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खाद्य अभाव वाले 18 स्थानों पर, अति गम्भीर खाद्य असुरक्षा

दक्षिण सूडान में, एक लड़की, दूर स्थान से पानी भरकर, विस्थापितों के लिए बनाए गए शिविर में अपने निवास के लिए ले जाते हुए.
© UNICEF/Mark Naftalin
दक्षिण सूडान में, एक लड़की, दूर स्थान से पानी भरकर, विस्थापितों के लिए बनाए गए शिविर में अपने निवास के लिए ले जाते हुए.

खाद्य अभाव वाले 18 स्थानों पर, अति गम्भीर खाद्य असुरक्षा

मानवीय सहायता

दुनिया भर में कम से कम 18 ऐसे स्थानों की पहचान की गई है जहाँ पहले ही अति गम्भीर स्तर की खाद्य असुरक्षा के हालात हैं, और अगर तुरन्त मानवीय सहायता नहीं पहुँचाई गई तो, वहाँ भुखमरी का ज्वालामुखी फट सकता है.

यूएन मानवीय सहायता एजेंसियों ने बुधवार को कहा है कि इनमें से अधिकतर खाद्य अभाव वाले स्थान, वैसे तो अफ़्रीका में हैं, मगर ग़ाज़ा और सूडान में भी अकाल का जोखिम है, जहाँ हिंसा और टकराव जारी हैं.

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संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) और विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने आगाह किया है कि ग़ाज़ा और सूडान में, युद्ध के कारण एक नई भूख आपदा उत्पन्न होने का क्षेत्रीय जोखिम है.

WFP की कार्यकारी निदेशक सिंडी मैक्केन का कहना है, “जब एक बार अकाल की घोषणा हो जाती है, तो तब तक बहुत देर हो चुकी होती है – बहुत से लोग भुखमरी के कारण, पहले ही मौत के मुँह में जा चुके होते हैं.”

“सोमालिया में वर्ष 2011 में, भुखमरी के कारण जिन ढाई लाख लोगों की मौत हुई, उनमें से आधे लोग तो, अकाल घोषित होने से पहले ही अपनी जान गँवा चुके थे. दुनिया समय रहते चेतावनियाँ नहीं सुन सकी और उसके नतीजे भयानक थे.”

उन्होंने कहा, ”हमें सबक़ सीखने होंगे और इन स्थानों पर भुखमरी के ज्वालामुखी फटने से रोकने के लिए, अभी कार्रवाई करनी होगी.”

यूएन एजेंसियों की इस चेतावनी रिपोर्ट में 17 देशों की स्थितियों को शामिल किया गया है. इसमें 17 देश और सूखा प्रभावित मलावी, मोज़ाम्बीक़, ज़ाम्बिया और ज़िम्बाब्वे का क्षेत्र भी है.

रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि माली, फ़लस्तीन, सूडान और दक्षिण सूडान भी जोखिम के दायरे में बने हुए हैं और उन्हें इस स्थिति से बचाने के लिए, तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है. हेती में बढ़ती हिंसा और खाद्य सुरक्षा के लिए जोखिम को देखते हुए, उसे भी इस सूची में शामिल किया गया है.

अति गम्भीर स्थिति वाले देश 

रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण सूडान में भूख का संकट बढ़ रहा है और ये स्थिति इतनी बुरी है कि खाद्य अभाव और भुखमरी का सामना करने वाले लोगों की संख्या अप्रैल और जुलाई (2024) के बीच, वर्ष 2023 की इसी अवधि की तुलना में, दोगुनी हो जाने का अनुमान है.

रिपोर्ट के अनुसार, चाड, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य, म्याँमार, सीरिया और यमन भी गम्भीर खाद्य अभाव के चिन्ताजनक स्थल बने हुए हैं.

इन देशों में बड़ी संख्या में लोग अति गम्भीर स्तर की खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं. इतना ही नहीं, आने वाले महीनों के दौरान, इस स्थिति के कारक और भी बदतर होने के अनुमान हैं.

अक्टूबर 2023 के बाद से, मध्य अफ़्रीकी गणराज्य, लेबनान, मोज़ाम्बीक़, म्याँमार, नाइजीरिया, सियेरा लियोन और ज़ाम्बिया भी, भूख की गम्भीर स्थिति के मामले में, बुर्कीना फ़ासो, इथियोपिया, मलावी, सोमालिया और ज़िम्बाब्वे के साथ सूची में शामिल हो गए हैं. इन देशों में अति गम्भीर खाद्य असुरक्षा स्थिति, आने वाले महीनों में और भी बदतर होने के अनुमान हैं.

जलवायु चरम स्थितियाँ बरक़रार

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और खाद्य व कृषि संगठन (FAO) की एक संयुक्त चेतावनी रिपोर्ट में कहा गया है कि वैसे तो टकराव, युद्ध और हिंसा, खाद्य असुरक्षा के मुख्य कारक बने हुए हैं, मगर जलवायु आपदाएँ भी ज़िम्मेदार हैं, जिनमें ऐल-नाइनो भी प्रमुख है.

रिपोर्ट के लेखकों का कहना है कि वैसे तो मौसम की ये स्थिति अब समाप्त हो रही है, मगर अभी तक इसके प्रभाव बहुत व्यापक और गहरे रहे हैं. इस मौसम स्थिति के कारण दक्षिणी अफ़्रीका क्षेत्र में विनाशकारी सूखा और पूर्वी अफ़्रीका क्षेत्र में गहरी बाढ़ों ने व्यापक नुक़सान किया है.

भुखमरी की रोकथाम

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों की इस रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि मौसम सम्बन्धी ये घटनाएँ, जलवायु सम्बन्धी चरम स्थितियों को और भी गम्भीर बना सकती हैं, जिनसे लोगों की ज़िन्दगियाँ और आजीविकाएँ उथल-पुथल होंगी.

रिपोर्ट में तत्काल ऐसे स्तर पर मानवीय सहायता कार्रवाई किए जाने की पुकार लगाई गई है जिससे, आगे भुखमरी को रोका जा सके.