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साक्षात्कार: समान और न्यायपूर्ण दुनिया ही वक़्त की ज़रूरत - यूएन प्रमुख

संयुक्त राष्ट्र महासचिव, एंतोनियों गुटेरेश के साथ बातचीत करतीं, यूएन न्यूज़ की मेय याक़ूब
UN News/Ben Dotsei Malor
संयुक्त राष्ट्र महासचिव, एंतोनियों गुटेरेश के साथ बातचीत करतीं, यूएन न्यूज़ की मेय याक़ूब

साक्षात्कार: समान और न्यायपूर्ण दुनिया ही वक़्त की ज़रूरत - यूएन प्रमुख

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने यूएन न्यूज़ के साथ एक ख़ास बातचीत में कोविड-19 के प्रसार पर चिन्ता जताई है और महामारी के बाद बेहतर पुनर्निर्माण, सतत पुनर्बहाली, समानता व बहुपक्षवाद बढ़ाने पर ज़ोर दिया है. संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगाँठ और महासभा के 75वें सत्र के मौक़े पर दिये इस साक्षात्कार में महासचिव ने एक समान व न्यायपूर्ण व टिकाऊ दुनिया के निर्माण का आहवान किया है.

यूएन न्यूज़: कोविड-19 ने दुनिया में भारी तबाही मचाई है और बहुत सारी चीज़े बिल्कुल बदल दी हैं. हमने एकजुटता के अद्भुत उदाहरण देखे हैं, लेकिन अभी आगे बहुत संघर्ष बाक़ी है. आपके आकलन के अनुसार अब महामारी की क्या स्थिति है?

यूएन महासचिव: मैं बहुत चिन्तित हूँ. महामारी ने दुनिया की कमज़ोरी उजागर कर दी है. न केवल कोविड-19 के सम्बन्ध में, बल्कि जलवायु परिवर्तन के सम्बन्ध में, और साइबरस्पेस में अराजकता व परमाणु प्रसार के जोखिम से लेकर समाज के सामंजस्य में असमानता के असर को लेकर भी. 

एक सूक्ष्म वायरस ने हमें हमारे घुटनों पर झुका दिया है. इससे विश्व नेताओं में विनम्रता जागृत होनी चाहिये और कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में एकजुटता पैदा होनी चाहिये. लेकिन हम जानते हैं कि एकता अब भी नज़र नहीं आ रही. हर देश अपनी अलग रणनीति अपना रहा है और हम इसके परिणाम देख रहे हैं: वायरस हर जगह फैलता जा रहा है. 

विकासशील देशों में, आमजन एकजुटता की इस कमी का ख़ामियाज़ा भुगत रहे हैं. यह स्थिति हर किसी के लिये नकारात्मक है, क्योंकि अगर हम इन देशों में कोविड-19 से ठीक से निपट नहीं पाते,तो वायरस कम-ज़्यादा होता रहेगा और हम सभी को इसकी भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी, यहाँ तक कि दुनिया के सबसे अमीर देशों को भी.

यूएन न्यूज़: सरकारें और समुदाय इस स्थिति से सकारात्मक रूप में निपटने के लिये और ज़्यादा मज़बूत होकर उभरें, इसे लेकर आपकी क्या उम्मीदें हैं?

यूएन महासचिव: हम सभी को सहयोग के ज़रिये एक साथ काम करने की ज़रूरत है. यह नितान्त आवश्यक है कि कोविड-19 के टीके को वैश्विक सार्वजनिक कल्याण के लिये,आमजन का टीका माना जाए. हम उन देशों की प्रतिस्पर्धा से बचें, जो अपने लिये अधिक से अधिक वैक्सीन प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं और उन लोगों को नज़रअन्दाज़ कर रहे हैं जिनके पास संसाधनों की कमी है.

हमें हर किसी के लिये, हर एक स्थान पर, एक सस्ती वैक्सीन की आवश्यकता है, क्योंकि हम तभी सुरक्षित रहेंगे जब हर एक इनसान यानि सभी सुरक्षित होंगे. ऐसे में यह सोचना बहुत मूर्खतापूर्ण होगा कि हम अमीर लोगों को बचा लें और ग़रीबों को परेशानी में पड़े रहने दें.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश (फ़ाइल)
UN Photo/Manuel Elias
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश (फ़ाइल)

यूएन न्यूज़: कोविड-19 की वजह से तात्कालिक जलवायु कार्रवाई की आवश्यकता से ध्यान और संसाधन हट गए हैं. इस मुद्दे पर दुनिया का ध्यान आकर्षित करने के लिये किन तीन प्रमुख बिन्दुओं पर ध्यान देना चाहिये?

यूएन महासचिव: हमारा उद्देश्य वैज्ञानिक समुदाय द्वारा परिभाषित हो चुका है. हमें सदी के अन्त तक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री तक सीमित करना होगा. इसके लिये, हमें 2050 तक कार्बन तटस्थता की आवश्यकता होगी. और इसके लिये हमें अगले दशक में कार्बन उत्सर्जन में लगभग 45% की कटौती करनी होगी. 

तो, लक्ष्य तो स्पष्ट हैं. हम इन्हें हासिल कैसे करें? हमें पूर्ण प्रतिबद्धता की ज़रूरत है, विशेष रूप से बड़े उत्सर्जकों से. ऊर्जा में सभी प्रकार के बदलावों के लिये - उद्योग में, कृषि में, परिवहन में, हमारे जीवन के सभी क्षेत्रों में, हमें ऐसे परिवर्तन करने की आवश्यकता है जो इन उद्देश्यों तक पहुँच सम्भव बना सकें.

और यह बहुत सरल है. हमें जीवाश्म ईंधन के लिये सब्सिडी देने में करदाताओं का धन ख़र्च करना बन्द करना होगा. हमें बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश करना चाहिये क्योंकि यह सस्ती है और अधिक लाभदायक है. ये क़दम केवल उचित ही नहीं है, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी फ़ायदेमन्द हैं.

हमें कोयले से चलने वाले बिजली संयन्त्रों का निर्माण रोकने की ज़रूरत है. हमें बिजली से चलने वाले (इलैक्ट्रिक) वाहनों जैसे गतिशीलता के नए रूपों में निवेश करने की आवश्यकता है; हमें हाइड्रोजन में निवेश करने की आवश्यकता है. यही भविष्य का ईंधन है.

साथ ही, हमें जैव विविधता संरक्षण, वनों की सुरक्षा करने और कृषि में बदलाव लाने की आवश्यकता है. इन सभी पहलुओं में, हमें एक साझा रणनीति के साथ मिलकर काम करने की ज़रूरत है और एक स्पष्ट उद्देश्य लेकर ,हमें 2050 तक कार्बन तटस्थता हासिल करनी होगी. 

यूएन न्यूज़: 17 टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्राप्ति के लिये निर्धारित 2030 की समय सीमा वास्तव में बहुत दूर नहीं है. एसडीजी हासिल करने के लिये विश्व नेताओं को किस तरह के प्रयासों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिये? आख़िरकार इसी के ज़रिये एक अधिक टिकाऊ और न्यायसंगत दुनिया सम्भव है.

यूएन महासचिव: चूँकि वर्तमान समय में कोविड-19 से निपटने के लिये और अर्थव्यवस्थाओं की पुनर्बहाली के लिये, हम खरबों डॉलर का धन ख़र्च कर रहे हैं. तो अगर आप हजारों डॉलर ख़र्च कर ही रहे हैं, तो इसे टिकाऊ विकास लक्ष्यों के अनुरूप ही कर लें, तो ज़्यादा अच्छा रहेगा.

आइये, इसे 2030 एजेण्डा के अनुरूप ख़र्च करें. आइये, अपनी अर्थव्यवस्था का बेहतर पुनर्निर्माण करें, अधिक निष्पक्षता के साथ असमानता के ख़िलाफ़ लड़ें, अधिक स्थिरता से जलवायु परिवर्तन से लड़ें,और सतत विकास लक्ष्यों में प्रासंगिक अन्य सभी पहलुओं पर ध्यान दें - चाहे वो ग़रीबी उन्मूलन हो, महासागरों का संरक्षण हो, या शिक्षा, स्वास्थ्य से लेकर शासन तक से सम्बन्धित हों.

तो, कोविड-19 एक ख़तरा है, एक समस्या है, लेकिन यह एक अवसर भी है क्योंकि अगर हमें बदलाव लाना है, तो हम सही दिशा में परिवर्तन ला सकते हैं. जैसे-जैसे हम बड़े पैमाने पर पुनर्निर्माण के लिये संसाधन जुटा रहे हैं, हम सही तरीक़े से भी पुनर्निर्माण कर सकते हैं और इसके लिये हमारा ब्लूप्रिंट होना चाहिये - 2030 एजेण्डा और टिकाऊ विकास लक्ष्य.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश सुरक्षा परिषद चैम्बर के बाहर स्थिति प्रैस स्थल पर
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यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश सुरक्षा परिषद चैम्बर के बाहर स्थिति प्रैस स्थल पर

यूएन न्यूज़: संयुक्त राष्ट्र की स्थापना को 75 साल हो चुके हैं,और आपने सभी से यूएन75 के संवादों में सक्रिय रूप से भाग लेने का आहवान किया है, ख़ासतौर पर युवाओं से, जिनकी आवाज़ अक्सर सुनी नहीं जाती है. आपने युवाओं से बात की है, लेकिन आप उनकी बात सुनने में ज़्यादा यक़ीन रखते हैं. युवाओं के साथ हुई इन चर्चाओं से आपको क्या प्रोत्साहन मिला?

यूएन महासचिव: अन्तरराष्ट्रीय संघ के लिये युवाओं की प्रतिबद्धता बेहद मज़बूत है. मेरी पीढ़ी की तुलना में युवा पीढ़ी बहुत अधिक विश्ववादी है. वे समस्याओं के लिये एक सार्वभौमिक दृष्टिकोण रखते हैं. वे समझते हैं कि हमें साथ मिलकर रहने की जरूरत है.

इसलिये वे समझते हैं कि हमें एक मज़बूत बहुपक्षवाद की आवश्यकता है, लेकिन ऐसा बहुपक्षवाद जो लोगों का बहुपक्षवाद भी हो, जिसमें निर्णय लेने में उनकी भागीदारी हो, और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज़ के लिये; जलवायु कार्रवाई के लिये; समाज में अधिक न्याय और समानता जैसे विचारों; लैंगिक समानता; जातिवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई जैसे विचारों के लिये युवाओं की मज़बूत प्रतिबद्धता हो. इन सभी पहलुओं से युवाओं की प्रतिबद्धता उजागर होती है. हम सभी के भविष्य के लिये यही सबसे बड़ी उम्मीद है.

यूएन न्यूज़: कुछ 25 साल पहले हुई बीजिंग घोषणा, महिलाओं के अधिकारों के लिये एक ऐतिहासिक मोड़ था. लेकिन करोड़ों वर्षों की पितृसत्तात्मक मानसिकता के परिणामस्वरूप दुनिया अब भी पुरुष प्रधान है. आपकी नज़र में पुरुषों को ऐसा क्या करना चाहिये जिससे लैंगिक नीति समता और समानता सुनिश्चित हो सके?

यूएन महासचिव: पुरुषों को समझना चाहिये कि लैंगिक समानता न केवल महिलाओं के, बल्कि हर किसी के हित में है, क्योंकि इससे दुनिया बेहतर होगी. यह सच है कि हम पुरुष प्रधान दुनिया की पुरुष प्रधान संस्कृति में रहते हैं. यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र में समता तक पहुँचना इतना महत्वपूर्ण है. हमने शीर्ष स्तर पर समानता हासिल करने की कोशिश की है, लेकिन हमें अब इसे हर जगह लागू करने की आवश्यकता है.

यह मूल रूप से ताक़त का सवाल है और हमें ज़रूरत है... ‘महिलाओं का सशक्तिकरण’ मुहावरे का उपयोग करना मुझे पसन्द तो नहीं है. ऐसा लगता है कि हम महिलाओं को शक्ति दे रहे हैं. शक्ति दी नहीं जाती, ली जाती है, लेकिन हमें समाज में महिलाओं को सही दर्जा देने के लिये महिलाओं को आगे बढ़ाना होगा. हम पुरुषों को यह समझने की आवश्यकता है कि यह एक सकारात्मक पहलू है.

यूएन न्यूज़: गुटेरेश जी,आपने दुनिया में बहुत सी समस्याओं के कारण उत्पन्नअसमानताओं और अन्याय के बारे में प्रबलता से बात की है. इनके सबसे विनाशकारी उदाहरण क्या हैं और बहुपक्षवाद कैसे पूरी मानव जाति के लिये फ़ायदेमन्द साबित हो सकता है?

यूएन महासचिव: ये बहुत चौंकाने वाला तथ्य है कि दुनिया की आधे से अधिक आय व सम्पदा 1% लोगों के हाथ में हैं, जिनके पास दुनिया की आधी से ज़्यादा आबादी के बराबर संसाधन हैं. लेकिन मैं कहूँगा कि असमानता के सबसे चौंकाने वाले पहलू तो वो हैं, जिनका धन से कोई लेना-देना ही नहीं हैं.

यह हैं - लैंगिकता से सम्बन्धित, जातिवाद से सम्बन्धित, धर्म से सम्बन्धित,विकलाँगों से सम्बन्धित, एलजीबीटीक्यूआई समुदाय से सम्बन्धित भेदभाव से जुड़ी असमानता. मेरा मतलब है, हमें एक ऐसे समाज की आवश्यकता है जिसमें सामंजस्य ही हमारा उद्देश्य हो. हमें क़बायली समुदायों,अल्पसंख्यकों, हर एक समुदाय के सामंजस्य में निवेश करने की आवश्यकता है – जिससे उन्हें महसूस हो कि उनकी पहचान का सम्मान किया जा रहा है, और वो भी समग्र रूप से समाज का हिस्सा हैं.

यूएन न्यूज़: गुटेरेश जी,अन्त में आप क्या कहना चाहेंगे? इस बार महासभा का सत्र वर्चुअल होगा, जिसमें पिछले वर्षों की तरह धूमधाम तो नहीं होगी, लेकिन यह माहौल तात्कालिकता, गम्भीरता और आशा से भरपूर होगा. आप विश्व के नेताओं और जनता को महासभा के इस 75वें सत्र से क्या सीख लेकर जाने देना चाहेंगे?

यूएन महासचिव: हाँ, ज़ाहिर है, बहुत सी बातें सामनें हैं, लेकिन अगर मुझे प्राथमिकता चुननी हो, तो मैं कहूँगा कि वैश्विक युद्धविराम होना चाहिये. आइए, हम यह सुनिश्चित करें कि हमारे पास जो वैक्सीन होगी वो एक वैश्विक सार्वजनिक कल्याण के लिये हो और सभी लोगों के लिये हो. साथ ही, यह सुनिश्चित करें कि जब हम अपनी अर्थव्यवस्थाओं का पुनर्निर्माण करें, तो इस तरह करें कि 2050 में कार्बन तटस्थता तक पहुँच सकें.