वीडियो - हब (Video-Hub)
भारत के महावीर: भलाई का जज़्बा
‘भारत के महावीर’ टेलीवीज़न श्रृँखला के इस भाग में, एक सामुदायिक रेडियो, किशोरों द्वारा शुरू किया गया ऑनलाइन फ़िटनैस क्लब और एक बुज़ुर्ग शिक्षिका द्वारा बच्चों की शिक्षा जारी रखने के लिये शुरू किये गए असाधारण कार्य शामिल हैं...
पृथ्वी के साथ सुलह करने का समय
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि 21वीं सदी के लिये - जलवायु संकट के ख़िलाफ़ लड़ाई सर्वोच्च प्राथमिकता है. न्यूयॉर्क स्थित कोलम्बिया यूनिवर्सिटी में दिये एक भावुक भाषण में उन्होंने स्पष्ट कहा, "इसे सीधे शब्दों में कहें तो ग्रह टूटने के कगार पर पहुँच गया है और पृथ्वी के साथ सुलह करने का वक़्त है." वीडियो सन्देश...
भारत के महावीर: जहाँ चाह, वहाँ राह
‘भारत के महावीर’ टैलीवीज़न श्रृँखला की तीसरी कड़ी में नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी बेंगलूरू, के पूर्व छात्रों ने प्रवासी श्रमिकों को उनके घरों तक पहुँचाने के लिये पूरे देश में 10 चार्टर्ड फ्लाइट का ख़र्च वहन किया. इस कड़ी में - 31 वर्षीय एक विकलाँग 31 लड़की राजी राधाकृष्णन शामिल हैं जिन्होंने अग्रिम मोर्चों पर काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के लिये, सिलाई करके 2000 से अधिक मास्क तैयार किये; और बाबा करनैल सिंह खैरा हैं जिन्होंने एनएच -7, महाराष्ट्र में सड़क के किनारे स्थित अपने भोजनालय के माध्यम से 20 लाख से अधिक लोगों को मुफ़्त खाना खिलाया.
लड़की: समानता का जन्म-सिद्ध अधिकार
संयुक्त राष्ट्र के अन्तरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष (IFAD) की भारत में 'तेजस्विनी' परियोजना के तहत आयोजित कन्या नामकरण समारोह, कन्या भ्रूण हत्या को कम करने और भारत में महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने में मदद कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र द्वारा लिंग आधारित हिंसा के ख़िलाफ़ 16 दिनों की सक्रियता मुहिम के मौक़े पर भारत के महाराष्ट्र प्रदेश में, IFAD द्वारा वित्त पोषित ये परियोजना, एक बच्ची को जन्म देने और उसके इर्द-गिर्द नकारात्मक धारणाओं को उलटने की कोशिश कर रही है... देखें ये वीडियो...
‘भारत के महावीर’... और मदद करने वालों का कारवाँ बनता गया
भारत में, संयुक्त राष्ट्र, नीति आयोग और डिस्कवरी चैनल के संयुक्त टैलीविज़न कार्यक्रम 'भारत के महावीर' का दूसरा भाग.
भारत: महामारी के दौरान निस्वार्थ सेवा से दिल जीतने वाले महावीर
भारत में संयुक्त राष्ट्र और नीति आयोग द्वारा डिस्कवरी चैनल की भागीदारी, और दीया मिर्ज़ा व सोनू सूद की मेज़बानी में, तीन हिस्सों वाली एक श्रृँखला, 'भारत के महावीर' शुरू की गई है, जिसमें कोविड-19 के दौरान ज़रूरतमन्दों की मदद करने के लिये, अपनी सीमाओं से परे जाकर काम करने वाले, देश भर के 12 चैम्पियन प्रस्तुत किये जा रहे हैं.
कोविड-19: आपसी सम्बन्धों पर प्रभाव
स्वास्थ्य संकट की स्थिति में, स्कूल, सामाजिक संस्थाओं और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच खो देने के कारण, ख़ासतौर पर लड़कियों को बाल-विवाह और कम उम्र में गर्भवती होने के जोखिम का सामना करना पड़ता है.
बांग्लादेश की 15 साल की त्रिशा कहती हैं, "मैं एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था चाहती हूँ, जहाँ महिलाएँ और बच्चे पूरी तरह से सुरक्षित हों. बाल विवाह हमारे समाज के लिये एक अभिशाप है. जब कोई लड़की बाल विवाह का शिकार होती है, तो वह शारीरिक और भावनात्मक रूप से प्रभावित होती है.”
यह वीडियो, लड़कियों ने ख़ुद बनाकर, अपने विचार, अपने शब्दों में, व्यक्त किये हैं. (वीडियो देखें)...
कोविड-19: एक लड़की की नज़र में असमानता
कोविड-19 महामारी के बढ़ते फैलाव के बीच, लड़कियाँ महिला ख़तना (FGM) से मुक्ति पाने का अधिकार पाने और सुरक्षा व कल्याण के लिये समान अवसरों का उपयोग करने के लिये आवाज़ उठा रही हैं.
निजेर में 15 साल की एस्टा पूछती हैं, "अगर कोई इलाज मिल भी गया, तब भी क्या क्या हमारे जैसे देशों को वो हासिल हो पाएगा?"
यह वीडियो, लड़कियों ने ख़ुद बनाकर, अपने विचार, अपने शब्दों में व्यक्त किये हैं. (देखिये वीडियो)...
कोविड-19: एक लड़की की नज़र में भविष्य
दुनिया भर की लड़कियाँ एक ऐसे भविष्य की कल्पना करती हैं जो समावेशी और निष्पक्ष हो. माली में 15 साल की मकदीदिया कहती हैं, "मैं सभी बच्चों के अभिभावकों से कहना चाहता हूँ कि वो यह समझें कि हम कुछ कहना चाहते हैं, और हमारे विचार मायने रखते हैं, क्योंकि हम दुनिया का भविष्य हैं."
यह वीडियो, लड़कियों ने ख़ुद बनाकर, अपने विचार, अपने शब्दों में, कैमरे में समेटे हैं... (वीडियो सौजन्य: यूनीसेफ़)
कोविड-19 दौरान शिक्षा - एक लड़की की नज़र से
कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने के प्रयासों के तहत 194 देशों में राष्ट्रव्यापी तालाबन्दी में लगभग एक अरब 60 करोड़ बच्चों का जीवन भी प्रभावित हुआ है. दुनिया भर के लगभग 90 प्रतिशत छात्र अप्रैल के शुरू से ही स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. आशंका है कि बहुत सी लड़कियाँ शायद कभी भी स्कूली कक्षाओं में वापस नहीं जा पाएँगी, क्योंकि परिवार अपने आर्थिक बोझ कम करने के लिये उन्हें बाल विवाह या बाल श्रम के गर्त में धकेल सकते हैं.
इस वीडियो में मेडागास्कर की 16 वर्षीया अंतासा कहती हैं, "लड़कियों को स्कूल नहीं भेजने का विचार, इन इलाक़ों में वास्तव में संस्कृति का हिस्सा बन गया है".
(यह वीडियो, लड़कियों ने ख़ुद बनाकर, अपने विचार, अपने शब्दों में व्यक्ति किये हैं).