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भारत: महामारी के दौरान निस्‍वार्थ सेवा से दिल जीतने वाले महावीर

कोविड19 के दौरान ज़रूरतमंदों की मदद के लिए अपनी सीमाओं से परे जाकर काम करने वाले चैंपियन.
UN India/Discovery
कोविड19 के दौरान ज़रूरतमंदों की मदद के लिए अपनी सीमाओं से परे जाकर काम करने वाले चैंपियन.

भारत: महामारी के दौरान निस्‍वार्थ सेवा से दिल जीतने वाले महावीर

मानवीय सहायता

भारत में संयुक्‍त राष्‍ट्र और नीति आयोग द्वारा डिस्‍कवरी चैनल की भागीदारी, और दीया मिर्ज़ा व सोनू सूद की मेज़बानी में, तीन हिस्‍सों वाली एक श्रृँखला, 'भारत के महावीर' शुरू की गई है, जिसमें कोविड-19 के दौरान ज़रूरतमन्दों की मदद करने के लिये, अपनी सीमाओं से परे जाकर काम करने वाले, देश भर के 12 चैम्पियन प्रस्‍तुत किये जा रहे हैं.

 

भोपाल के एक रेलवे पुलिस अधिकारी इन्दर यादव उन महावीरों में से एक हैं, जो ज़रूरतमन्द लोगों की मदद करने से पीछे नहीं हटे.

इन्दर यादव ने भोपाल में 3 महीने की एक बच्ची तक दूध पहुँचाने के लिए, एक चलती ट्रेन के डिब्बे की ओर दौड़ लगाई. शिशु की माँ ने दूध की व्यवस्था करने में असमर्थ रहने पर श्रमिक स्‍पेशल ट्रेन के भोपाल स्‍टेशन पर, कुछ मिनटों के लिये रुकने के दौरान, आरपीएफ कर्मी इन्दर यादव से मदद की गुहार लगाई थी.

पुलिस अधिकारी इन्दर यादव दूध लेने के लिये बाहर निकले और इससे पहले कि वे लौट पाते, ट्रेन चल पड़ी. हालाँकि, ये स्थिति भी इन्दर यादव को नहीं रोक सकी, और उन्होंने एक हाथ में रायफल और दूसरे हाथ में दूध का पैकेट लिए हुए ही, चलती ट्रेन के पीछे दौड़ लगाई. आख़िरकार, उन्होंने किसी तरह बच्ची तक दूध पहुँचा ही दिया.

इन्दर यादव का कहना है, "अगर कोई एक चीज़ है जिसे मैं कभी भी नज़रअन्दाज़ नहीं कर सकता, तो वो है,  भूख के कारण बच्चे का रोना है. किसी बच्चे को भूखा देखकर, मेरे लिये सब कुछ ठहर जाता है. बहुत से प्रवासी कामगार घर वापस जा रहे थे और वे इस हालत में नहीं थे कि वे अपनी बुनियादी ज़रूरतें भी पूरी कर सकें. ऐसे समय में, मैंने एक माँ को अपनी बच्ची के लिये दूध माँगते देखा. उस क्षण, मैं, एक माँ और उसकी बच्ची की बेबसी के अलावा और कुछ नहीं देख सका, इसलिये आगे जाकर दूध के साथ उनकी ओर दौड़ लगा दी. यह मानवता से भरा एक क्षण था जो मुझ पर हावी हो गया था.”

अभिनेता और मेज़बान सोनू सूद का कहना है, "अतिरिक्त प्रयास करना अपने आप में एक ऐसी अभिव्‍यक्ति है जो अपने हिस्‍से का काम करने और किसी काम को पूरे मन से करने के बीच के बारीक अन्तर को स्‍पष्‍ट कर देती है.

इन्दर यादव ने एक चलती ट्रेन में एक बच्ची की भूख और उसकी माँ की बेबसी देखी. इस काम के लिये उनकी ये दौड़ उनके जीवन की सबसे यादगार दौड़ साबित हो सकती है, क्‍योंकि करुणा से भरे हृदय के साथ उन्‍होंने अतिरिक्‍त प्रयास किया.”  

'भारत के महावीर' श्रृंखला में साझा की गई अन्य विशेष कहानियों में, पुणे के एक ऑटो चालक अक्षय कोठावाले हैं जिन्‍होंने प्रवासी मजदूरों को खाना खिलाने के लिये, अपनी शादी के वास्ते बचाकर रखे गई रक़म में से, 2 लाख रुपए खर्च कर दिये.

इस कार्यक्रम में ट्रान्सजैण्डर कार्यकर्ता, लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को भी दर्शाया गया है, जो मई 2020 से, हर दिन, भोजन के 200 पैकेट, समुदायों में वितरित कर रही हैं.