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'इसराइली-फ़लस्तीनी संघर्ष का प्रबन्धन, सार्थक राजनैतिक प्रक्रिया का विकल्प नहीं'

मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष समन्वयक टोर वैनेसलैण्ड, मध्य पूर्व की स्थिति पर सुरक्षा परिषद की बैठक को सम्बोधित करते हुए, जिसमें फ़लस्तीन का सवाल भी शामिल था.
UN Photo/Loey Felipe
मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष समन्वयक टोर वैनेसलैण्ड, मध्य पूर्व की स्थिति पर सुरक्षा परिषद की बैठक को सम्बोधित करते हुए, जिसमें फ़लस्तीन का सवाल भी शामिल था.

'इसराइली-फ़लस्तीनी संघर्ष का प्रबन्धन, सार्थक राजनैतिक प्रक्रिया का विकल्प नहीं'

शान्ति और सुरक्षा

मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष समन्वयक टोर वैनेसलैण्ड ने गुरूवार को सुरक्षा परिषद में कहा कि फ़लस्तीनियों व इसराइलियों के बीच संघर्ष का प्रबन्ध करना, एक वास्तविक राजनैतिक प्रक्रिया का विकल्प नहीं हो सकता, और इस सच्चाई को हाल की कुछ घटनाओं ने एक बार फिर उजाकर कर दिया है.

उन्होंने सुरक्षा परिषद में मौजूद प्रतिनिधियों से अपना ध्यान - फ़लस्तीनी क्षेत्र पर इसराइली क़ब्ज़े को ख़त्म करने और दो – राष्ट्रों की स्थापना के एक दुर्लभ नज़र आ रहे समाधान के लिये एक वृहद रणनीति पर केन्द्रित करने का आग्रह भी किया.

टोर वैनेसलैण्ड ने कहा, “इस तरह की किसी रणनीति के लिये, सभी पक्षों से अति महत्वपूर्ण क़दमों की ज़रूरत होगी. इसमें इसराइल के साथ राजनैतिक, आर्थिक और सुरक्षा मुद्दों पर सम्पर्क क़ायम करने के लिये, फ़लस्तीनी प्राधिकारण की सामर्थ्य को मज़बूत करना भी शामिल होगा. साथ ही ग़ाज़ा पट्टी में एक वैध फ़लस्तीनी सरकार की वापसी की दिशा में काम करना भी इसका हिस्सा होगा.”

उन्होंने इसराइल द्वारा क़ाबिज़ तमाम फ़लस्तीनी क्षेत्र में, तनाव और हिंसा कम करने की पुकार लगाई, विशेष रूप से, पश्चिमी तट में, जिसमें पूर्वी येरूशेलेम भी शामिल है.

उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा, “नकारात्मक चलन या रुझानों के बढ़ावा देने वाले इकतरफ़ा क़दमों को रोकना होगा.” फ़लस्तीनियों की आर्थिक गतिविधियों के लिये स्थान, और ग़ाज़ा व पश्चिमी तट में आवागन की आज़ादी और बेहतरी का दायरा बढ़ाए जाने की भी ज़रूरत है.

युद्ध विराम से पूर्ण युद्ध टला

विशेष समन्वयक टोर वैनेसलैण्ड ने युद्ध विराम के फ़ायदों का ज़िक्र करते हुए बताया कि इसराइल और फ़लस्तीनी इस्लामिक जिहाद, के बीच युद्ध विराम अभी लागू है और ग़ाज़ा में एक “नाज़ुक शान्ति” बहाल हुई है.

उन्होंने राजदूतों को बताया कि पक्के तौर पर कहा जाए तो युद्ध विराम ने तनावपूर्ण स्थिति को, एक पूर्ण स्तर के युद्ध में तब्दील होने से रोका है.

संघर्ष के अनसुलझे कारक

क़ाबिज़ पश्चिमी तट के अधिकतर हिस्से में हिंसा में बढ़ोत्तरी देखी गई है.

क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़ों में यहूदी बस्तियाँ बसाने की इसराइल की गतिविधियाँ जारी हैं, साथ ही इसराइल द्वारा, फ़लस्तीनियों के घरों व सम्पत्तियों को जबरन ख़ाली कराना व ध्वस्त किया जाना भी जारी है.

दूसरी तरफ़, वित्तीय व राजनैतिक चुनौतियाँ, सर्वजनिक सेवाओं असरदार तरीक़े से जारी रखने में, फ़लसक्तीनी प्राधिकरण की सामर्थ्य के लिये ही जोखिम उत्पन्न कर रही हैं.

टोर वैनेसलैण्ड ने कहा कि पश्चिमी तट और ग़ाज़ा के बीच राजनैतिक विभाजन बरक़रार है. ग़ाज़ा के लोगों को, इसराइल द्वारा हमास की सरकार पर अपनी पकड़ मज़बूत करने के लिये लगाई गई पाबन्दियों व नाकेबन्दी के कारण वहाँ के लोगों को भारी तकलीफ़ें उठानी पड़ रही हैं. तनाव व हिंसा के कुछ अन्य सम्भावित कारकों में हमास शासन की प्रकृति और हर समय हिंसा का जोखिम बरक़रार रहना भी शामिल है.

ग़ाज़ा के एक दक्षिणी शहर रफ़ाह में इसराइली हमलों से हुई तबाही का एक दृश्य
Ziad Taleb
ग़ाज़ा के एक दक्षिणी शहर रफ़ाह में इसराइली हमलों से हुई तबाही का एक दृश्य

उन्होंने आगाह करते हुए कहा, “जब तक इन बुनियादी मुद्दों के समाधान निकालने के लिये ध्यान नहीं दिया जाएगा तो अत्यन्त गम्भीर संकटों और उनके बाद और लघु अवधि वाले समाधानों का सिलसिला जारी रहेगा.”

क्षेत्रीय समीकरण टोर वैनेसलैण्ड ने गोलान पहाड़ियों का ज़िक्र करते हुए कहा कि इसराइल और सीरिया के बीच युद्ध विराम आमतौर पर लागू रहा है, अलबत्ता, 1974 के समझौते के उल्लंघन की कुछ घटनाएँ भी हुई हैं.

लेबनान में सुधारों की गति में प्रगति का अभाव, सरकार गठन में गतिरोध व सशस्त्र व सुरक्षा बलों जैसे संस्थानों पर बढ़ते दबाव के कारण, सरकार प्राधिकरण पर भारी बोझ पड़ रहा है.

लेबनान के दक्षिणी इलाक़े में तनाव अब भी बरक़रार है जहाँ संयुक्त राष्ट्र का अन्तरिम बल (UNIFIL) के अभियान जारी हैं.

कार्रवाई की पुकार

उन्होंने कहा, “यथास्थिति कोई रणनीति नहीं है.” उन्होंने इसराइली व फ़लस्तीनी नेतृत्व, क्षेत्रीय देशों और वृहद अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, सार्थक बातचीत के लिये वापसी को सम्भव बनाने की ख़ातिर, ठोस कार्रवाई करने का आग्रह किया.