सोमालिया: अकाल का जोखिम बढ़ा, यूएन एजेंसियों की 'गम्भीर मोड़' की चेतावनी

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कार्यों के उच्च स्तरीय समन्वय फ़ोरम ने आगाह किया है कि सोमालिया एक ऐसे अति गम्भीर मोड़ पर पहुँच गया है जहाँ लाखों लोग अकाल के तत्काल जोखिम का सामना कर रहे हैं.
अन्तर-एजेंसी स्थाई समिति (IASC) ने सोमवार को जारी एक वक्तव्य में लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाने की ख़ातिर, समर्थन व मानवीय सहायता की उपलब्धता बढ़ाने की पुकार लगाई है.
वक्तव्य में कहा गया है कि सोमालिया के दक्षिण-मध्य क्षेत्र के बाइदोआ और बुरहाकाबा ज़िलों में पहले ही अकाल नज़र आ रहा है, और अगर सहायता के दायरे व पैमाने में, तत्काल वृद्धि नहीं की गई तो, इस अकाल स्थिति के मार्च 2023 तक बने रहने की सम्भावना है.
इस बीच सोमालिया के लाखों अन्य लोग अत्यन्त गम्भीर भुखमरी के चरम स्तरों का सामना कर रहे हैं. विशेष रूप से गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएँ, और पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को, बहुत नाज़ुक हालात का सामना करना पड़ रहा है. उन्हें और भी बदतर हालात से बचने के लिये, तत्काल सहायता की आवश्यकता है.
📢🚨Window of opportunity to prevent #famine in #Somalia is closingIt is unacceptable that people are dying of #hunger. We must take action now. We urge all actors to facilitate immediate & safe access for humanitarian operations.#IASC Statement👉https://t.co/nQD12l0wba pic.twitter.com/HfldiHnhuX
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यूएन एजेंसियों ने कहा है, “भुखमरी और मौतों पहले ही हो रहे हैं. वर्ष 2011 के अकाल के दौरान जिन लगभग ढाई लाख लोगों की मौतें हुई थीं, उनमें से क़रीब आधे लोग, अकाल की आधिकारिक घोषणा होने से पहले ही, अपनी ज़िन्दगी गँवा चुके थे. उनमें से भी लगभग आधी संख्या बच्चों की थी.”
अन्तर-एजेंसी स्थाई समिति (IASC) में 18 संगठनों के प्रमुख एक मंच में शामिल हैं, जिनमें संयुक्त राष्ट्र की कुछ प्रमुख एजेंसियाँ, उनके साझीदार शामिल हैं, जो मानवीय संकटों का सामना करने और उनके लिये पूर्व तैयारियों पर काम करते हैं.
इस समिति की ये चेतावनी ऐसे समय में आई है जब पूरे हॉर्न अफ़्रीका क्षेत्र में लगभग दो करोड़ पाँच लाख लोग, ऐसी स्थिति की चपेट में हैं जिसे एजेंसियों के प्रमुखों ने “एक गम्भीर मगर टाला जा सकने वाला भुखमरी संकट” क़रार दिया है, साथ ही ये भी कहा है कि” ये स्थिति अस्वीकार्य है”.
उनका ये भी कहना है कि एक सार्थक कार्रवाई करने के लिये, अकाल की घोषणा की प्रतीक्ष नहीं की जानी चाहिये.
समिति के अनुसार, वैसे तो स्थानीय अधिकारी, देशों की सरकारें, यूएन एजेंसियाँ और ग़ैर-सरकारी संगठन (NGOs), भुखमरी के इन गम्भीर हालात के बारे में एक वर्ष से भी ज़्यादा समय से चेतावनियाँ जारी करते रहे हैं, मगर, उन सभी की अक्सर अनदेखी की जाती रही है.
उससे भी ज़्यादा अहम बात ये है कि संकटपूर्ण स्थिति के पूर्वानुमान लगाए जाने की वैश्विक प्रतिबद्धताओं के बावजूद, जिस स्तर पर धन की ज़रूरत, उसकी अपील के जवाब में पर्याप्त रक़म इकट्ठी नहीं हो सकी है.
हालाँकि वर्ष 2022 के शुरू से मानवीय सहायता का दायरा और पैमाने बढ़ाए जाने से, बहुत से लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाई जा सकी हैं, मगर “आवश्यकताओं में त्वरित बढ़ोत्तरी के कारण”, संसाधन कम पड़ रहे हैं.
यूएन एजेंसियों का कहना है, “हमने एकजुट होकर, अकाल को पहले भी टाला है. हम ऐसा फिर कर सकते हैं और हमें करना ही होगा.”
“धन-दौलत से भरी दुनिया में, ये क़तई स्वीकार नहीं हो सकता कि लोग भुखमरी के कारण मौत का शिकार हों. हमें बिल्कुल अभी कार्रवाई करनी होगी.”
समिति के वक्तव्य में तमाम पक्षों से सभी मानवीय सहायता अभियानों को, तत्काल और सुरक्षित पहुँच मुहैया कराने की पुकार भी लगाई गई है.
अन्तर-एजेंसी स्थाई समिति (IASC) के मुखिया, और यूएन मानवीय सहायता कार्यों में समन्वय एजेंसी (OCHA) के प्रमुख मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने, सोमवार को, सोमालिया की पाँच दिन की यात्रा भी पूरी की है, जो इस पद पर रहते हुए, इस देश की उनकी पहली यात्रा थी.
मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने राजधानी मोगादीशु में पत्रकारों से कहा, “इन पिछले कुछ दिनों के दौरान, ये देखकर मेरा पूरा वजूद हिल गया है कि सोमाली लोग कितने भारी दर्द और तकलीफ़ों से गुज़र रहे हैं.”
उन्होंने कहा, “अकाल उनके दरवाज़े पर दस्तक दे रहा है, और आज हमें एक अन्तिम चेतावनी मिल रही है.”