
साक्षात्कार: महासचिव की पुकार - भूराजनैतिक मतभेदों के अन्त, जलवायु संकट से निपटने के लिये, रास्ता बदलना होगा
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने जलवायु परिवर्तन से लेकर भूराजनैतिक मतभेदों से लेकर गहरी होती विषमताओं और संघर्षों जैसी अनेक वैश्विक चुनौतियों का सन्दर्भ देते हुए, इनसे निपटने के लिये अन्तरराष्ट्रीय एकजुटता मज़बूत करने की पुकार लगाई है.
In our in-depth UN News interview with @antonioguterres he says some key decision-makers are downgrading the #ClimateCrisis as a priority issue - a suicidal decision. Look out for our full in-depth interview ahead of #UNGA, covering #ClimateAction & many other topics pic.twitter.com/hcZFJ0Va9S
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एंतोनियो गुटेरेश ने यूएन महासभा के 77वें सत्र का उच्च स्तरीय ‘जनरल डिबेट’ सप्ताह शुरू होने के मौक़े पर यूएन न्यूज़ के साथ एक विस्तृत इंटरव्यू में कहा है, “मेरा उद्देश्य ये स्पष्ट करना है कि... हमें सहयोग की दरकार है, हमें संवाद की ज़रूरत है, और मौजूदा भूराजनैतिक मतभेद यह होने नहीं दे रहे हैं. हमें रास्ता बदलने की ज़रूरत है.”
यूएन प्रमुख बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित पाकिस्तान की एकजुटता यात्रा से कुछ ही दिन पहले लौटे हैं, जहाँ उन्होंने “जलवायु संहार” को रोकने के लिये ना केवल त्वरित और गम्भीर कार्रवाई किये जाने की पुकार लगाई, बल्कि जलवायु परिवर्तन में बहुत कम योगदान होने वाले मगर उसके प्रभावों से बहुत ज़्यादा प्रभावित होने वाले देशों को और ज़्यादा सहायता मुहैया कराने का भी आहवान किया.
उन्होंने यूएन न्यूज़ को बताया: “हमें विकासशील देशों को समर्थन बढ़ाना होगा, ना केवल उत्कर्जनों में कमी करने के लिये, बल्कि सहनक्षमता निर्माण में, ऐसा टिकाऊ ढाँचा विकसित करने में जो, विनाशकारी प्रभावों का सामना करने में उन देशों की मदद करने के लिये ज़रूरी हो. दुनिया के ज़्यादातर जलवायु प्रभावित क्षेत्र ऐसे देशों में हैं जिनका योगदान जलवायु परिवर्तन में बहुत ज़्यादा नहीं है.”
यूएन महासचिव ने भूराजनैतिक मोर्चे पर, कठिन मुद्दों पर प्रदर्शनीय परिवर्तन के लिये और ज़्यादा समर्पित व निपुण राजनय का प्रयोग किये जाने पर ज़ोर दिया. इन मुद्दों में वैश्विक खाद्य क़िल्लत भी शामिल है जो यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद भड़की है.
यूएन प्रमुख ने काला सागर अनाज निर्यात पहल का उदाहरण देते हुए कहा: “इसने दिखाया है कि गुप्त राजनय अब भी वो सबकुछ हासिल कर सकती है जो, वाचाल कूटनीति से हासिल नहीं किया जा सकता.”
उन्होंने कहा कि यूक्रेन व रूस के दरम्यान राजनय के स्तर पर भी लड़ाई भड़कने की स्थिति से बचने के लिये, अगर विवेक से काम लेते हुए, और अथक प्रयास नहीं किये जाते तो, ये समझौता सम्भव नहीं होता.
यह इंटरव्यू, स्पष्टता और लम्बाई के लिये, सम्पादित किया गया है.
यूएन न्यूज़: आपने हाल ही में पाकिस्तान से वापिस लौटे हैं जहाँ आपने जलवायु सम्बन्धित आपदा से प्रभावित इलाक़ों का दौरा किया. हम सोमालिया को ख़तरे में डालने वाले सूखा और सम्भावित अकाल पर भी चिन्तित हैं. आप उन लोगों से क्या कहना चाहेंगे जो अब भी जलवायु परिवर्तन को वास्तविक नहीं समझते हैं?
एंतोनियो गुटेरेश: देखें, जलवायु परिवर्तन हमारे दौर का एक अति महत्वपूर्ण मुद्दा है. और मैं बहुत चिन्तित हूँ क्योंकि यूक्रेन मे युद्ध और अन्य अनेक घटनाओं के कारण, दुनिया भर में अनेक निर्णय-निर्माताओं के लिये जलवायु परिवर्तन का मुद्दा प्राथमिकताओं से हट गया लगता है. ये आत्मघाती स्थिति है. हम उत्सर्जनों में वृद्धि होते हुए देख रहे हैं और हम जीवाश्म ईंधन प्रयोग का फिर से बढ़ता रुझान देख रहे हैं, अलबत्ता हम जानते हैं कि जीवाश्म ईंधन ही, प्रकृति के विरुद्ध जारी युद्ध का मुख्य कारण है, एक ऐसा युद्ध जो हम पूरे इतिहास के दौरान जारी रखते रहे हैं. बिल्कुल इसी पल से, उत्सर्जनों में कमी करना बेहद ज़रूरी है.

असल में हम 2030 तक उत्सर्जनों में 45 प्रतिशत कटौती करने के योग्य होने चाहिये, जबकि ये दुर्भाग्य की बात है कि इसके उलट हम 2030 तक 14 प्रतिशत की वृद्धि होते देख रहे हैं, हमें इस रुझान को बिल्कुल पलटना होगा. हम एक विनाशकारी स्थिति की तरफ़ बढ़ रहे हैं, और इस बढ़त को रोकने के लिये, हमारे पास समय भी नहीं बचा है.
इसके साथ ही, हम जब पाकिस्तान की तरफ़ देखते हैं, तो वहाँ बाढ़ से तबाह हुआ इलाक़ा मेरे देश – पुर्तगाल से तीन गुना बड़ा है. हमें विकासशील देशों को ना केवल उत्सर्जनों में कमी लाने के लिये समर्थन बढ़ाना होगा, बल्कि सहनक्षमता बढ़ाने, बल्कि ऐसे टिकाऊ ढाँचा निर्माण के लिये भी जो उन देशों को, पहले से ही जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों का सामना करने में मदद करे. दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन के सर्वाधिक व्यापक केन्द्र ऐसे देशों में हैं, जिनका योगदान, जलवायु परिवर्तन में बहुत कम है.
यूएन न्यूज़: हम हर वर्ष यूएन महासभा का एक नया सत्र आयोजित होते हुए देखते हैं, जिसे अक्सर संयुक्त राष्ट्र का वार्षिक भव्य आयोजन भी कहा जाता है. इस वर्ष के इस वार्षिक सत्र के लिये आपका ध्यान किन मुद्दों पर है. जबकि कोविड-19 महामारी के बाद, महासभा का सत्र पहली बार निजी शिरकत के साथ हो रहा है, साथ ही योरोप में युद्ध ने भी, दुनिया की अन्य प्राथमिकताओं से ध्यान हटाया है?
एंतोनियो गुटेरेश: मेरा मक़सद ये स्पष्ट करना है कि हम आज जो भूराजनैतिक विभाजन देख रहे हैं, वो बहुत भयावह हैं. ऐसे में जब विश्व जलवायु परिवर्तन का सामना कर रहा है, जब दुनिया अन्य महामारियों की सम्भावनाओं का सामना कर रही है, जबकि कोविड-19 भी अभी ख़त्म नहीं हुआ है, जब दुनिया विकसित और विकासशील देशों के दरम्यान और देशों के भीतर भी, उच्च स्तर की विषमता का सामना कर रही है, जब विश्व को इन तमाम पहलुओं के इर्द-गिर्द एकजुट होने की दरकार है. हमें एकता की ज़रूरत है, हमें सहयोग की आवश्यकता है, हमें संवाद की ज़रूरत है, और मौजूदा भूराजनैतिक विभाजन, ऐसा नहीं होने दे रहे हैं. हमें रास्ता व रुझान बदलने होंगे.
यूएन न्यूज़: यूक्रेन में युद्ध ने इतिहास का एक सबसे बड़ा और तेज़ शरणार्थी संकट उत्पन्न कर दिया है. यूक्रेन की राजधानी कीयेव पर उस समय बमबारी हो रही थी, जब आप देश का दौरा कर रहे थे. ये मौजूदा संकट, उन अन्य संकटों से किस तरह भिन्न है जो आपने यूएन शरणार्थी उच्चायुक्त और बाद मे महासचिव के रूप में देखे हैं.

एंतोनियो गुटेरेश: मैंने जितने संकट देखे, उनमें से ज़्यादातर विकासशील देशों में हैं, उनमें भी निर्धनतम देशों में, और वो अधिकतर संकट देशों के भीतरी संकट थे, यहाँ तक कि अगर किसी बाहरी शक्ति का हस्तक्षेप भी है तो भी. वो गृहयुद्ध बन गए या देश के भीतर आतंकवादी गतिविधियाँ थीं. अब हमारे सामने एक महाशक्ति और यूक्रेन के दरम्यान युद्ध , जबकि यूक्रेन एक आधुनिक देश है. और हम विनाश के ऐसे स्तरों की बात कर रहे हैं जहाँ शस्त्रों की प्रकृति और सैन्य क्षमता बिल्कुल भिन्न हैं.
तो, यह दरअसल एक बार फिर दो देशों के दरम्यान एक ऐसा युद्ध है जो एक देश द्वारा दूसरे देश पर आक्रमण से उत्पन्न हुआ है, जिसमें आक्रमणकारी देश के पास इस स्तर के शस्त्र और सैन्य ताक़त हैं जो हाल के समय में तो तुलना से परे हैं. दूसरी तरफ़ हम हाल के अतीत में, शरणार्थियों और विस्थापित लोगों का त्वरित आवागम देख रहे हैं जिसके भीषण मानवीय परिणाम हुए हैं.
यूएन न्यूज़: आपने शिक्षा में रूपान्तरकारी बदलावों पर एक विशाल सम्मेलन भी आयोजित किया है और यह अनेक देशों में शिक्षा में भारी व्यवधान की पृष्ठभूमि में हो रहा है. आप आर्थिक मन्दी के समाधान तलाश करने के लिये भी इच्छुक हैं जिसने टिकाऊ विकास में प्रगति को बहुत धीमे होते देखा है. प्रमुख भूराजनैतिक तनावों के बीच, इन मुद्दों पर प्रगति करने के लिये आपके पास सर्वश्रेष्ठ परिदृश्य क्या हैं?

एंतोनियो गुटेरेश: अगर मुझे विश्व स्थिति, शान्ति और सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिये एक चीज़ को चुनना पड़े तो वो है शिक्षा. अगर मुझे जलवायु परिवर्तन की समझ हासिल करने की क्षमता बेहतर बनाने और जलवायु परिवर्तन का मुक़ाबला करने के लिये किसी एक चीज़ को चुनना पड़े तो वो है शिक्षा. जब मैं दुनिया में विषमताओं को दूर कर सकने वाली किसी एक चीज़ की तरफ़ देखता हूँ तो वो है शिक्षा. मगर दुर्भाग्य से, आज हम दुनिया भर में नाटकीय हालात देख रहे हैं – जलवायु पर हमला, महामारियाँ – हम शिक्षा बजटों में कटौतियाँ होते हुए देख रहे हैं.
तो शिक्षा बदलावों पर ये सम्मेलन, देशों को यह समझाने के लिये, सम्पूर्ण अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को सक्रिय बनाने का एक पल है कि उन्हें शिक्षा में और ज़्यादा संसाधन निवेश करने होंगे. और विकसित देशों को ये समझाना होगा कि उन्हें विकासशील देशों के लिये समर्थन व सहायता और ज़्यादा बढ़ाने होंगे ताकि वो शिक्षा में ज़्यादा संसाधन निवेश कर सकें. इस मुहिम में अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों को भी साथ देना होगा.
हमने शिक्षा दूत गॉर्डन ब्राउन के साथ शिक्षा के लिये अन्तरराष्ट्रीय वित्त सुविधा शुरू की है, और मुझे आशा है कि तमाम दानदाता, इस सुविधा को दिल खोलकर दान देंगे ताकि दुनिया की सर्वाधिक निर्बल आबादी के लिये कुछ ठोस अन्तर लाया जा सके.
यूएन न्यूज़: काला सागर अनाज समझौते ने, पहले ही तीस लाख टन खाद्य सामग्री, यूक्रेन से दुनिया के अनेक ठिकानों के लिये रवाना होते देखी है, जिससे खाद्य संकटों से उबरने और ज़िन्दगियाँ बचाने में मदद मिली है. इस कामयाब दास्तान के, क्या अन्य अहम पहलू हैं? इस मंत्र को अन्य जटिल परिस्थितियों में अपनाए जाने के बारे में आपने कितने आशान्वित हैं?

एंतोनियो गुटेरेश: इसने दिखाया है कि गुप्त राजनय अब भी वो सबकुछ हासिल कर सकती है जो, वाचाल कूटनीति से हासिल नहीं किया जा सकता. यूक्रेन व रूस के दरम्यान राजनय के स्तर पर भी लड़ाई भड़कने की स्थिति से बचने के लिये, अगर विवेक से काम लेते हुए, और अथक प्रयास नहीं किये जाते तो, ये समझौता सम्भव नहीं होता. और मैं कहुंगा कि दुनिया के बहुत से संकटों को हल करने का यही मंत्र है. आज की दुनिया में संकटों के समाधान के लिये, हमें गोपनीय राजनय की महत्ता को फिर से स्थापित करने के लिये, हर सम्भव प्रयास करने होंगे.
यूएन न्यूज़: मानवाधिकार, सदैव से ही संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख स्तम्भों में शामिल रहे हैं. आपने हेट स्पीच, ख़ुद से अलग पहचान वाले लोगों के लिये नापसन्दगी (Xenophobia) और लोकलुभावन वाले राष्ट्रवाद से उत्पन्न ख़तरों को भी रेखांकित किया है. ऐसा क्यों हो रहा है, और दूसरी तरफ़, आपको उम्मीद कहाँ से मिलती है?
एंतोनियो गुटेरेश: देखें, ये चीज़ें हमेशा से रही हैं, मगर अब उन्हें सोशल मीडिया और सूचना प्रोद्योगिकी के तमाम मंचों से बेतहाशा बढ़ावा मिल रहा है, जो इस समय दुनिया भर में फैले हुए हैं.
दूसरी तरफ़, जब देश अपनी समस्याओं का समाधान तलाश करने में कठिनाई महसूस करते हैं तो राष्ट्रवाद, ज़ैनोफ़ोबिया (Xenophobia), किसी पक्ष को बलि का बकरा बनावना, विदेशियों को निशाना बनाने जैसी कुछ ऐसी चीज़ें हैं जो दुर्भाग्य से बहुत होते हुए नज़र आ रही हैं. हमें समझना होगा कि मानवाधिकारों को एकजुट करना होगा - समुदायों को, देशों को. नस्लभेद और ज़ेनोफ़ोबिया, नफ़रत के बिल्कुल अस्वीकार्य रूप हैं जिनका, हमें अपनी दुनिया से बिल्कुल सफ़ाया करना होगा.
यूएन न्यूज़: आप काफ़ी लम्बे समय से इस वास्तविकता पर चिन्ता व्यक्त करते आए हैं कि दुनिया ध्रुवीकरण की दिशा में बढ़ रही है, जिसे आपने एक “विशाल दरार” क़रार दिय है. ये स्वभाविक है कि ये राजनैतिक वास्तविकता, महासचिव के रूप में आपके काम के और ज़्यादा कठिन बनाती है. आप दुनिया को एक साथ लाने के लिये क्या कर सकते हैं?
एंतोनियो गुटेरेश: मेरे पास कोई जादुई शक्तियाँ नहीं हैं. हम जो कुछ भी कर सकते हैं, वो हमारे पास मौजूद उपकरणों के यथासम्भव प्रयोग से निर्धारित होगा – प्रतिष्ठित कार्यालय, मध्यस्थता – और हम दुनिया को यह समझाने में यथासम्भव प्रयास करें कि हमारे सामने दरपेश विशाल चुनौतियाँ, केवल एकजुटता के साथ, सहयोग और एकता के साथ ही सुलझाई जा सकती हैं.
यूएन न्यूज़: गत वर्ष इस समय कोविड-19 सर्वाधिक विशाल वैश्विक संकट नज़र आ रहा था, और हम सब उसका सामना कर रहे थे, जिसने यूएन महासभा और संयुक्त राष्ट्र के अभियानों को प्रभावित किया. देशों की सरकारें और संयुक्त राष्ट्र, सार्वजनिक स्वास्थ्य को उच्च एजेंडा पर रखने के लिये क्या कर सकते हैं?

एंतोनियो गुटेरेश: सबसे पहली बात तो ये कि जहाँ अभी टीकाकरण की समस्याएँ मौजूद हैं, उन्हें कलना होगा. और ये एक ऐसा मुद्दा है जो पूरी संयुक्त राष्ट्र प्रणाली को सक्रिय बना रहा है. दूसरी बात, जो लोग कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित हुए, जिन्हें तालाबन्दी लगानी पड़ी, जिनके यहाँ पर्यटन ठप हो गया और अन्य पहलुओं के कारण, जो बहुत बुरी स्थिति में हैं, वित्तीय सहायता और क़र्ज़ राहत के ज़रिये उनकी मदद करनी होगी, ताकि वो पुनर्बहाली में सक्षम हो सकें. इनमें मध्य आय वाले देश भी हैं.
हमने देखा है कि धनी देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं में जान फूँकने के लिये अरबों, यहाँ तक कि खरबों की मुद्रा छापने में सक्षम थे, दुर्भाग्य से विकासशील देश ऐसा नहीं कर सके... ज़ाहिर है कि उनकी मुद्राएँ नीचे की और लुढ़क गईं. इसलिये अन्तरराष्ट्रीय एकजुटता पुनर्स्थापित करनी होगी.
यूएन न्यूज़: आप अपना दूसरा कार्यकाल शुरू कर चुके हैं, आप संयुक्त राष्ट्र के मक़सद के लिये दुरुस्त किस तरह बनाने का ख़याल रखते हैं? अगर आपको कोई रास्ता मिले तो, आप सबसे बड़ा सुधार क्या करना चाहेंगे?
एंतोनियो गुटेरेश: हमने अपना साझा एजेंडा शुरू कर दिया है. हमारा साझा एजेंडा परियोजनाओं, विचारों, प्रस्तावों की एक श्रृंखघला है जिनका उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र को और ज़्यादा प्रभावशाली बनाना है. और साथ ही, विश्व की समस्याएँ सुलझाने के रास्ते के रूप में बहुपक्षवाद को फिर से स्थापित करना है. मुख्य उद्देश्य – हमारा साझा एजेंडा को सदस्य देशों द्वारा विकसित होते हुए देखना है, और इसे 2030 के टिकाऊ विकास एजेंडा और टिकाऊ विकास लक्ष्यों को समर्थन देने वाले मुख्य उपकरण के रूप में परिवर्तित होते देखना है, ताकि और ज़्यादा शान्ति, और अधिक विकास, और ज़्यादा न्याय सम्भव बनाए जा सकें और दुनिया भर में मानवाधिकारों के लिये प्रभावशाली सम्मान स्थापित किया जा सके.

यूएन न्यूज़: लैंगिक समानता और युवजन को साथ लेने पर आपका बहुत ज़ोर रहता है, इस क्षेत्र में अपनी विरासत छोड़ने के लिये, आप क्या करेंगे? क्या आप एक युवती महिला को अपने उत्तराधिकारी के रूप में देखना चाहेंगे?
एंतोनियो गुटेरेश: पहली बात तो ये है कि हम संयुक्त राष्ट्र में वरिष्ठ प्रबन्धन के सम्बन्ध में पहले ही बराबरी हासिल कर चुके हैं, जिनमें लगभग 200 वरिष्ठ नेतृत्व कर्ता शामिल हैं. हमने देशों में यूएन प्रतिनिधियों – रैज़िडैंट कोऑर्डिनेटर्स (RCOs) के सम्बन्ध में भी बराबरी हासिल कर ली है, जिसका मतलब है – दुनिया के विभिन्न देशों में यूएन गतिविधियों के संयोजक. और हम संयुक्त राष्ट्र के कामकाज के तमाम स्तरों पर, वर्ष 2028 तक बराबरी हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.
दूसरी तरफ़ हम संयुक्त राष्ट्र की तमाम नीतियों में लैंगिक नज़रिया मुख्य स्थान पर ला रहे हैं, तमाम एजेंसियों की तमाम गतिविधियों में, और हमारे तमाम कामकाज में. महासचिव के बारे में, मुझे अफ़सोस हे, मैं कोई महिला नहीं हूँ. मगर मैं स्वभाविक रूप से, बहुत रुचि और सहानुभूति के साथ, ना केवल यूएन महासचिव के पद पर, बल्कि दुनिया के सर्वाधिक महत्वपूर्ण देशों के शीर्ष पदों पर महिलाओं के बैठे होने की सम्भावना देखता हूँ.