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'यूक्रेन में सिविल ठिकानों पर रूसी हमले, युद्धापराध के दायरे में गिने जा सकते हैं'

यूक्रेन की राजधानी कियेफ़ में एक महिला अपने बेटे के पास बैठी हुई (3 मार्च 2022) जिसका एक अस्पताल में तीन सप्ताहों से इलाज चल रहा था.
© UNICEF/Oleksandr Ratushniak
यूक्रेन की राजधानी कियेफ़ में एक महिला अपने बेटे के पास बैठी हुई (3 मार्च 2022) जिसका एक अस्पताल में तीन सप्ताहों से इलाज चल रहा था.

'यूक्रेन में सिविल ठिकानों पर रूसी हमले, युद्धापराध के दायरे में गिने जा सकते हैं'

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय, (OHCHR) ने यूक्रेन पर 24 फ़रवरी को रूसी संघ का आक्रमण शुरू होने के बाद वहाँ हताहत होने वाले आम लोगों बढ़ती संख्या पर शुक्रवार को गहरी चिन्ता दोहराई. साथ ही रूस को ये याद भी दिलाया है कि लड़ाई में भाग नहीं लेने वाले लोगों को निशाना बनाया जाना एक युद्धापराध हो सकता है.

यूएन मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता लिज़ थ्रोसेल ने जिनीवा में कहा, "अन्धाधुन्ध हमलों में आम लोग या तो मारे जा रहे हैं या अपंग हो रहे हैं, जबकि रूसी सेना, आबादी वाले इलाक़ों के निकट, व्यापक क्षेत्र पर विध्वंसक प्रभाव वाले विस्फोटक हथियारों का उपयोग कर रही है.

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इनमें मिसाइल, भारी तोपख़ाने और रॉकेट के साथ - साथ, हवाई हमले भी शामिल हैं."

प्रवक्ता ने कहा कि युद्ध के इन पन्द्रह दिनों के दौरान स्कूलों, अस्पतालों और नर्सरी को गोलाबारी का निशाना बनाया गया है. आबादी वाले अनेक क्षेत्रों में क्लस्टर बमों का भी इस्तेमाल किया गया है. 

OHCHR ने 9 मार्च की आधी रात तक, यूक्रेन में 549 आम लोगों की मौत और 957 घायलों को दर्ज किया, जबकि यह भी स्वीकार किया कि यह संख्या कहीं अधिक होने की सम्भावना है.

मनोरोग अस्पताल पर हमला

संयुक्त राष्ट्र के विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी खार्कीफ़ के पास एक मनोरोग अस्पताल पर रूसी सेना के हमले की शुरुआती ख़बरों की निन्दा की.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रवक्ता तारिक जसारेविच ने यूक्रेन के पश्चिमी स्थल लवीफ़ से बात करते हुए बताया, “आज सुबह से ही खार्कीफ़ के अधिकारियों से ख़बरें मिली हैं कि एक मनोरोग चिकित्सा संस्थान पर हमला किया गया है. अगर यह सच साबित होता है, तो यह यूक्रेन में स्वास्थ्य ढाँचे पर एक और प्रभाव होगा.”

"इन अधिकारियों के अनुसार, इस विशेष संस्थान में लगभग 300 लोग रह रहे हैं और लगभग 50 लोग, हिलने-डुलने में असमर्थ हैं."

WHO ने आज तक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं पर 29 हमलों की पुष्टि की है, जिनके परिणामस्वरूप 12 लोगों की मौतें हुई हैं और 34 लोग घायल हुए हैं. मारे गए लोगों में दो स्वास्थ्यकर्मी भी थे.

यूएन मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता लिज़ थ्रोसेल ने, नागरिकों और नागरिक बुनियादी ढाँचे को इस तरह के हमलों का निशाना बनाए जाने की निन्दा करते हुए, रूस को एक सीधा सन्देश जारी किया: "हम ऐसे रूसी अधिकारियों को याद दिलाते हैं जो नागरिकों और नागरिक वस्तुओं के ख़िलाफ़ हमलों के साथ-साथ, क़स्बों और गाँवों में तथाकथित बमबारी व अन्य तरह के अन्धाधुन्ध हमलों का आदेश दे रहे हैं, ऐसे हमले अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत निषिद्ध हैं और उन्हें युद्धापराध की श्रेणी में रखा जा सकता है."

यूक्रेन में बढ़ते संकट से बचकर सुरक्षा की तलाश में पोलैण्ड पहुँचे कुछ यूक्रेनी लोग. ये तस्वीर 5 मार्च 2022 की है.
© UNICEF/Tom Remp
यूक्रेन में बढ़ते संकट से बचकर सुरक्षा की तलाश में पोलैण्ड पहुँचे कुछ यूक्रेनी लोग. ये तस्वीर 5 मार्च 2022 की है.

व्यापक सहायता अभियान

यूएन शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) के प्रवक्ता मैथ्यू सॉल्टमर्श ने बताया कि युद्ध से उपजे हालात में, अब 25 लाख से अधिक लोगों को, यूक्रेन की सीमाओं के पार शरण लेनी पड़ी है.

उन्होंने पोलैण्ड के रेज़ेसज़ो से बताया, "मध्य और पश्चिमी यूक्रेन में, हम अब भी सहायता में सक्रिय हैं", अब देश के भीतर ही अब लगभग 20 लाख लोग विस्थापित हैं और अतिरिक्त लगभग सवा करोड़ लोग, इस संघर्ष से सीधे तौर पर प्रभावित हैं, जो "कँपकँपाती ठण्ड से जूझ रहे हैं".

प्रवक्ता ने कहा कि पूर्वी क्षेत्रों सहित देश भर में विभिन्न स्थानों पर वितरण के लिये पूर्वनिर्धारित भण्डार और आने वाली मुख्य राहत वस्तुएँ वितरण के लिये तैयार थीं. 

संयुक्त राष्ट्र प्रवासन एजेंसी - IOM के अनुसार, यूक्रेन में गोलाबारी और बमबारी से दूर सुरक्षा चाहने वालों में, लगभग एक लाख 16 हज़ार ऐसे लोग थे जो तीसरे देशों के नागरिक हैं और वो भी सुरक्षित रूप में यूक्रेन से बाहर निकलने में कामयाब हो गए हैं.

खाद्य क़ीमतों में उछाल

इस बीच संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के कारण वैश्विक खाद्य सुरक्षा के मामले में गम्भीर परिस्थितियों के बारे में आगाह किया है. 

WFP की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, युद्ध के कारण, खाद्य और ईंधन की क़ीमतों में उछाल आने की सम्भावना है, जिससे विशेष रूप से कमज़ोर देशों और एजेंसी के अपने मानवीय कार्यों के लिये ख़तरा बढ़ेगा.