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खाद्य एजेंसी का नोबेल भाषण: दुनिया को भुखमरी की महामारी से बचाने की पुकार

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के कार्यकारी निदेशक डेविड बीज़ली, इस यूएन खाद्य एजेंसी को दिया गया वर्ष 2020 का नोबेल शान्ति पुरस्कार स्वीकार करते हुए.
© WFP/Rein Skullerud
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के कार्यकारी निदेशक डेविड बीज़ली, इस यूएन खाद्य एजेंसी को दिया गया वर्ष 2020 का नोबेल शान्ति पुरस्कार स्वीकार करते हुए.

खाद्य एजेंसी का नोबेल भाषण: दुनिया को भुखमरी की महामारी से बचाने की पुकार

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र की खाद्य सुरक्षा एजेंसी - विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के प्रमुख डेविड बीज़ली ने कहा कि दुनिया भर में 27 करोड़ से भी ज़्यादा लोगों की आबादी भुखमरी के दरवाज़े पर खड़ी है और भुखमरी महामारी से बचने के लिये और ज़्यादा प्रयास करने की ज़रूरत है. डेविड बीज़ली ने यूएन खाद्य एजेंसी को मिला नोबेल शान्ति पुरस्कार, गुरुवार को स्वीकार करते हुए कहा कि ये संख्या पश्चिमी योरोप की आबादी से भी ज़्यादा है.

विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक ने आगाह करते हुए कहा, “अकाल ने मानवता के दरवाज़े पर दस्तक दे दी है”, जिससे लोगों की ज़िन्दगियाँ तबाह होने के साथ-साथ, वो सब कुछ बर्बाद होने का डर पैदा हो गया है जो हमारे लिये बहुत प्रिय और महत्वूर्ण है.  

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डेविड बीज़ली ने एजेंसी के मुख्यालय – रोम से प्रसारित सन्देश में कहा है, “बहुत सारे युद्धों, जलवायु परिवर्तन, लम्बे समय से भुखमरी को एक राजनैतिक और सैन्य हथियार के तौर पर इस्तेमाल किये जाने, और वैश्विक स्वास्थ्य महामारी के कारण, हालात इतने ख़राब हो गए हैं कि – 27 करोड़ लोग कुपोषण और भुखमरी की तरफ़ जाने को मजबूर हैं.”

“इन लोगों की ज़रूरतों का हल निकालने में नाकामी से, भुखमरी की महामारी पैदा हो जाएगी जिसकी तबाही, कोविड-19 महामारी से भी कहीं ज़्यादा होगी.

और अगर, इस स्थिति से भी दिल नहीं दहलता तो, ये बता देना प्रासंगिक होगा कि, इन 27 करोड़ लोगों में से, क़रीब 3 करोड़ लोग, अपने जीवित रहने की ज़रूरतें पूरी करने के लिये, पूरी तरह विश्व खाद्य कार्यक्रम की सहायता पर निर्भर हैं.”

ख़तरनाक स्थानों पर जीवनरक्षक काम

दुनिया भर में करोड़ों लोगों को, अक्सर बेहद ख़तरनाक हालात में, जीवनरक्षक खाद्य सहायता मुहैया कराने का असाधरण कार्य करने के लिये, विश्व खाद्य कार्यक्रम को अक्टूबर में, वर्ष 2020 का नोबेल शान्ति पुरस्कार देने की घोषणा की गई थी. एजेंसी ने, वर्ष 2019 में, 10 करोड़ लोगों की खाद्य सहायता की थी.

यूएन खाद्य एजेंसी के कार्यकारी निदेशक डेविड बीज़ली ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि “भोजन से शान्ति का रास्ता निकलता है”. 

ऑनलाइन पुरस्कार वितरण समारोह में, उन्होंने, 1964 में नोबेल शान्ति पुरस्कार विजेता डॉक्टर मार्टिन लूथर किंग जूनियर और बाइबल का ज़िक्र करते हुए कहा कि एजेंसी के लिये, लोगों की सहायता करने का काम, प्रेम और करुणा का एक कार्य है.

उन्होंने कहा, “हम आधुनिक इतिहास के एक बहुत विडम्बनापूर्ण दौर में खड़े हैं. एक तरफ़, अत्यन्त ग़रीबी का ख़ात्मा करने के लगभग एक शताब्दी बाद, आज, 27 करोड़, लोग, हमारे पड़ोसी, भुखमरी के कगार पर खड़े हैं. ये पूरे पश्चिमी योरोप की कुल आबादी से भी ज़्यादा संख्या है.”

“दूसरी तरफ़, आज की दुनिया में, 400 ट्रिलियन डॉलर की सम्पदा मौजूद है. यहाँ तक कोविड-19 महामारी के चरम पर भी, 90 दिनों के भीतर, 2.7 ट्रिलियन डॉलर की अतिरिक्त सम्पदा सृजित हुई. और हमें, 3 करोड़ इनसानों को अकाल के मुँह से बचाने के लिये, केवल, 5 अरब डॉलर की रक़म की ज़रूरत है ”

ज़िन्दगी और मौत का विकल्प

यूएन खाद्य एजेंसी के कार्यकारी निदेशक डेविड बीज़ली ने कहा कि उनके बहुत से मित्र, और विश्व नेता, अक्सर ये कहते हैं कि डेविड दुनिया में, करोड़ों लोगों की ज़िन्दगी बचाकर, महानतम काम करते हैं, अलबत्ता वो ख़ुद इससे भिन्न राय रखते हैं:

”मैं इस सन्दर्भ में ये कहता हूँ: मैं जब रात को सोने के लिये जाता हूँ तो उन बच्चों के बारे में नहीं सोचता जिन्हें हम बचा पाए, बल्कि मैं सोते समय उन बच्चों के बारे में सोचकर रोता हूँ जिन्हें हम नहीं बचा पाए. और जब हमारे पास समुचित धन व अन्य संसाधन नहीं होते तो, हमें ये फ़ैसला करना होता है कि किस बच्चे को भोजन मिलेगा, और किस बच्चो को भोजन नहीं मिलेगा, कौन से बच्चे जीवित रहेंगे और कौन से बच्चे मौत के मुँह में चले जाएँगे. भला, ऐसा काम, आप कैसे पसन्द कर सकेंगे.”

उन्होंने कहा, “कृपया, हमसे ये चुनने के लिये ना कहें, कि किसे जीवित रहना है और किसे मौत का निवाला बन जाना है.”