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कोविड-19 के दौरान शहरों से बाहर जाकर रहने का रुझान ‘अल्पकालिक’

पोलैण्ड के कैटोविचे शहर में विश्व शहरी फ़ोरम का आयोजन किया गया है, जहाँ ये नवीनतम रिपोर्ट जारी की गई.
UN-Habitat/Monika Wcislak
पोलैण्ड के कैटोविचे शहर में विश्व शहरी फ़ोरम का आयोजन किया गया है, जहाँ ये नवीनतम रिपोर्ट जारी की गई.

कोविड-19 के दौरान शहरों से बाहर जाकर रहने का रुझान ‘अल्पकालिक’

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, शहरीकरण की तेज़ रफ़्तार में वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान दर्ज की गई कमी अस्थाई साबित हुई है, और दुनिया वर्ष 2050 तक वैश्विक शहरी आबादी के दो अरब 20 करोड़ का आँकड़ा छूने की दिशा में बढ़ रही है.

वैश्विक महामारी के शुरुआती दिनों में महानगरों से बड़ी संख्या में लोगों ने छोटे नगरों, बाहरी या ग्रामीण इलाक़ों का रुख़ किया.

मगर, संयुक्त राष्ट्र पर्यावास संगठन (UN-Habitat) की नई रिपोर्ट के अनुसार, यह एक ऐसा अल्पकालिक रुझान था जिससे वैश्विक शहरीकरण की रफ़्तार में कोई विशेष बदलाव नहीं आया है.

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World Cities Report 2022 – Envisaging the Future of Cities’, नामक यह रिपोर्ट पोलैण्ड की राजधानी कैटोविचे में आयोजित 11वीं ‘विश्व शहरी फ़ोरम’ (WUF11) के दौरान, बुधवार को जारी की गई है.

यूएन पर्यावास संगठन की कार्यकारी निदेशिका और अवर महासचिव मैमूनाह शरीफ़ ने कहा, “शहरीकरण, 21वीं सदी के एक शक्तिशाली, विशाल रुझान के रूप में बरक़रार है.”

‘विश्व शहरी फ़ोरम’ की मेज़बानी कर रही यह यूएन एजेंसी, एक बेहतर शहरी भविष्य के निर्माण के लिये समर्पित है.

यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि इस लक्ष्य को साकार करने के रास्ते में अनेक चुनौतियाँ हैं, जोकि वैश्विक महामारी के कारण और अधिक उजागर व गहरी हुई हैं.

“लेकिन, इस आशावाद का ऐहसास भी है कि कोविड-19 ने हमें बेहतर ढंग से पुनर्निर्माण का अवसर प्रदान किया है. सरकारों की उचित नीतियों और उचित संकल्प के साथ, हमारे बच्चे विरासत में एक ऐसा शहरी भविष्य पा सकते हैं, जोकि अधिक समावेशी, हरित, सुरक्षित व स्वस्थ हो.

तीन परिदृश्य

नवीनतम रिपोर्ट में विश्व के शहरों के लिये तीन सम्भावित परिदृश्य प्रस्तुत किये गए हैं.

सबसे ख़राब, या ‘बदतरीन परिदृश्य’ में, निर्धनता में रहने वाले लोगों की संख्या, वर्ष 2050 तक, 20 करोड़ की वृद्धि होने की आशंका है.

‘निराशावादी परिदृश्य’ में, वैश्विक महामारी से पहले की परिस्थितियों में, यथास्थितिवाद की ओर लौटने की सम्भावना जताई गई है.  

इस परिदृश्य में कामकाज के उन्हीं तौर-तरीक़ों की बात कही गई है, जिससे दशकों के लिये दुनिया, निर्धनता, लचर उत्पादकता, असमानता, और अस्वस्थ जीवन के चक्र में फँस जाएगी.

वहीं ‘आशावादी परिदृश्य’ में वर्ष 2050 तक, 26 करोड़ लोगों को निर्धनता के गर्त से वापिस खींच लाने की सम्भावना जताई गई है. साथ ही, सरकारों और दानदाताओं के द्वारा शहरी विकास में पर्याप्त निवेश किये जाएगा, ताकि हर जगह न्यायोचित, स्वस्थ और समृद्ध शहरों का निर्माण किया जा सके.

मैमूनाह शरीफ़ ने कहा, “अगर हमने उचित ढंग से शहर नहीं बसाए, तो वैश्विक आबादी के 68 प्रतिशत हिस्से को गम्भीर चुनौतियों या समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.”

“हमें तेज़ी लाने की ज़रूरत है. वैश्विक लक्ष्यों तक पहुँचने के लिये तय, 2030 तक पहुँचने में हमारे पास केवल 90 महीने, या 2700 दिन हैं.”

“यह रिपोर्ट एक सामयिक, नीन्द से जगाने वाली पुकार है.”

यूएन पर्यावास संगठन की कार्यकारी निदेशक और अवर महासचिव मैमूनाह शरीफ़.
UN Habitat/Monika Wcislak
यूएन पर्यावास संगठन की कार्यकारी निदेशक और अवर महासचिव मैमूनाह शरीफ़.

यूक्रेन में संकट

यूक्रेन में मौजूदा संकट के कारण, विश्व शहरी फ़ोरम का आयोजक देश व्यापक रूप से प्रभावित हुआ है और वहाँ क़रीब 40 लाख लोगों ने शरण ली है.

एक अनुमान के अनुसार, इनमें से 10 लाख लोग हालात बेहतर होने पर अपने देश लौट गए हैं.

यूक्रेन के नज़दीक स्थित होने के कारण, फ़ोरम के मूल कार्यक्रम में बड़े बदलाव किये गए थे ताकि हिंसक संघर्ष, टकराव और आपदाओं का सामना करने और बेहतर ढँग से उबरने में शहरों की ज़रूरतों जैसे विषयों पर भी चर्चा हो सके.

एक विशेष सत्र में, यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर ख़ारकीव के मेयर इगोर टेरेखोव ने कहा कि एक नया, बेहतर खारकीव बनाने की तैयारी जारी है.

उन्होंने बताया कि युद्ध के बाद पुनर्निर्माण के लिये योजनाओं पर संयुक्त राष्ट्र के साथ चर्चा को आगे बढ़ाया गया है.

इसके तहत, विद्युत-चालित बसों के साथ एक नया सार्वजनिक परिवहन नैटवर्क, औद्योगिक पार्क, एक गतिशील सूचना प्रौद्योगिकी सैक्टर और ऊर्जा दक्ष आवास व्यवस्था पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा.

इगोर टेरेखोव ने कैटोविचे में फ़ोरम के दौरान ‘युद्ध या प्राकृतिक आपदा के उपरान्त समुदायों व पड़ोसी इलाक़ों का पुनर्निर्माण’ सत्र को वर्चुअल रूप से सम्बोधित किया.

शहरी इलाक़ों में विस्तार से इण्डोनेशिया में मैनग्रोव को हानि पहुँच रही है.
Ocean Image Bank/Srikanth Mannep
शहरी इलाक़ों में विस्तार से इण्डोनेशिया में मैनग्रोव को हानि पहुँच रही है.

आपदाओं के बाद शहरी विकास

फ़ोरम के दौरान हिंसक टकरावों और आपदाओं से निपटने में, शहर के मेयर और अन्य नेताओं की अग्रणी भूमिका को रेखांकित किया गया.

बताया गया है कि पैनल में हुई चर्चाओं से प्राप्त विचारों व सुझावों के ज़रिये भविष्य में नीतियाँ तैयार करने में मदद मिलेगी.  

कार्यकारी निदेशक मैमूनाह शरीफ़ ने बताया कि हिंसक संघर्ष और आपदाओं के बाद पुनर्निर्माण प्रयासों के लिये यह ज़रूरी है कि केवल क्षति आकलन पर बातचीत तक सीमित रहने के बजाय, आगे बढ़ा जाए.

इस क्रम में, समुदायों, व्यक्तियों और पर्यावरण को हुई क्षति पर भी ध्यान केन्द्रित किया जाना होगा.

उन्होंने कहा कि यह केवल इमारतों के पुनर्निर्माण के बारे में ही नहीं है, बल्कि फिर से समुदायों को संवारने से भी है.

विश्व शहरी फ़ोरम की स्थापना वर्ष 2001 में की गई थी, और यह बेहतर शहरी भविष्य के लिये प्रयासरत, यूएन पर्यावास एजेंसी (UN-Habitat) द्वारा हर दो साल में एक बार आयोजित की जाती है.

कैटोविचे शहर एक समय कोयला व स्टील उद्योग और भीषण प्रदूषण के लिये जाना जाता था, मगर अब इसे टैक्नॉलॉजी, संस्कृति व आयोजन के लिये ख्याति प्राप्त है. संयुक्त राष्ट्र पर्यावास एजेंसी ने यह रूपान्तरकारी बदलाव लाने में शहर की मदद की है.