यूक्रेन: हवाई हमलों के सायरनों के बीच, बच्चे को जन्म देना, आपबीती
यूक्रेन की राजधानी कीयेफ़ में रहने वाली 25 वर्षीय महिला मारीया शोस्तक को 24 फ़रवरी को गर्भ का संकुचन शुरू हुआ, जिस दिन रूसी संघ ने यूक्रेन में एक सैन्य आक्रमण शुरू किया, और उन्होंने हवाई हमले के सायरन की आवाज़ के बीच अपने बच्चे को जन्म दिया.
वह उन कष्टदायक परिस्थितियों का वर्णन करती हैं जो उन्हें एक नया जीवन अचानक और अत्यधिक ख़तरे की दुनिया में लाने के लिये, सहनी पड़ीं...
The Office of the UN High Commissioner for Human Rights in #Ukraine @UNHumanRightsUA recorded 1,335 civilian casualties in the country (474 killed & 861 injured) between 24/02/2022, when #Russia’s armed attack against Ukraine started, & Monday 07/03/2022.https://t.co/WVe7Y3fmSL pic.twitter.com/R5PrTS5TRZ
UNHumanRights
"मुझे एक जटिल गर्भावस्था थी, और मैं जल्दी प्रसूति अस्पताल गई ताकि बच्चा और मैं चिकित्सकीय देखरेख में रह सकें.
24 फ़रवरी को जब मैं उठी तो मेरे फ़ोन की स्क्रीन रिश्तेदारों के सन्देशों से भरी हुई थी. उन्हें पढ़ने से पहले ही मुझे अहसास हुआ कि कुछ बड़ी बात हुई है.
उसी सुबह, मुझे हल्का गर्भ संकुचन हुआ और दोपहर में, हमें पहली बार भूमिगत आश्रय में ले जाया गया. वो बहुत डरावना अनुभव था. रात को मुझे नीन्द नहीं आई.
मेरे गर्भ संकुचन तेज़ हो गए, और समाचारों में शांति नज़र नहीं आ रही थी.
25 फ़रवरी की सुबह एक डॉक्टर ने मेरी जाँच की और मुझसे कहा कि मैं उस दिन बच्चे को जन्म दूंगी. मैंने घर पर मौजूद अपने पति को अपने पास बुलाया.
आमतौर पर जिस यात्रा में 20 मिनट लगते हैं, गैस स्टेशन, दुकानों और फ़ार्मेसी में क़तारों के कारण उसमें लगभग चार घण्टे लगे.
'मैं भाग्यशाली थी'
मैं अपनी सन्तान को जन्म देने के मामले में भाग्यशाली थी - यह तहख़ाने में नहीं हुआ, हालाँकि कुछ महिलाओं ने इस उद्देश्य के लिये स्थापित एक कमरे में अपनी सन्तानों को जन्म दिया.
मेरी प्रक्रिया प्रसव कक्ष में शुरू हुई मगर मुझे जटिलताओं के कारण, ऑपरेशन रूम में ले जाना था. बाद में, जब हवाई हमले का सायरन शान्त हुआ तो मेडिकल स्टाफ़ मुझे तहख़ाने में ले जाना चाहा लेकिन मैंने मना कर दिया.
दर्द के कारण मैं बोल भी नहीं पा रही थी, कहीं जाने की बात तो दूर थी. बाक़ी समय बाहरी दुनिया से मेरा सम्पर्क टूटा रहा, शायद यही वह समय था जब मैं युद्ध के बारे में भूल गई थी.
भय, थकान और दर्द
ऑपरेशन के बाद, मैं कई घण्टों तक गहन देखभाल में थी, और ऑपरेशन के लिये हुई बेहोशी भी ख़त्म हो गई थी. मैं चिन्तित थी क्योंकि मुझे नहीं मालूम था कि मेरा बच्चा और मेरे पति कहाँ हैं.
इस बीच, एक और हवाई हमले का सायरन बज उठा, और मैंने तहख़ाने में जाने का फ़ैसला किया. मैंने एक डिस्पोज़ेबल शर्ट पहनी हुई थी, बिना जूते के, व्हीलचेयर में बैठे हुए...
मुझे एक कम्बल से ढक दिया गया और तहख़ाने में ले जाया गया, जहाँ मैंने पहली बार अपने बेटे को देखा. हमने उसका नाम आर्थर रखा.
मुझे डर, थकान और दर्द महसूस हुआ. सर्जरी के एक दिन बाद, मैं प्रसूति वार्ड में गई और वापस तहख़ाने में दिन में कई बार गई. बार-बार हवाई हमले का सायरन बजता रहा.
थकावट ने डर को कुन्द कर दिया. फिर हमने एक प्रक्षेप्य (रॉकेट नुमा हथियार) एक ऊँची इमारत से टकराते हुए, अपनी खिड़की से देखा. मैं दिन में एक या दो घण्टे सो पाई. हमने ज्यादातर समय तहख़ाने में कुर्सियों पर बैठकर बिताया. बैठने से मेरी पीठ में तकलीफ़ हुई, और गर्भावस्था की जटिलता के परिणामस्वरूप मेरे पैर अब भी सूजे हुए हैं.
मेरे पति, यूरी ने मेरी और नवजात शिशु की देखभाल करने में मदद की. मेडिकल स्टाफ़ ने बंकर में भोजन की व्यवस्था की और बाद में बिस्तर उपलब्ध कराया.
उन्होंने बच्चे को स्तनपान कराने में मदद की, बच्चों वाली दवा मुहैया कराई, चलने में मुश्किल होने पर मेरा हाथ पकड़ कर सहारा दिया.
मैं राजधानी में सुरक्षित महसूस करती हूँ - पर्याप्त आश्रय हैं और अधिकारियों से समय पर जानकारी आ रही है. मेरे पति ने हमारे घर के तहख़ाने में हमारे रहने के लिये कुछ जगह की व्यवस्था की।
मेरा जन्म और पालन-पोषण यहीं कीयेफ़ में हुआ, मेरा कोई दूसरा घर नहीं है. हम यहाँ से छोड़कर कहीं और जाने वाले नहीं हैं."
यह आपबीती उस लेख पर आधारित है जो यूएन जनसंख्या कोष - UNFPA की वेबसाइट पर पहले प्रकाशित हो चुका है.