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यूएन प्रमुख का विश्व नेताओं को सन्देश: 'बेख़याली से जागें, राह बदलें और एकजुट हों'

 यूएन न्यूज़ की ऐसम्पटा मसोई, यूएन महासचिव के साथ विशेष बातचीत करते हुए (सितम्बर 2021)

हमें संस्थानों के नैटवर्क के एक ऐसे बहुपक्षीय समूह की ज़रूरत है जो मिलजुलकर काम कर सकें, क्योंकि अब सबकुछ आपस में जुड़ा हुआ है, और उनके पास ज़्यादा शक्तियाँ व प्राधिकार हों ताकि वो पूरे अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को, हमारे सामने दरपेश समस्याओं का समाधान निकालने के लिये सक्रिय बना सकें.

UN News/Leah Mushi
यूएन न्यूज़ की ऐसम्पटा मसोई, यूएन महासचिव के साथ विशेष बातचीत करते हुए (सितम्बर 2021)

यूएन प्रमुख का विश्व नेताओं को सन्देश: 'बेख़याली से जागें, राह बदलें और एकजुट हों'

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने यूएन न्यूज़ को दिये एक विस्तृत इण्टरव्यू में अनेक मुद्दों पर बातचीत की है और विश्व नेताओं से, "बेख़याली से जागने, अपने देशों के भीतर और विदेश में अपनी राह तुरन्त बदलने, और एकजुट होने" की पुकार लगाई है. यूएन प्रमुख ने कहा है, “हमारे पास जो संस्थान हैं, उनके पास कोई शक्तियाँ नहीं हैं. और कभी-कभी जब उनके पास शक्तियाँ होती भी हैं, जैसाकि सुरक्षा परिषद के मामले में है, तो उनमें उन शक्तियों का इस्तेमाल करने की कोई ख़ास इच्छा नहीं होती है.”

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, यूएन महासभा का 76वाँ सत्र शुरू होने के मौक़े पर, यूएन न्यूज़ के साथ विस्तृत बातचीत के लिये समय निकाला और अनेक मुद्दों पर सवालों के जवाब दिये, जिनमें कोविड-19 महामारी से लेकर लैंगिक समानता तक शामिल थे.

यूएन प्रमुख ने, कोरोनावायरस के वैरिएण्ट्स लगातार सामने आने के हालात में, पूरी दुनिया में एक समान टीकाकरण योजना लागू किये जाने का आहवान किया है, क्योंकि इस वायरस के नए प्रकार, मौजूदा वैक्सीन्स के लिये प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर सकते हैं.

उन्होंने कहा, “और उस दिन, कोई भी व्यक्ति सुरक्षित नहीं होगा, दक्षिण में और उत्तर में, यहाँ तक कि उन देशों में भी जहाँ हर किसी को वैक्सीन के टीके लग चुके हैं.”

अफ़ग़ानिस्तान के बारे में, उनका तर्क था कि वहाँ स्थिति “अप्रत्याशित” यानि अन्दाज़ा लगाए जाने से बाहर है. उन्होंने आगाह करते हुए कहा, “अफ़ग़ानिस्तान में जो कुछ हुआ है, उससे अन्य चरमपंथी गुटों या अन्य विद्रोही आन्दोलनों को और ज़्यादा आक्रामक होने के लिये बल मिल सकता है.”

यूएन प्रमुख ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को भी रेखांकित करते हुए कहा कि दुनिया “एक गहरी खाई के मुहाने पर पहुँच चुकी है”. उन्होंने तमाम देशों से, अगले जलवायु सम्मेलन कॉप26 को सफल बनाने का आग्रह भी किया.

ये इण्टरव्यू स्पष्टता और संक्षिप्तता की ख़ातिर सम्पादित किया गया है.

यूएन न्यूज़: ‘हमारा साझा एजेण्डा’ (Our Common Agenda) पर, आपकी हाल की रिपोर्ट में, आपने कोविड-19 के बाद के समय में, एक टिकाऊ दुनिया का पुनर्निर्माण करने के लिये, बहुपक्षवाद को सर्वश्रेष्ठ उपकरण क़रार दिया है. आपको क्यों लगता है कि आज की दुनिया के सामने, आगे के रास्ते पर बढ़ने के लिये, केवल बहुपक्षवाद ही एक मात्र पक्का रास्ता है?

एंतोनियो गुटेरेश: आप ख़ुद देखें कि हमारी दुनिया का क्या हाल हो चुका है; एक वायरस ने पूरी दुनिया को घुटनों पर झुका दिया है. महामारी शुरू होने के बाद, अब लगभग डेढ़ वर्ष हो चुका है, अब भी, वायरस का हर कहीं फैलना जारी है. और हम लोगों की ज़िन्दगियों पर इसका भीषण असर भी देख रहे हैं, विषमताओं में नाटकीय वृद्धि हुई है, अर्थव्यवस्थाएँ अत्यन्त गम्भीर कठिन स्थितियों में हैं, और ज़ाहिर है - सबसे निर्बल हालात वाले लोगों, को सबसे ज़्यादा तकलीफ़ें उठानी पड़ रही हैं.

दुनिया, एक वैश्विक टीकाकरण योजना परिभाषित करने के लिये, एकजुट नहीं हो सकी, और ना ही वैक्सीन उत्पादक देशों को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ एक मंच पर ला सकी, जहाँ अन्तराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों का भी साथ मिलता. ऐसा करके औषधि निर्माता कम्पनियों के साथ समझौते करके वैक्सीन उत्पादन दोगुना किया जा सकता था और समान वितरण भी सुनिश्चित किया जा सकता. कोई भी देश, अकेले ऐसा नहीं कर सकता; सभी देशों को मिलकर ही ऐसा करना होगा.

समस्या ये है कि हमारे पास इस समय जो बहुपक्षीय संस्थान मौजूद है, और वो है - विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), उसके पास तो स्थिति के बारे में सटीक जानकारी हासिल करने की शक्ति भी नहीं है. इस संगठन के पास तो बीमारी की जड़ के बारे में जाँच करने तक की ताक़त भी नहीं है.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, यूएन महासभा का 76वाँ सत्र शुरू होने से पहले पत्रकारों से बातचीत करते हुए, उन्होंने इसी मौक़े पर 'कॉमन एजेण्डा' भी पेश किया. (सितम्बर 2021)
UN Photo/Eskinder Debebe
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, यूएन महासभा का 76वाँ सत्र शुरू होने से पहले पत्रकारों से बातचीत करते हुए, उन्होंने इसी मौक़े पर 'कॉमन एजेण्डा' भी पेश किया. (सितम्बर 2021)

इसलिये हमें समस्या का समाधान बहुपक्षीय तरीक़े से ही निकालना होगा, हर किसी को साथ लाना होगा, मगर हमें महामारियों की पहले से ही रोकथाम करने, और हमारे सामने दरपेश चुनौतियों का समाधान तलाश करने के लिये, ऐसे बहुपक्षीय संस्थानों की ज़रूरत है जिनके पास कहीं ज़्यादा प्रशासनिक शक्तियाँ हों.

अगर हम जलवायु की बात करें तो भी यही बात सच है. हम गहरी खाई के मुहाने पर पहुँच चुके हैं. सच ये है कि हमारा उद्देश्य बहुत स्पष्ट तरीक़े से, वैज्ञानिक समुदाय ने निर्धारित कर दिया है, और वो है कि इस सदी के अन्त तक तापमान वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा नहीं होनी चाहिये.

ऐसा नहीं कर पाने के कारण, हम बहुत बड़ा जोखिम मोल ले रहे होंगे क्योंकि देश, अपने बीच ही सहयोग नहीं कर रहे हैं. विकसित व विकासशील देशों के दरम्यान बहुत सारा अविश्वास है. उत्तर – दक्षिण के बीच विभाजन है जिसके कारण कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिये संकल्प पूरे करने में कठिनाइ हो रही है. जबकि अगले एक या दो दशकों के दौरान कार्बन उत्सर्जन में बहुत कमी करनी होगी, तभी वर्ष 2050 तक कार्बन तटस्थता का लक्ष्य हासिल हो सकता है.

इसलिये, हमें एक ज़्यादा मज़बूत बहुपक्षवाद की ज़रूरत है, ये स्पष्ट है कि हम केवल सहयोग करके ही समस्याओं का समाधान निकाल सकते हैं. मगर हमारे पास जो संस्थान हैं, उनके पास शक्तियाँ नहीं हैं. और जब कभी उनके पास शक्तियाँ होती भी हैं, जैसे कि सुरक्षा परिषद के मामले में है, उनके पास उन शक्तियों का प्रयोग करने की इच्छा नहीं होती है.

हमें संस्थानों के नैटवर्क के एक ऐसे बहुपक्षीय समूह की ज़रूरत है जो मिलजुलकर काम कर सकें, क्योंकि अब सबकुछ आपस में जुड़ा हुआ है, और उनके पास ज़्यादा शक्तियाँ व प्राधिकार हों ताकि वो पूरे अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को, हमारे सामने दरपेश समस्याओं का समाधान निकालने के लिये सक्रिय बना सकें.

और दरअसल, “साझा एजेण्डा” का एक लक्ष्य, बिल्कुल यही है – वैश्विक साझी चीज़ों की शिनाख़्त करके, उनकी प्रशासनिक मशीनरी को बेहतर बनाया जाए. साथ ही, उस प्रशासनिक मशीनरी को और ज़्यादा असरदार बनाने के लिये, सदस्य देशों के साथ मिलकर काम किया जाए.

ये सब इसलिये चाहिये ताकि भविष्य में महामारियों की पहले से ही रोकथाम की जा सके, जलवायु परिवर्तन को मात दी जा सके, आज की दुनिया में मौजूद नाटकीय विषमताओं से निपटा जा सके.

यूएन न्यूज़: अब हम कोविड-19 की बात करते हैं. आप ज़ोर देते रहे हैं कि जब तक सर्वजन सुरक्षित नहीं हैं, तब तक कोई भी सुरक्षित नहीं हैं, मगर वास्तविकता इससे भिन्न है, विशेष रूप में अफ़्रीका में, जहाँ 2 प्रतिशत से भी कम आबादी को वैक्सीन के टीके लग पाए हैं, और दुनिया के दीगर अनेक हिस्सों में वैक्सीन का प्रयोग ही नहीं हो रहा है. अभी ऐसा और क्या किये जाने की ज़रूरत है जो विकसित या धनी देश ये स्वीकार कर सकें, और इस तथ्य पर कार्रवाई करें कि कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई, केवल साझा वैश्विक कार्रवाई के ज़रिये ही सफल हो सकती है?

एंतोनियो गुटेरेश: जैसाकि मैंने कहा है, हमें एक वैश्विक टीकाकरण योजना की दरकार है, और हमें उन सभी को साथ लाना होगा जो वैक्सीन का उत्पादन करते हैं या कर सकते हैं, और वैक्सीन उत्पादन दोगुना किया जा सके और फिर समान वैक्सीन वितरण.
हमारी अपील बहुत स्पष्ट रही है, मगर दुर्भाग्य से अभी उस पर अमल नहीं हुआ है. और परिणाम यही है, जैसाकि आपने अभी कहा.

मेरा मतलब है कि मेरा देश (पुर्तगाल), टीकाकरण में बहुत सफल रहा है, जहाँ 80 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण किया जा चुका है. जैसाकि आपने ज़िक्र किया, अफ़्रीका में, कुछ ऐसे देश भी हैं जहाँ केवल 2 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण हो सका है.

संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में, दुनिया भर में समान टीकाकरण सम्भव बनाने के लिये कोवैक्स कार्यक्रम चलाया जा रहा है.
© UNICEF/Arlette Bashizi
संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में, दुनिया भर में समान टीकाकरण सम्भव बनाने के लिये कोवैक्स कार्यक्रम चलाया जा रहा है.

और समस्या ये है कि ये वायरस जंगल की आग की तरह फैल रहा है, वैश्विक दक्षिण क्षेत्र में. ये ख़ुद को विकसित कर रहा है, अपने रूप बदल रहा है और ये भी ख़तरा है कि किसी ख़ास क्षण, इस वायरस का कोई वैरिएण्ट, ऐसा भी रूप धारण कर ले जिस पर मौजूदा वैक्सीन्स का कोई असर ही ना हो.

और उस दिन, कोई भी जन सुरक्षित नहीं होगा, ना दक्षिण में और ना ही उत्तर में, यहाँ तक कि उन देशों में भी जहाँ हर किसी को टीके लग चुके होंगे. इसलिये ये समझने का एक कारण है कि हर जगह, हर किसी को वैक्सीन का टीका लगाए जाने को प्राथमिकता दिये जाने की ज़रूरत है. इसलिये हमने ऐसे उपाय किये जाने की अपील जारी की थी जिनसे वर्ष 2022 के मध्य तक, 70 प्रतिशत आबादी को टीके लग जाएँ. 70 प्रतिशत, समानता के स्तर से, नाकि किसी एक स्थान पर एक प्रतिशत, और किसी अन्य स्थान पर 20 प्रतिशत.

यूएन न्यूज़: अब ध्यान अफ़ग़ानिस्तान की तरफ़ करते हैं, जहाँ के हालात गम्भीर चिन्ता का कारण हैं, विशेष रूप से महिलाओं के लिये. तालेबान ने जो नई सरकार के गठन की घोषणा की है उसमें एक भी महिला नहीं है, और ज़्यादातर नस्लीय समूहों की अनदेखी की गई है. आपके ख़याल से, संयुक्त राष्ट्र और उसकी साझीदार एजेंसियों को इस समय, अफ़ग़ानिस्तान के लोगों की मदद करने के लिये, क्या व्यापक रणनीति अपनानी चाहिये?

एंतोनियो गुटेरेश: ज़ाहिर सी बात है कि ये स्थिति ऐसी है जिसका अन्दाज़ा नहीं लगाया जा सकता. हम सभी चाहते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान में एक समावेशी सरकार हो.

हम सभी चाहते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान में, मानवाधिकारों का सम्मान हो, विशेष रूप में महिलाओं और लड़कियों का. और हम सभी ये भी चाहते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान फिर से आतंकवादियों के लिये कोई सुरक्षित ठिकाना ना बने; हम सभी चाहते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान ड्रग तस्करी का भी मुक़ाबला करे, मगर इस बारे में अभी से कुछ भी कहना कठिन है कि आगे क्या होने वाला है. अभी ये अस्पष्ट कि क्या होने वाला है.

मेरे विचार में, संयुक्त राष्ट्र का एक कर्तव्य है, और हमारा कर्तव्य है कि हम बातचीत व सम्पर्क स्थापित करें, इस पर आधारित कि हम क्या सहायता और योगदान कर सकते हैं, और हम जो सहायता कर सकते हैं वो है - मानवीय सहायता, इस लम्हा. और तालेबान को ये समझाने के लिये कि उनके लिये एक समावेशी सरकार का गठन करना कितना महत्वपूर्ण है, जिममें विभिन्न नस्लीय समूहों का प्रतिनिधित्व हो, और जिसमें, स्वभाविक रूप से महिलाएँ भी हों, जिसके ज़रिये महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों का सम्मान झलके.

अफ़ग़ानिस्तान में, 15 वर्ष से कम उम्र की कुल लड़कियों में, केवल 20 प्रतिशत ही साक्षर हैं.
© UNICEF/Frank Dejo
अफ़ग़ानिस्तान में, 15 वर्ष से कम उम्र की कुल लड़कियों में, केवल 20 प्रतिशत ही साक्षर हैं.

महिलाओं को सार्वजनिक स्थलों पर कामकाज करने की इजाज़त हो, लड़कियों को सभी स्तरों पर तालीम हासिल करने का मौक़ा मिले, और साथ ही, असरदार तरीक़े से आतंकवाद का मुक़ाबला करने के लिये, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के साथ सहयोग किया जाए.

इसलिये हमें, तालेबान के साथ सम्पर्क और वार्ता स्थापित करने की ज़रूरत है, और हमने ऐसा ही किया भी है.

जैसाकि आप जानते हैं, हमने आपदा राहत मामलों के संयोजक मार्टिन ग्रिफ़िथ्स को, काबुल में तालेबान के साथ बातचीत करने के लिये भेजा, ये जानने के लिये कि हम मानवीय सहायता कैसे उपलब्ध करा सकते हैं, ऐसा हम किस तरह सुरक्षित वातावरण में और समतापूर्ण माहौल में कर सकें, ताकि किसी के साथ भी किसी तरह का कोई भेदभाव ना हो.

और फिर हमें, मानवीय सहायता उपलब्ध कराने के लिये, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को सक्रिय बनाना है. अफ़ग़ान लोग बहुत तकलीफ़ों का सामना कर रहे हैं. ये बहुत ज़रूरी है कि अफ़ग़ान लोगों तक खाद्य सामग्री, दवाइयाँ और अन्य बुनियादी चीज़ें मुहैया कराई जाएँ ताकि देश में त्रासदी के हालात को टाला जा सके.

हमारे सामने और चिन्ता है, चूँकि अनेक तरह के प्रतिबन्ध और विभिन्न उपाय मौजूद हैं, जिनके कारण अर्थव्यवस्था का पूरी तरह गला घुट जाने का भी ख़तरा है. इसलिये मेरा ख़याल है कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को, अफ़ग़ान अर्थव्यवस्था में कुछ नक़दी पहुँचाने के कुछ रास्ते खोजने होंगे ताकि अर्थव्यवस्था को ढहने से बचाया जा सके. 

यूएन न्यूज़: दुनिया भर के अनेक देशों में, महिलाएँ अब भी अनेक मोर्चों पर पीछे छूटी हुई हैं. आपने यहाँ संयुक्त राष्ट्र में, लैंगिक समानता के लिये बहुत काम किया है, मगर आलोचकों का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र को ये एजेण्डा, और ज़्यादा ताक़त के साथ आगे बढ़ाना चाहिये. आप ये सुनिश्चित करने के लिये, ऐसे और क्या उपाय लागू होते हुए देखना चाहेंगे कि 2030 तक लैंगिक समानता एक वास्तविकता बन जाए?

एंतोनियो गुटेरेश: इस मुद्दे के अनेक आयाम हैं. स्वाभाविक रूप में संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अंगों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व, और देशों में राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भी; महिला उद्यमियों को समर्थन दिये जाने के प्रश्न और उन महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण किया जाना, जो लिंग आधारित हिंसा का सामना और मुक़ाबला करती हैं. विशेष रूप में, संघर्ष वाले क्षेत्रों में ये हालात बहुत संगीन हैं. मगर घरों में, भेदभाव को मिटाने के लिये, तमाम मौजूदा भेदभावपूर्ण क़ानूनों को ख़त्म करना, और पुरुषों व महिलाओं के बीच पूर्ण समानता लागू करने के उपायों को क़ानूनी रूप देना भी, ज्वलन्त मुद्दे हैं.

तो, ये सभी मुद्दे हमारी प्राथमिकता पर हैं, मगर एक केन्द्रीय प्रश्न है, जोकि ताक़त से जुड़ा प्रश्न है. आज की दुनिया में ताक़त, अब भी पुरुषों में केन्द्रित है और एक पुरुष प्रधान संस्कृति बनी हुई है.

भारत में महिलाओं को टिकाऊ विकास मुद्दों, विशेष रूप से लैंगिक समानता से जुड़े विषयों पर अग्रणी भूमिका निभाने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है.
UNDP India
भारत में महिलाओं को टिकाऊ विकास मुद्दों, विशेष रूप से लैंगिक समानता से जुड़े विषयों पर अग्रणी भूमिका निभाने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है.

और आमतौर पर, ताक़त दी नहीं जाती है, बल्कि हासिल की जाती है. इसलिये हम चाहते हैं कि महिलाएँ अपने पूर्ण अधिकारों के लिये लड़ें और हमें यह समझने वाले पुरुषों की ज़रूरत है कि पूर्ण लैंगिक समानता के साथ ही, दुनिया बेहतर होगी और समस्याओं का समाधान निकलेगा.

हमें ऐसे पुरुषों की आवश्यकता है जो लैंगिक समानता के लिये लड़ाई में, प्रभावशाली तरीक़े से शामिल हो सकें. और अगर हम ताक़त व प्राधिकार की बात करें तो संयुक्त राष्ट्र में उच्च स्तर के 180 पदों पर लैंगिक समानता है और दुनिया भर में फैली यूएन टीमों के नेतृत्व पदों में भी. 

हमें ऐसा ही देशों की सरकारों और संसदों में भी करने की ज़रूरत है, और तमाम संस्थाओं और संगठनों में भी.

यूएन न्यूज़: हाशिये पर धकेल दिया गया एक अन्य समूह है युवजन, और आप ये पुकार लगाते रहे हैं कि सभी के लिये समावेशी व समान दुनिया बनाने की मुहिम, युवाओं को महत्वपूर्ण स्थान दिया जाए. आप युवाओं की तरफ़ से क्या उपाय या कार्रवाई देखना चाहेंगे ताकि उनके लिये अवसर सुनिश्चित हो सकें?

एंतोनियो गुटेरेश: मेरा ख़याल है कि अब युवजन के पास एकजुट होने और अपनी आवाज़ बुलन्द करने व सुनाने के लिये विशाल संसाधन मौजूद हैं. सोशल मीडिया पर, किसी अन्य पीढ़ी की तुलना में, युवजन का ही वर्चस्व ज़्यादा है.

युवजन के पास सक्रियता की विशाल क्षमता है और जैसाकि हमने नस्लभेद के ख़िलाफ़ आन्दोलनों, जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़, विभिन्न तरह की असमानताओं के ख़िलाफ़, लैंगिक समानता के लिये आन्दोलनों में देखा भी है. इनमें, युवा पीढ़ी, पुरानी पीढ़ी की तुलना में, कहीं ज़्यादा प्रगतिशील है.

इसलिये हमें, ऐसी संस्थागत प्रणालियाँ बनाने की ज़रूरत है जिनमें, जब और जहाँ निर्णय लिये जाते हैं, वहाँ युवजन की आवाज़ को भी और ज़्यादा शामिल किया जाए.

यूएन न्यूज़: अब अफ़्रीका पर ध्यान देते हैं – संघर्ष के मुद्दे पर. आपने हाल ही में आगाह किया था कि अफ़ग़ानिस्तान में हुई घटनाओं से, अफ़्रीका में विस्फोटक हालात वाले स्थानों में भी, परिस्थितियों पर प्रभाव पड़ सकता है, विशेष रूप में जहाँ संघर्षों के पीछे, अतिवादी विचारधाराएँ, भड़काव का कारण हैं. क्या आप इस स्थिति पर और प्रकाश डाल सकते हैं?

एंतोनियो गुटेरेश: अगर हम सहेल जैसी स्थिति पर नज़र डालें तो, मैं बहुत चिन्तित हूँ. हम वहाँ फ्रेंच मौजूदगी में कमी देख रहे हैं. हमने देखा है कि चाड ने, सर्वाधिक ख़तरनाक क्षेत्र से अपने सैनिक हटाए हैं.

हमने अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान की जीत के सन्दर्भ में, आतंकवादी गुटों में उत्साह का माहौल देखा है. इसलिये मेरा विचार है कि सहेल में एक असरदार सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने की ख़ातिर, अब प्रयास करने का सही समय है.

यही कारण है कि मैं हमेशा ही अफ़्रीकी संघ द्वारा क्षेत्रीय संगठनों के सहयोग से, एक मज़बूत अफ़्रीकी बल के गठन की हिमायत करता रहा हूँ. इसे सुरक्षा परिषद का भी समर्थन मिले. मगर हम ये भी जानते हैं कि सैन्य बल ही काफ़ी नहीं है. हमें विकास भी चाहिये, हमें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का भी मुक़ाबला करना है, और हमें क्षेत्र में, सरकार व प्रशासन में बेहतरी लाने के लिये भी सभी कुछ करने की ज़रूरत है.

यूएन न्यूज़: और वैश्विक सुरक्षा के मुद्दे पर, जैसाकि और ज़्यादा सुरक्षा ख़तरे विश्व के सामने आ रहे हैं, और आपने अतिवाद व संघर्षों के अन्य रूपों, आतंकवाद और जनसंहार के हथियारों के बारे में भी बात की है. दुनिया को एक और ज़्यादा सुरक्षित स्थान बनाने के लिये, संयुक्त राष्ट्र और क्या कुछ कर सकता है?

एंतोनियो गुटेरेश: देखें, आज सबसे बड़ी समस्या भरोसे की कमी है. और विशेष रूप से, महाशक्तियों के बीच भरोसे की कमी. आप ये स्थिति, सुरक्षा परिषद द्वारा उचित फ़ैसले लेने में कठिनाई के रूप में और दुनिया भर में विभिन्न संकटों के बारे में देखते भी हैं. 

इसलिये, महाशक्तियों के बीच इस विभाजन और भरोसे की कमी की स्थिति के कारण, हम दण्डमुक्ति का माहौल देखते हैं, लोग सोचते हैं कि वो जो चाहे कर सकते हैं.

मानवीय मामलों के अवर महासचिव और संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत समन्वयक, मार्टिन ग्रिफ़िथ ने अफ़ग़ानिस्तान के काबुल शहर में तालिबान के कुछ नेताओं के साथ मानवीय मुद्दों पर चर्चा की.
OCHA
मानवीय मामलों के अवर महासचिव और संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत समन्वयक, मार्टिन ग्रिफ़िथ ने अफ़ग़ानिस्तान के काबुल शहर में तालिबान के कुछ नेताओं के साथ मानवीय मुद्दों पर चर्चा की.

इसलिये, हमें फिर से भरोसा बनाना होगा, और हमें ताक़तों के दरम्यान भरोसा फिर से बनाना होगा जो विश्व मामलों पर ज़्यादा असर रखती हैं, ताकि तीव्र गति से बढ़ते संकटों से निपटने के लिये, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को और ज़्यादा एकजुट किया जा सके.

हमें एक ऐसी सुरक्षा परिषद की आवश्यकता है जो एकजुट हो, जो मज़बूत हो. और उसके लिये सामान्य धरातल तलाश करने की ख़ातिर, महाशक्ति देशों के बीच गम्भीर सम्वाद की ज़रूरत है.

यूएन न्यूज़: यूएन महासभा की आम चर्चा अगले सप्ताह शुरू हो रही है. श्रीमान महासचिव, इस चर्चा को सम्बोधित करने वाले विश्व नेताओं के लिये आपका क्या सन्देश है?

एंतोनियो गुटेरेश: मेरा मुख्य पैग़ाम: अब सावधानी की घण्टी बजाने का समय है. हम एक गहरी खाई के मुहाने पर हैं और हम ग़लत दिशा में जा रहे हैं. 

कोविड-19 की वैक्सीन के टीकारकरण को देखें, जलवायु सम्मेलन कॉप26 की सफलता सुनिश्चित करने के लिये, सभी देशों को एक साथ लाने में पेश आ रही कठिनाइयों को देखें.

पिछले महीनों के दौरान, हमारे सामने आए अनेक तरह के संघर्षों को देखें. हमें अपना रास्ता बदलना होगा, और हमें नीन्द से जागना होगा. इसलिये विश्व नेताओं के लिये मेरा सन्देश है; बेख़याली से जागें, अपना रास्ता बदलें, एकजुट हों, और आइये, आज हमारे सामने मौजूद विशालकाय चुनौतियों को हराने का जतन करें.