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मानवाधिकार

सूडान के अल फ़शर से जान बचाकर भागने वाले लोगों ने नॉर्थ दारफ़ूर के तवीला में शरण ली है.
© UNOCHA

सूडान: अल फ़शर में ‘अकल्पनीय क्रूरता’ पर क्षोभ, हिंसा रोकने के लिए क़दम उठाने का आग्रह

सूडान के अल फ़शर शहर में फँसे आम लोगों पर भयावह अत्याचार किए जाने के आरोप सामने आ रहे हैं और जो लोग वहाँ से किसी तरह से जान बचाकर भाग पाए, उन्हें भी शहर से बाहर निकलने के मार्गों पर अकल्पनीय क्रूरता का सामना करना पड़ा है. संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क (OHCHR) ने, हिंसा प्रभावित इलाक़ों में मानवाधिकार उल्लंघन मामलों को रोकने के लिए जल्द से जल्द निर्णायक क़दम उठाने का आग्रह किया है, और इसके अभाव में वहाँ और अधिक संहार होने की आशंका व्यक्त की है.

अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान शासन के दौरान, लड़कियों और महिलाओं को भारी उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है.
© UNICEF/Amin Meerzad

तालेबान शासन को 'सामान्य' मानने से, संकट दीगर गहराने का जोखिम

अफ़ग़ानिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति की निगरानी के लिए विशेष रैपोर्टेयर रिचर्ड बैनेट ने आगाह किया कि तालेबान शासन को सामान्य मानने से, देश में उत्पीड़न को वैधता मिलने और अफ़ग़ान संकट के दीगर गहराने का जोखिम है. उन्होंने साथ ही चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा है कि देश में लैंगिक समानता पर व्यवस्थागत ढंग से गहरा प्रहार किया जा रहा है.

रूसी महासंघ में मानवाधिकार हनन मामलों की पड़ताल के लिए विशेष रैपोर्टेयर मरियाना कात्ज़ारोवा, जिनीवा में मानवाधिकार परिषद को सम्बोधित कर रही हैं.
UN News/Dominika Tomaszewska-Mortimer

युद्ध-विरोधी असहमति को दबाने के लिए, रूस कर रहा है 'भय के शासन' का प्रयोग

संयुक्त राष्ट्र की एक स्वतंत्र विशेषज्ञ मारियाना कात्ज़ारोवा ने आगाह किया है कि रूस द्वारा, यूक्रेन में युद्ध के विरोध को दबाने के लिए, राष्ट्रीय सुरक्षा और जन सुरक्षा क़ानूनों का दुरुपयोग, "ख़तरनाक स्तर" पर पहुँच गया है. मारियाना कात्ज़ारोवा, संयुक्त राष्ट्र से मिले शासनादेश के तहत, रूस में मानवाधिकारों की स्थिति की निगरानी करती हैं.

सूडान में अप्रैल 2023 में युद्ध भड़कने के बाद, लाखों लोगों को भारी असुरक्षा का भी सामना करना पड़ा है.
ERR-Taweela

सूडान के अल फ़शर में बड़े पैमाने पर अत्याचारों का उच्च ख़तरा

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) ने कहा है कि अल फ़शर में त्वरित समर्थन बल (RSF) के लड़ाकों द्वारा कथित रूप से गम्भीर अत्याचार किए जा रहे हैं, जिनमें आनन-फ़ानन में फाँसी दिए जाने के मामले भी शामिल हैं.

UN Women, दुनिया भर में, महिलाओं को लैंगिक हिंसा से बचाने के लिए, अनेक परियोजनाएँ चलाता है.
UN Women/Solomon Tumwesigye

सहायता धन कटौती से, महिला हिंसा-विरोधी कार्यक्रम बन्द या स्थगित

महिलाओं की बेहतरी के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र एजेंसी – UN Women ने चेतावनी दी है कि सहायता कार्यों के लिए धन में कटौती किए जाने के परिणामस्वरूप, महिलाओं और लड़कियों के विरुद्ध हिंसा को समाप्त करने के लिए काम कर रहे अग्रिम पंक्ति के संगठन कमज़ोर पड़ रहे हैं.

ग़रीबी को दूर किया जाना भी, टिकाऊ विकास लक्ष्यों का एक हिस्सा है और निर्धनता उन्मूलन, सामाजिक न्याय के लिए बहुत ज़रूरी है.
© WHO/Anna Kari

कल्याणकारी योजनाओं में कटौती से अति-दक्षिणपंथी उभार को बढ़ावा, यूएन रिपोर्ट

निर्धनता में जी रहे लोगों के लिए सुरक्षा उपायों में कटौती ने, दुनिया भर में अति-दक्षिणपंथी आन्दोलनों के लिए उपजाऊ ज़मीन तैयार कर दी है. अत्यधिक निर्धनता और मानवाधिकारों पर विशेष रैपोर्टेयर ओलिवियर डी शूटर ने यूएन महासभा में प्रस्तुत एक नई रिपोर्ट में यह चेतावनी दी है.

वर्ष 2025 की यूएन रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 68 करोड़ महिलाएँ टकरावों और युद्धों के बहुत नज़दीक रह रही थीं.
© FAO

शान्ति प्रक्रियाओं से महिलाएँ अब भी बड़े पैमाने पर बाहर हैं

वर्ष 2024 में लगभग 67.6 करोड़ महिलाएँ, घातक टकरावों और युद्धों के 50 किलोमीटर के दायरे में रह रही थीं, जोकि 1990 के दशक के बाद से सबसे ज़्यादा संख्या है.

महिला सशक्तिकरण के लिए यूएन संस्था द्वारा समर्थित एक पहल के तहत, पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान के नूरिस्तान प्रान्त में महिलाओं को पढ़ना-लिखना सिखाया जा रहा है.
© UN Women/Sayed Habib Bidell

जब अफ़ग़ान महिलाओं, लड़कियों से इंटरनैट छीन लिया जाए तो...

अफ़ग़ानिस्तान में लगभग 70 हज़ार महिलाएँ ‘रेडियो फ़ेमे’ को सुनती हैं. यह पूरी तरह महिलाओं द्वारा संचालित एक ऑनलाइन और पारम्परिक रूप से प्रसारित रेडियो स्टेशन है जो पूरे क्षेत्र में महिलाओं व लड़कियों में शिक्षा और उनके अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाता है. मगर सीखने के इस सफ़र में एक भारी रुकावट उत्पन्न हो गई...

पर्पल फेस्ट की थीम है - “सार्वभौमिक डिज़ाइन: सभी के लिए समावेशन का मार्ग.”
© UN News/Rohit Upadhyay

सबको गिने जाने व सबकी परवाह: समावेशी जनगणना क्यों ज़रूरी

भारत के गोवा प्रदेश में बैंगनी रौशनी से दमकते एक भव्य हॉल में, लगभग 15 देशों के प्रतिनिधि  'International Purple Festival 2025' के लिए एकत्र हुए. यह कोई साधारण नीति बैठक नहीं थी. संगीत, हँसी के ठहाके और दीवारों पर लगी कलाकृतियाँ बता रही थीं कि समावेशन दान नहीं, एक उत्सव है. फिर भी तालियों के बीच एक सच्चाई बार-बार सामने आई. दुनिया को आज भी ठीक से मालूम नहीं है कि कितने लोग विकलांगता के साथ जी रहे हैं. जब गिनती सही नहीं होती, तो बहुत से लोग नज़र से ओझल रह जाते हैं. और जो नज़र नहीं आते, वे अक्सर स्वास्थ्य, शिक्षा और रोज़गार से जुड़े फ़ैसलों में पीछे रह जाते हैं.

हेती में गिरोह हिंसा का भयानक असर, बच्चों पर भी पड़ा है, जिसके कारण लाखों बच्चों से उनका घर छिन गया है.
© UNICEF/Patrice Noel

हेती में हिंसा के कारण बड़ी संख्या में बच्चों का पलायन

हेती में हिंसा के कारण विस्थापित हुए बच्चों की संख्या पिछले एक साल में लगभग दोगुनी हो गई है, और अब तक 6 लाख 80 हज़ार बच्चे अपने घरों से बिछड गए हैं.