वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

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पोलैण्ड के कैटोविचे शहर में विश्व शहरी फ़ोरम का आयोजन किया गया है, जहाँ ये नवीनतम रिपोर्ट जारी की गई.
UN-Habitat/Monika Wcislak

कोविड-19 के दौरान शहरों से बाहर जाकर रहने का रुझान ‘अल्पकालिक’

संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, शहरीकरण की तेज़ रफ़्तार में वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान दर्ज की गई कमी अस्थाई साबित हुई है, और दुनिया वर्ष 2050 तक वैश्विक शहरी आबादी के दो अरब 20 करोड़ का आँकड़ा छूने की दिशा में बढ़ रही है.

महिलाएँ, असम के चाय बागान में आधे कार्यबल का प्रतिनिधित्व करती हैं, और इनमें से बहुत सी महिलाएँ, घरों पर, कार्यस्थलों पर या सार्वजनिक स्थानों पर हिंसा का अनुभव करती हैं.
UNWOMEN

भारत: ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा से निपटने का एक व्यापक दृष्टिकोण

संयुक्त राष्ट्र महिला संस्था (UN Women) के समर्थन से भारत के असम प्रदेश के ग्रामीण समुदायों में, महिलाओं और पुरुषों ने अपने पड़ोस में महिलाओं, युवाओं और बच्चों के ख़िलाफ़ हिंसा को रोकने और उसका जवाब देने के लिये मिलकर काम करने के नए तरीक़े खोजे हैं.

विएत नाम के एक राष्ट्रीय उद्यान में कुछ मछुआरे पकड़ी गई मछलियों को एकत्र कर रहे हैं.
UNEP/Lisa Murray

समुद्री खाद्य प्रणालियों में रूपान्तरकारी बदलावों पर केन्द्रित रणनीति पर बल

पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में दूसरे संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन में बुधवार को मत्स्य पालन व मछली उत्पादन के रिकॉर्ड स्तर और वैश्विक खाद्य सुरक्षा में उसके योगदान पर चर्चा हुई.

हमारा महासागरों के लिये सबसे बड़े ख़तरों में से एक - मानव निर्मित प्लास्टिक प्रदूषण भी है.
© Ocean Image Bank/Sören Funk

संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन स्थल पर, एकल-प्रयोग प्लास्टिक बन्द

आशंका है कि वर्ष 2050 तक समुद्र में मछलियों की तुलना में प्लास्टिक ज़्यादा होगा - और लिस्बन में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन स्थल पर, समस्त एकल-उपयोग प्लास्टिक का इस्तेमाल बन्द कर दिया गया है, ताकि सततता को बढ़ावा दिया जा सके. वीडियो फ़ीचर...

बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में प्रदर्शनकारियों का एक दृश्य (फ़ाइल फ़ोटो)
Unsplash/Andrew Keymaster

'बेलारूस भय और मनमानेपन के माहौल में जकड़ा'

संयुक्त राष्ट्र की एक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ अनाइस मैरिन ने आगाह करते हुए कहा है कि बेलारूस में मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति ने, देश को भय और मनमानी व्यवस्था की जकड़ में लेना जारी रखा हुआ है.

उत्तरी यूक्रेन के सूमी क्षेत्र में, IOM कर्मचारी ज़रूरतों का आकलन कर रहे हैं.
© IOM/Marco Chimenton

यूक्रेन: रोकना होगा मृत्यु, विनाश, विस्थापन और व्यवधान का चक्र

संयुक्त राष्ट्र की राजनैतिक और शान्ति निर्माण प्रमुख रोज़मैरी डीकार्लो ने सुरक्षा परिषद को बताया कि यूक्रेन में "भयानक युद्ध" समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है.उन्होंने कहा कि 5 अप्रैल को उनके पिछले अपडेट के बाद, "अनगिनत यूक्रेनी नागरिक" अन्धाधुन्ध हमलों में मारे गए हैं, शहर और क़स्बे सपाट कर दिये गए हैं, और देश की अधिकांश कृषि योग्य भूमि "गोलाबारी से बुरी तरह विकृत" हो गई है.

मनोरंजन व स्वास्थ्य के लिये शारीरिक गतिविधियों का सहारा लेने के बजाय, बच्चे डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल ज़्यादा कर रहे हैं.
© UNICEF/UN014974/Estey

ग़लत व झूठी जानकारियों के उभार से, दरक रहा है आम लोगों का भरोसा

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने सचेत किया है कि विश्व भर में समाजों को व्यवस्थागत विषमता समेत अनेक वैश्विक व्याधियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनके कारण जानबूझकर ग़लत जानकारी व झूठ फैलाए जाने की प्रवृत्ति भी उभर रही है.

भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञानों के लिये मंत्री डॉक्टर जितेन्द्र सिंह, पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में दूसरे यूएन महासागर सम्मेलन में शिरकत के दौरान.
UN Video/Screenshot

महासागर को लेकर भारत की चिन्ताएँ और प्राथमिकताएँ

पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में दूसरे यूएन महासागर सम्मेलन में, भारत ने भी शिरकत की है और देश के एक मंत्री डॉक्टर जितेन्द्र सिंह ने, लिस्बन में, महासागर को लेकर भारत की चिन्ताएँ और प्राथमिकताएँ गिनाई हैं. वीडियो...

हरित क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ बहुत प्रभावी प्रकृति आधारित समाधान हैं.
© Unsplash/Benjamin L. Jones

टिकाऊ नील अर्थव्यवस्था, लघु देशों और तटीय आबादी के लिये बहुत अहम

दुनिया की लगभग 40 प्रतिशत आबादी समुद्री तटवर्ती इलाक़ों में रहती है या उनके पास रहती है, तो उस आबादी की आजीविका को ध्यान में रखते हुए, लिस्बन में हो रहे यूएन महासगार सम्मेलन के दूसरे दिन, मंगलवार को, टिकाऊ महासागर आधारित अर्थव्यवस्थाओं और तटीय पारिस्थितिकियों के प्रबन्धन पर ध्यान केन्द्रित किया गया.

सीरिया में वर्षों से जारी हिंसक संघर्ष के कारण जानमाल की भीषण हानि हुई है.
© UNICEF/Amer Al-Mohibany

सीरिया: बर्बर युद्ध का एक दशक, तीन लाख से अधिक लोगों की मौत

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) के अनुसार, 1 मार्च 2011 से लेकर 31 मार्च 2021 तक, सीरिया में एक दशक से जारी युद्ध में तीन लाख छह हज़ार 887 आम नागरिकों की मौत हुई है. देश में हिंसक टकराव के कारण होने वाली मौतों का यह अब तक का सबसे बड़ा अनुमान है.