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यूक्रेन: शरणार्थियों की संख्या से, पड़ोसी देशों पर भारी दबाव

यूक्रेन की राजधानी कीयेफ़ में, तहख़ाने में बनाए गए एक जच्चा-बच्चा अस्पताल में एक नवजात शिशु.
© UNICEF/Andriy Boiko
यूक्रेन की राजधानी कीयेफ़ में, तहख़ाने में बनाए गए एक जच्चा-बच्चा अस्पताल में एक नवजात शिशु.

यूक्रेन: शरणार्थियों की संख्या से, पड़ोसी देशों पर भारी दबाव

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता अधिकारियों ने बुधवार को चेतावनी भरे शब्दों में कहा है कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद देश से लाखों यूक्रेनी लोगों का पलायन, पड़ोसी देशों में व्यवस्था पर भारी दबाव डाल सकता है. उधर यूएन बाल कोष UNICEF ने बुरी तरह युद्ध की चपेट में आए तटीय शहर मारियुपोल में हुई बमबारी में एक प्रसूति अस्पताल की तबाही होने की ख़बरों पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त की है. यह शहर कई दिनों से भारी बमबारी की चपेट में है.

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी - UNHCR के अनुसार अब तक 22 लाख से अधिक लोग यूक्रेन से पलायन कर चुके हैं; अधिकतर को पोलैण्ड में आश्रय मिला है और दो लाख से अधिक लोग हंगरी पहुँचे हैं.

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स्लोवाकिया ने 24 फ़रवरी को यूक्रेन पर रूस की सैन्य कार्रवाई शुरू होने के बाद से, यूक्रेन से आने वाले डेढ़ लाख से अधिक लोगों को अपने यहाँ स्वीकार किया है. 

गुटेरेश ने 'उदारता और एकजुटता' की प्रशंसा की

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने पोलिश राष्ट्रपति आन्द्रेजेज डूडा के साथ एक फोन कॉल में कहा कि उन्होंने यूक्रेन से आए दस लाख से अधिक शरणार्थियों को, पोलैण्ड में मिले स्वाकत की सराहना की है.

संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टेफ़ान दुजैरिक ने न्यूयॉर्क में संवाददाताओं से कहा, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने "राष्ट्रपति से कहा कि वह पोलैण्ड की उदारता से एकजुटता व्यक्त करने के लिये, UNHCR के समन्वय में, संयुक्त राष्ट्र की पूरी प्रणाली को संगठित करने के लिये, हर सम्भव प्रयास करेंगे".

उन्होंने कहा कि यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश यूक्रेन की सीमा से लगे "सभी देशों द्वारा दिखाई गई अपार उदारता और एकजुटता" के लिये आभारी हैं.

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने यूक्रेन में लड़ाई रुकवाने के अपने समग्र मध्यस्थता प्रयासों के हिस्से के रूप में, बुधवार दोपहर, जर्मन चांसलर ओलाफ़ शुल्त्स और योरोपीय संघ की विदेश और सुरक्षा नीति के उच्च प्रतिनिधि जोसेप बोरेल के साथ भी बातचीत की.

संयुक्त राष्ट्र सहायता एजेंसियों के नवीनतम अनुमानों से पता चलता है कि युद्ध का अन्त होने तक लगभग 40 लाख लोगों के, यूक्रेन छोड़कर अन्यत्र स्थानों जाने की सम्भावना है, जो यूक्रेन की आबादी का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा होगा.

प्रसूति अस्पताल पर हमले से दहशत

उधर बुधवार को ही ऐसी ख़बरें भी मिलीं जिनमें यूक्रेन के अधिकारियों के अनुसार, मारियुपोल में एक बच्चों के अस्पताल और प्रसूति वार्ड पर एक रूसी हमले के कारण, कुछ बच्चे मलबे के नीचे दब गए.

बम विस्फोट की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन यूएन प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र "चौंकाने वाली" इन ख़बरों की तत्काल जाँच कर रहा है.

उन्होंने स्वास्थ्य सेवा, अस्पतालों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और एम्बुलेंस पर हमलों को तत्काल रोकने के लिये संयुक्त राष्ट्र का आहवान दोहराया, और याद दिलाया कि "इनमें से कोई भी, कभी भी लक्ष्य नहीं होना चाहिये."

स्वास्थ्य सेवा पर कोई भी हमला, अन्तररष्ट्रीय मानवीय क़ानून का स्पष्ट उल्लंघन है.

यूनीसेफ प्रमुख कैथरीन रसैल ने बुधवार दोपहर को जारी एक बयान में कहा कि वो "इस हमले की ख़बरों से भयभीत हैं ... एक ऐसा हमला जिसमें कथित तौर पर छोटे बच्चों और गर्भावस्था की तकलीफ़ों का सामना कर रही महिलाओं को नष्ट हो चुकी इमारतों के मलबे के नीचे दबा छोड़ दिया गया. हम अभी तक हताहतों की संख्या नहीं जानते हैं, लेकिन बहुत बदतर स्थिति होने का डर है.”

बच्चों पर भयानक असर

उन्होंने कहा, "अगर इस हमले की पुष्टि हो जाती है, तो यह यूक्रेन के बच्चों और परिवारों पर इस युद्ध के भयानक असर को रेखांकित करता है." 

“दो सप्ताह से भी कम समय में, कम से कम 37 बच्चे मारे गए हैं और 50 घायल हुए हैं, जबकि दस लाख से अधिक बच्चे यूक्रेन से पड़ोसी देशों में जाने को मजबूर हुए हैं."

उन्होंने कहा कि नागरिकों और अस्पतालों, पानी, स्वच्छता प्रणाली और स्कूलों सहित सिविल बुनियादी ढाँचे के ख़िलाफ़ हमले मानवीय चेतना के विरुद्ध हैं और ऐसे हमले तुरन्त रुकने चाहिये.

"यूनीसेफ़ ने तत्काल युद्धविराम का अपना आहवान फिर दोहराया है और सभी पक्षों से बच्चों को नुक़सान से बचाने के लिये अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के तहत अपने दायित्वों का सम्मान करने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि मानवीय सहायताकर्मी सुरक्षित रूप से और जल्द, जरूरतमन्द बच्चों तक पहुँच सकें."

यूक्रेन के दक्षिण-पूर्वी शहर मारियुपोल में बमबारी में ध्वस्त हुए अपने घर के दरवाज़े के पास एक महिला.
© UNICEF/Evgeniy Maloletka
यूक्रेन के दक्षिण-पूर्वी शहर मारियुपोल में बमबारी में ध्वस्त हुए अपने घर के दरवाज़े के पास एक महिला.

एकाधिक हमले

विश्व स्वास्थ्य संगठन - WHO के प्रमुख, टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने जिनीवा में पत्रकार वार्ता में कहा कि एजेंसी ने यूक्रेन पर रूसी हमले के दौरान अभी तक स्वास्थ्य सुविधाओं, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और एम्बुलेंसों पर 18 हमलों की पुष्टि की है, जिनमें 10 मौतें हुई हैं और 16 लोग घायल हुए हैं.

उन्होंने कहा, "ये हमले पूरे समुदायों को स्वास्थ्य देखभाल से वंचित करते हैं."

डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा कि यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने अब तक 81 मीट्रिक टन चिकित्सा सामग्री की आपूर्ति की है, और पूरे यूक्रेन में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिये काफ़ी सामग्री पहुँचाने के लिये पूरी तैयारियाँ हैं, विशेष रूप से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में.

संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख ने कहा कि हवाई हमलों और बम विस्फोटों से बचने के अलावा, कुछ मुख्य स्वास्थ्य चुनौतियाँ - हाइपोथर्मिया और शीतदंश, श्वसन रोग, हृदय रोगों के लिये उपचार की कमी और कैंसर और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे हैं.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक सहायता प्रदान करने के लिये पड़ोसी देशों में स्वास्थ्यकर्मी तैनात किये हैं.

डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा कि WHO रूसी संघ से इस संकट का शांतिपूर्ण समाधान निकालने के लिये की पुकार लगाता है और जरूरतमन्द लोगों के लिये मानवीय सहायता, सुरक्षित व बेरोकटोक तरीक़े से पहुँचने देने का भी आहवान करता है.

नागरिकों की घर वापसी में मदद

अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) ने बुधवार को कहा कि उसने रूस के हमले के दौरान यूक्रेन में फँसे, अन्य देशों के लगभग 100 नागरिकों (TCN) को स्वदेश लौटने में मदद की है.

इनमें 77 ट्यूनीशियाई शामिल हैं, जिन्हें रोमानिया और पोलैण्ड जाने के लिये मजबूर होना पड़ा; तीन लेबनानी नागरिक और 17 घाना के छात्र हैं. सात अन्य छात्र गुरुवार को घाना के लिये रवाना हुए.

प्रवासन संगठन ने कहा कि युद्ध शुरू होने के बाद से लगभग एक लाख नौ हज़ार विदेशी यूक्रेन से निकल गए हैं, क्योंकि एजेंसी देशों, दूतावासों, सीमा अधिकारियों और अन्य भागीदारों के साथ तालमेल के साथ काम कर रही है, ताकि अन्य देशों के इन नागरिकों को वापस लौटने में मदद मिल सके.

प्रवासन संगठन ने इन देशों की स्वदेश वापसी का समर्थन करने के अलावा प्रस्थान-पूर्व चिकित्सा सहायता, भोजन, COVID-19 परीक्षण, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण और प्रस्थान स्थलों पर बहुत आवश्यक ज़मीनी परिवहन भी मुहैया कराया है.

प्रवासन संगठन, अन्य देशों के इन नागरिकों को अपने मूल देशों के अधिकारियों के साथ सम्पर्क स्थापित कराने में भी मदद कर रहा है. इनमें से कुछ लोगों को अपनी इन यात्राओं के दौरान भेदभाव और ज़ेनोफ़ोबिक हमलों का भी सामना करना पड़ा है.

संगठन ने यूक्रेन में अपने स्थान छोड़ने को मजबूर होने वाले लोगों की मदद करने के लिये, पोलैण्ड, रोमानिया, स्लोवाकिया और लिथुआनिया में हॉटलाइन नैटवर्क स्थापित किये हैं.