबाव और नई सीमा चौकियों के निर्माण की योजनाएँ भी शामिल हैं.
📽️UN Special Coordinator for the Middle East Peace Process @TWennesland briefed the Security Council on deteriorating security situation, high levels of settler-related violence against Palestinians in West Bank & that #children continue to be killed & injured in large numbers. pic.twitter.com/kMOqawX4bl
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उन्होंने कहा, “इसराइली क़ब्ज़ा ख़त्म करने और संघर्ष का समाधान निकालने के लिये, किसी सार्थक शान्ति प्रक्रिया की अनुपस्थिति, इसराइल द्वारा क़ाबिज़ तमाम फ़लस्तीनी इलाक़ों में हालात में ख़तरनाक गिरावट को ईंधन दे रह है, विशेष रूप में पश्चिमी तट में, और इस अवधारणा को बल दे रही है कि इस संघर्ष का कोई समाधान नहीं है.”
संयुक्त राष्ट्र के दूत ने याद दिलाते हुए कहा कि प्रस्ताव 2334, में तमाम आम लोगों के ख़िलाफ़ हर तरह की हिंसा की रोकथाम के लिये तत्काल क़दम उठाने की पुकार लगाई गई है. उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि पश्चिम तट और ग़ाज़ा में, जून से सितम्बर के दौरान, अन्य तरह के हमले किये गए हैं, जिनमें ज़्यादातर फ़लस्तीनी लोग हताहत हुए.
“मैं विशेष रूप से इस पर गम्भीर रूप से चिन्तित हूँ कि बच्चे बड़ी संख्या में हताहत हो रहे हैं. किसी भी हालत में, बच्चों को कभी भी हिंसा का निशाना नहीं बनाया जाना चाहिये, या उन्हें किसी तरह का भी नुक़सान नहीं पहुँचाया जाना चाहिये.”
उन्होंने कहा कि इसराइल को घातक बल प्रयोग केवल तभी करना चाहिये, जब जीवन की रक्षा किया जाना सम्भव ना हो, और उसके परिणामस्वरूप किसी की मौत या घायल होने के मामलों की पूर्ण जाँच होनी चाहिये व ज़िम्मेदारों को जवाबदेह ठहराया जाए.
टॉर वैनेसलैण्ड ने कहा कि बातचीत कभी भी सदैव के लिये ख़त्म नहीं की जा सकती है और मौजूदा हालात, हिंसा और संघर्ष की लगातार जारी स्थिति की तरफ़ बढ़ते नज़र आ रहे हैं.
चूँकि प्रस्ताव संख्या 2334 में, दो राष्ट्र की स्थापना के समाधान को जोखिम में डालने वाले नकारात्मक रुझानों को उलटने के लिये तत्काल क़दम उठाने का भी आहवान किया गया है, उन्होंने कुच सकारात्मक घटनाक्रम का भी ज़िक्र किया. मसलन, 7 जुलाई को राष्ट्रपति महमूद अब्बास और इसराइल के रक्षा मंत्री बेंजामिन गैण्ट्ज़ के दरम्यान एक बैठक हुई है, और उसके एक दिन बाद ही इसराइली राष्ट्रपति इसाक हरज़ॉग और प्रधानमंत्री याइल लापिड ने, भी फ़ोन पर राष्ट्रपति महमूद अब्बास के साथ बातचीत की.
संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जोसेफ़ बाइडन ने भी जुलाई में इसराइल और उसके द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्रों की यात्रा के दौरान, पूर्वी येरूशेलम अस्पताल नैटवर्क को 10 करोड़ डॉलर रक़म की सहायता की घोषणा की. इसके अलावा, फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिये संयुक्त राष्ट्र राहत एजेंसी (UNRWA) के लिये 20 करोड़ 10 लाख डॉलर और खाद्य असुरक्षा का सामना करने के लिये डेढ़ करोड़ डॉलर की रक़म देने की भी घोषणा की.
उससे भी अलग, इसराइल ने ग़ाज़ा में लगभग 16 हज़ार कामगार व अन्य व्यवसायिक परमिट जारी किये, साथ ही ग़ाज़ा पट्टी से दाख़िल होने वाले कामगारों के लिये, इसराइली श्रम क़ानूनों के तहत, सामाजिक लाभों का दायरा भी बढ़ाया.
संयुक्त राष्ट्र के दूत ने सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य देशों के राजदूतों को, इसराइल द्वारा क़ाबिज़ पश्चिमी तट में यहूदी बस्तियों का विस्तार जारी रहने के बारे में, यूएन महासचिव की चिन्ताओं के बारे में भी सूचित किया.
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मित्ज़पेह क्रैमिक निर्णय की और विशेष ध्यान दिलाया जिससे, अतिरिक्त सौमा चौकियों, फ़लस्तीनियों के स्वामित्व वाली सम्पत्तियों के विध्वंस और क़ब्ज़े के लिये क़ानूनी नज़ीर (परम्परा) स्थापित हो सकती है.
विशेष संयोजक टॉर वैनेसलैण्ड ने ग़ाज़ा में हाल के समय में हुई तनाव वृद्धि के दौरान आम लोगों के हताहत होने; फ़लस्तीनी चरमपंथियों द्वारा रॉकेट दागे जाने; और क़ाबिज़ पश्चिमी तट में लगातार ख़राब होती स्थिति की तरफ़ भी ध्यान खींचा.
उन्होंने यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश की इस प्रमुख की इस चिन्ता को भी रेखांकित किया कि “मौजूदा नकारात्मक स्थिति” सामाजिक-आर्थिक और संस्थान निर्माण को विशाल जोखिम में धकेलती है, जिसने फ़लस्तीन प्राधिकरण को एक वास्तविक राष्ट्र का रूप धारण करने के लिये तैयार किया था.
यूएन महासचिव ने इसके साथ ही, विशेष प्रतिनिधि की 22 सितम्बर को जारी की गई रिपोर्ट का स्वागत भी किया जिसमें तमाम पक्षों द्वारा मौजूदा स्थिति से निपटने, फ़लस्तीनी प्राधिकरण को मज़बूत करने, और टिकाऊ विकास के लक्ष्य को आगे बढ़ाने की ख़ातिर, लाभकारी, टिकाऊ, और सार्थक उपायों का एक वृहद पैकेज शामिल है.
टॉर वैनेसलैण्ड ने अन्त में, मौजूदा नकारात्मक स्थिति को उलटने के लिये, सार्थक कार्यक्रमों की ज़रूरत पर ज़ोर दिया, और कहा कि ऐसे उपायों की तत्काल आवश्यकता है.
उन्होंने कहा कि इसराइलियों और फ़लस्तीनियों को ये निर्धारित करना होगा कि वो भविष्य को किस रूप में देखते हैं.
विशेष दूत ने कहा, “हमारे सामूहिक प्रयास फ़लस्तीनी इलाक़ों पर इसराइल के क़ब्ज़े को ख़त्म करने और दो राष्ट्रों की स्थापना के समाधान के लिये केन्द्रित होने चाहिये.”
उन्होंने साथ ही इन उद्देश्यों को आगे बढ़ाने की ख़ातिर इसराइली और फ़लस्तीनी नेताओं, और महत्वपूर्ण अन्तरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय साझीदारों के साथ अपनी सक्रियता जारी रखने का संकल्प भी दोहराया.