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इसराइली प्रधानमंत्री ने मध्य पूर्व में दो-राष्ट्र समाधान का समर्थन किया

इसराइल के प्रधानमंत्री याइरह लापिड, यूएन महासभा के 77वें सत्र की उच्चस्तरीय जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए. (22 September 2022)
UN Photo/Cia Pak
इसराइल के प्रधानमंत्री याइरह लापिड, यूएन महासभा के 77वें सत्र की उच्चस्तरीय जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए. (22 September 2022)

इसराइली प्रधानमंत्री ने मध्य पूर्व में दो-राष्ट्र समाधान का समर्थन किया

यूएन मामले

इसराइल के प्रधानमंत्री याइर लपीड ने गुरूवार को, यूएन महासभा के 77वें सत्र की उच्चस्तरीय जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए कहा है कि इसराइली – फ़लस्तीनी संघर्ष का दो राष्ट्रों की स्थापना के रूप में समाधान, इसराइल के लिये एक सही चीज़ है, मगर उन्होंने आगाह भी किया कि भविष्य का फ़लस्तीनी राष्ट्र, “एक अन्य आतंकवादी अड्डा” नहीं होना चाहिये.

याइर लपीड ने इसराइली प्रधानमंत्री के रूप में यूएन महासभा को अपने प्रथम सम्बोधन में कहा कि इसराइल अपने चारों तरफ़ अदावती वातावरण होने के बावजूद, एक मज़बूत व समृद्ध लोकतंत्र बन गया है, क्योंकि “हमने ये फ़ैसला किया कि हम पीड़ित नहीं बनेंगे.”

उन्होंने कहा, “हम अतीत के दर्द में ही नहीं अटके रहना चाहते हैं, बल्कि भविष्य की आशा पर ध्यान केन्द्रित करना चाहते हैं...अपनी ऊर्जा राष्ट्र निर्माण में लगाने के लिये...और एक प्रसन्न समाज - आशावादी और रचनात्मक.”

दो-राष्ट्र समाधान

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इसराइल अरब दुनिया के साथ शान्ति का तलबगार है, विशेष रूप से फ़लस्तीनियों के साथ.

इसराइली प्रधानमंत्री याइर लपीड ने कहा, “तमाम बाधाओं के बावजूद...इसराइलियों का एक विशाल बहुमत इस दो-राष्ट्र समाधान के नज़रिये का समर्थन करता है. मैं भी उनमें से एक हूँ.” मगर इसके लिये एकमात्र शर्त ये है कि “भविष्य का फ़लस्तीनी राष्ट्र एक शान्तिपूर्ण देश होगा” नाकि एक ऐसा आतंकवादी अड्डा जो हमारे देश के अस्तित्व के लिये ही ख़तरा उत्पन्न करे.

उन्होंने कहा, “दो तरह के लोगों के लिये दो राष्ट्रों की स्थापना के आधार पर, फ़लस्तीनियों के साथ एक समझौता, इसराइली सुरक्षा के लिये सही चीज़ है, इसराइली अर्थव्यवस्था के लिये और हमारे बच्चों के भविष्य के लिये.”

एकता सम्भव है

इसराइली प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष के आरम्भ में, अमेरिकी विदेश मंत्री, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, मोरक्को और इसराइल के विदेश मंत्रियों के दरम्यान नीगेव सम्मेलन के दौरान, एक आतंकवादी ने तेलअवीव पर हमला किया. ध्यान रहे कि दो वर्ष पहले ऐसे किसी सम्मेलन की सम्भावना के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था.

उन्होंने आगे कहा, “हमें ये समझने में देर नहीं लगी कि उस घटना का उद्देश्य... सम्मेलन को नाकाम करना था…[मगर] पाँच मिनट के बाद ही हमने एक संयुक्त वक्तव्य जारी कर दिया...हमले की निन्दा करते हुए और जीवन, सहयोग व अपने इस विश्वास को पुनर्पुष्ट करते हुए कि एक भिन्न रास्ता भी है.”

उन्होंने कहा कि वो सम्मेलन जारी रहा, और समझौतों पर हस्ताक्षर भी किये गए.

दो प्रमुख जोखिम

उन्होंने दो प्रमुख ख़तरे रेखांकित किये: आतंकवादी देश और संगठन परमाणु हथियार हासिल करेंगे और “सत्य का पतन”. यहाँ उन्होंने झूठ व फर्जी या झूठी ख़बरों का सन्दर्भ दिया.

उन्होंने अपने देश को झूठ के जाल में घेरने का एक उदाहरण देते हुए कहा, “मई 2022 में एक तीन वर्षीय फ़लस्तीनी लड़की मलक अल तनानी की तस्वीर, दुनिया भर में प्रकाशित हुई थी, इस दर्दनाक ख़बर के साथ कि उसकी और उसके माता-पिता की मौत, इसराइली वायु सेना के एक हमले में हुई थी. वो एक दिल दहला देने वाली ख़बर थी, मगर मलक अल तनानी का वजूद ही नहीं है. वो तस्वीर इंस्टाग्राम से ली गई थी. ये रूस की एक लड़की है.”

इसराइली प्रधानमंत्री ने देशों के अध्यक्षों से कहा कि वो ऐसे लोगों की बात क्यों सुन रहे हैं जो सत्य को तोड़-मरोड़ने और इस्लामी अतिवादियों का पक्ष लेने के लिये, विशाल धन ख़र्च करते हैं.

ईरान

इसराइली प्रधानमंत्री याइर लपीड ने कहा कि एक सम्प्रभु और संयुक्त राष्ट्र के एक समकक्ष सदस्य देश के रूप में, वो इस पर ख़ामोश नहीं रहेंगे जब इसराइल को नुक़सान पहुँचाने वाले लोग, “इस मंच का प्रयोग हमारे बारे में झूठ फैलाने के लिये करें”.

उन्होंने कहा कि नफ़रत का ऐसा ही खेल ईरान चला रहा है. उन्होंने ईरान सरकार को यहूदियों, महिलाओं, समलैंगिक लोगों, पश्चिमी देशों, “सलमान रशदी जैसे” भिन्न सोच रखने वाले मुसलमानों से नफ़रत करने वाली क़रार दिया.

याइर लपीड ने कहा कि उनकी नफ़रत उनके दमनकारी शासन की हिफ़ाज़त करती है. उन्होंने ईरान को संयुक्त राष्ट्र का एकमात्र ऐसा देश बताया “जो संयुक्त राष्ट्र के एक अन्य सदस्य देश को तबाह करने की अपनी इच्छा खुलेआम ज़ाहिर करता है”.

इसराइल के “पूर्ण विनाश” के अनेक खुले ऐलानों के बावजूद...”ये इमारत ख़ामोश है”.

इसराइली प्रधानमंत्री ने कहा, “जो देश हमें तबाह करना चाहता है, वो ऐसा देश भी है जिसने दुनिया में सबसे बड़ा आतंकवादी संगठन गठित किया - हिज़्बुल्लाह”. उन्होंने ये भी कहा कि अगर ईरान को परमाणु हथियार मिल जाते हैं तो वो इसका प्रयोग करेगा.

उन्होंने कहा कि ऐसा होने से रोकने के लिये एक विश्वनीय सैनिक धमकी मेज़ पर रखनी होगी और उनके साथ एक दीर्घकालीन व मज़बूत समझौते के लिये बातचीत करनी होगी.

इसराइली प्रधानमंत्री ने कहा, “ईरान को ये स्पष्ट रूप में बताना होगा कि अगर उसने अपना परमाणु कार्यक्रम आगे बढ़ाया, तो दुनिया केवल शब्दों से नहीं, बल्कि बल्कि सैन्य बल के साथ अपनी प्रतिक्रिया देगी.”